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मथुरा की जेल में कैदी तैयार कर रहे ईको फ्रेंडली राखियां, मिट्टी में डालने के बाद उगेंगे पौधे

जिला कारागार मथुरा (District Prison Mathura) में कैदी ईको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रहे हैं. यह राखियां मिट्टी में डालने के बाद पौधे बन जाएंगी.

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जिला कारागार मथुरा
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Published : Aug 7, 2022, 3:07 PM IST

मथुरा: जिला कारागार मथुरा में कैदी राखी तैयार कर रहे हैं. यह राखियां पर्व मनाने के साथ पर्यावरण के लिहाज से मुफीद हैं. इन राखियों को फल और सब्जियों के बीज से बनाया जा रहा है. इनमें कहीं भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. पर्व मनाने के बाद मिट्टी में दबने से यह पौधे का रूप आसानी से धारण कर लेंगी.

इन राखियों को बाजार में 30 से 35 रुपये में आम लोगों को बेचा जाएगा. जिला कारागार मथुरा में करीब 500 राखियां बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें जिला कारागार में निरुद्ध बंद ही इन राखियों को तैयार कर रहे हैं. वरिष्ठ जिला कारागार मथुरा अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि पर्व और पर्यावरण की मित्रता को ध्यान में रखते हुए जिला कारागार मथुरा में एक ऐसी राखी का निर्माण किया जा रहा है, जो अपने आप में एक विशेष राखी है. यह राखी जिला कारागार में कैदियों द्वारा निर्मित की जा रही है और कैदी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. यह राखी बीजों से निर्मित की जाएगी. इस राखी की विशेषता यह है कि राखी का पर्व मनाने के बाद उसको मिट्टी के नीचे दबा दें, तो उसमें अनेक प्रकार के पौधे जन्म ले लेंगे.

जानकारी देते वरिष्ठ जेल अधीक्षक मथुरा बृजेश कुमार

यह भी पढ़ें: कुशीनगर: फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर अध्यक्ष बनी आभा गुप्ता की गई कुर्सी, राज्यपाल ने दी अध्यक्ष पद से हटाने की स्वीकृति


वरिष्ठ जिला कारागार अधीक्षक मथुरा बृजेश कुमार ने बताया कि जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों को वर्तमान में राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह प्रशिक्षण कैदियों को आर्थिक रूप से भी सहयोग करेगा और इसके साथ ही एक मैसेज देने का प्रयास किया जा रहा है. यहां पर पर्यावरण मित्र राखी बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है और 500 राखी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. बाजार में इन राखियों का एक स्टॉल लगाया जाएगा .

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मथुरा: जिला कारागार मथुरा में कैदी राखी तैयार कर रहे हैं. यह राखियां पर्व मनाने के साथ पर्यावरण के लिहाज से मुफीद हैं. इन राखियों को फल और सब्जियों के बीज से बनाया जा रहा है. इनमें कहीं भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. पर्व मनाने के बाद मिट्टी में दबने से यह पौधे का रूप आसानी से धारण कर लेंगी.

इन राखियों को बाजार में 30 से 35 रुपये में आम लोगों को बेचा जाएगा. जिला कारागार मथुरा में करीब 500 राखियां बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें जिला कारागार में निरुद्ध बंद ही इन राखियों को तैयार कर रहे हैं. वरिष्ठ जिला कारागार मथुरा अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि पर्व और पर्यावरण की मित्रता को ध्यान में रखते हुए जिला कारागार मथुरा में एक ऐसी राखी का निर्माण किया जा रहा है, जो अपने आप में एक विशेष राखी है. यह राखी जिला कारागार में कैदियों द्वारा निर्मित की जा रही है और कैदी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. यह राखी बीजों से निर्मित की जाएगी. इस राखी की विशेषता यह है कि राखी का पर्व मनाने के बाद उसको मिट्टी के नीचे दबा दें, तो उसमें अनेक प्रकार के पौधे जन्म ले लेंगे.

जानकारी देते वरिष्ठ जेल अधीक्षक मथुरा बृजेश कुमार

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वरिष्ठ जिला कारागार अधीक्षक मथुरा बृजेश कुमार ने बताया कि जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों को वर्तमान में राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह प्रशिक्षण कैदियों को आर्थिक रूप से भी सहयोग करेगा और इसके साथ ही एक मैसेज देने का प्रयास किया जा रहा है. यहां पर पर्यावरण मित्र राखी बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है और 500 राखी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. बाजार में इन राखियों का एक स्टॉल लगाया जाएगा .

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