ETV Bharat / city

मिशन थाना सफाई पर यूपी पुलिस क्यों नहीं दे रही ध्यान?

बीते 11 अप्रैल को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने समीक्षा बैठक करते हुए थानों में खड़े जब्तशुदा वाहनों को अभियान चलाकर नीलाम करने के निर्देश दिए थे.

जब्तशुदा वाहन
जब्तशुदा वाहन
author img

By

Published : May 25, 2022, 7:14 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के थानों में लावारिस गाड़ियों की भरमार है. सरकार, शासन और कोर्ट के लाख कहने के बाद भी राज्य के थाने लावारिस गाड़ियों से भरे हुए हैं. राजधानी में जो थाने किराए पर चल रहे हैं वो भी दूसरे की खाली जमीन पर लावारिस वाहन खड़े किए हुए हैं. हालात ये हैं कि गाड़ियों के पुर्जे सड़ चुके हैं. हाल ही में अपर मुख्य सचिव गृह ने अगले दो महीनों में थानों में धूल खा रही गाड़ियों को नीलाम करने के निर्देश भी दिए थे.

जानकारी देते संवाददाता गगन दीप मिश्रा

बीते 11 अप्रैल को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने समीक्षा बैठक करते हुए थानों में खड़े जब्तशुदा वाहनों को अभियान चलाकर नीलाम करने के निर्देश दिए थे. अवस्थी ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि 60 दिनों में थाना प्रांगण में कोई भी जब्तशुदा वाहन न रह जाए. इस आदेश को जारी हुए डेढ़ महीने होने को आए हैं लेकिन थानों में अब भी हजारों वाहन जंग खा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने लखनऊ के कई थानों में जाकर हालात देखे.

किराये पर इंदिरानगर थाना, सड़ रहीं गाड़ियां : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के नार्थ जोन अंतर्गत इंदिरानगर थाना किराये की एक बिल्डिंग में संचालित हो रहा है. थाने के सामने एक खाली प्लाट पड़ा हुआ था. यहां छोटे से प्लाट में सैकड़ों जब्त की गईं मोटरसाइकिल खड़ी मिलीं. यहां जंग खा रही मोटरसाइकिलें लगभग कंडम हो चुकीं हैं. एक-दो ही सही हालात में हैं.

मडियांव थाने में वाहन खा रहे हैं जंग : नार्थ जोन के ही मड़ियांव थाने में जब्त किए गए वाहनों की भीड़ है. डाला, ऑटो, मोटरसाइकिल व कार के पुर्जे जंग खा चुके हैं. टायर सड़ चुके हैं. इन वाहनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. हालांकि समय-समय पर शासन के आदेश पर इक्का-दुक्का गाड़ियों की नीलामी कर औपचारिकता निभा दी जाती है.

PGI थाने में सड़ रहीं हैं गाड़ियां : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के पूर्वी जोन अंतर्गत पीजीआई थाना परिसर में जब्त लावारिस गाड़ियों की भरमार थी. अधिकारियों की सख्ती हुई तो वाहनों को थाने के पीछे शिफ्ट कर दिया गया लेकिन यहां भी गाड़ियां जंग खा रहीं हैं. कई तो ऐसे वाहन हैं जिनके पुर्जे भी गायब हो चुके हैं.

पुलिस लाइन में लक्जरी वाहन : जो लक्जरी गाड़ियां कभी अपने स्वामी की शान बढ़ाती थीं वो खुद आज अपनी किस्मत को रो रही हैं. करीब दो साल पहले लखनऊ पुलिस ने जालसाजी कर गाड़ियों को बेचने वाले गिरोह को पकड़ा और उनके पास से 50 से ज्यादा लक्जरी गाड़ियां बरामद की थीं. उन लक्जरी गाड़ियों को लखनऊ पुलिस लाइन में खड़ा कर दिया गया है. अब इन लक्जरी गाड़ियों की स्थिति बद से बद्दतर हो चुकी है. इनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं है.

क्या होती है नीलामी की प्रक्रिया : नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू होती है. वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है. गाड़ी का पंचनामा कर न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है. उसके बाद पुलिस आरटीओ कार्यालय से इन गाड़ियों की मालियत निकलवाती है. उसके बाद वाहन मालिकों को नोटिस भेजी जाती है. जब गाड़ियों का क्लेम नहीं होता है तब अखबार में सूचना देकर नीलामी करा दी जाती है.

ये भी पढ़ें : सरकार पूरी ईमानदारी से कर रही काम, विपक्ष लगातार दोहरा रहा झूठ : योगी

SC के आदेश को नीलामी का बनाया जाता है आधार : पुलिस, थानों में खड़े वाहनों की नीलामी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को आधार बनाती है जो एक अक्टूबर 2002 को सुंदर भाई अम्बालाल देसाई बनाम स्टेट ऑफ गुजरात के मामले में सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में कहा था कि थाने में कोई भी सामान ज्यादा दिन तक नहीं रखा जा सकता है. थाने में 15 दिन से एक महीने के भीतर सामान का निस्तारण हो जाए. यही नहीं कोर्ट ने कहा था कि पुलिस द्वारा जब्त किए गए सामान की सुरक्षा पुलिस की ही जिम्मेदारी है. कोर्ट ने कहा था कि धारा 451 CRPC के तहत सामान का निस्तारण किया जाए.

क्या कहते हैं अधिकारी? : डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि थानों में लावारिस, लदावा और माल मुकदमाती ये तीन प्रकार के वाहन खड़े हैं. इन सभी प्रकार के वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है. अभी तक 66 वाहनों का निस्तारण किया गया है और जो मुकदमाती हैं उन्हें भी जल्द से जल्द निस्तारित किया जाएगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के थानों में लावारिस गाड़ियों की भरमार है. सरकार, शासन और कोर्ट के लाख कहने के बाद भी राज्य के थाने लावारिस गाड़ियों से भरे हुए हैं. राजधानी में जो थाने किराए पर चल रहे हैं वो भी दूसरे की खाली जमीन पर लावारिस वाहन खड़े किए हुए हैं. हालात ये हैं कि गाड़ियों के पुर्जे सड़ चुके हैं. हाल ही में अपर मुख्य सचिव गृह ने अगले दो महीनों में थानों में धूल खा रही गाड़ियों को नीलाम करने के निर्देश भी दिए थे.

जानकारी देते संवाददाता गगन दीप मिश्रा

बीते 11 अप्रैल को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने समीक्षा बैठक करते हुए थानों में खड़े जब्तशुदा वाहनों को अभियान चलाकर नीलाम करने के निर्देश दिए थे. अवस्थी ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि 60 दिनों में थाना प्रांगण में कोई भी जब्तशुदा वाहन न रह जाए. इस आदेश को जारी हुए डेढ़ महीने होने को आए हैं लेकिन थानों में अब भी हजारों वाहन जंग खा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने लखनऊ के कई थानों में जाकर हालात देखे.

किराये पर इंदिरानगर थाना, सड़ रहीं गाड़ियां : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के नार्थ जोन अंतर्गत इंदिरानगर थाना किराये की एक बिल्डिंग में संचालित हो रहा है. थाने के सामने एक खाली प्लाट पड़ा हुआ था. यहां छोटे से प्लाट में सैकड़ों जब्त की गईं मोटरसाइकिल खड़ी मिलीं. यहां जंग खा रही मोटरसाइकिलें लगभग कंडम हो चुकीं हैं. एक-दो ही सही हालात में हैं.

मडियांव थाने में वाहन खा रहे हैं जंग : नार्थ जोन के ही मड़ियांव थाने में जब्त किए गए वाहनों की भीड़ है. डाला, ऑटो, मोटरसाइकिल व कार के पुर्जे जंग खा चुके हैं. टायर सड़ चुके हैं. इन वाहनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. हालांकि समय-समय पर शासन के आदेश पर इक्का-दुक्का गाड़ियों की नीलामी कर औपचारिकता निभा दी जाती है.

PGI थाने में सड़ रहीं हैं गाड़ियां : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के पूर्वी जोन अंतर्गत पीजीआई थाना परिसर में जब्त लावारिस गाड़ियों की भरमार थी. अधिकारियों की सख्ती हुई तो वाहनों को थाने के पीछे शिफ्ट कर दिया गया लेकिन यहां भी गाड़ियां जंग खा रहीं हैं. कई तो ऐसे वाहन हैं जिनके पुर्जे भी गायब हो चुके हैं.

पुलिस लाइन में लक्जरी वाहन : जो लक्जरी गाड़ियां कभी अपने स्वामी की शान बढ़ाती थीं वो खुद आज अपनी किस्मत को रो रही हैं. करीब दो साल पहले लखनऊ पुलिस ने जालसाजी कर गाड़ियों को बेचने वाले गिरोह को पकड़ा और उनके पास से 50 से ज्यादा लक्जरी गाड़ियां बरामद की थीं. उन लक्जरी गाड़ियों को लखनऊ पुलिस लाइन में खड़ा कर दिया गया है. अब इन लक्जरी गाड़ियों की स्थिति बद से बद्दतर हो चुकी है. इनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं है.

क्या होती है नीलामी की प्रक्रिया : नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू होती है. वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है. गाड़ी का पंचनामा कर न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है. उसके बाद पुलिस आरटीओ कार्यालय से इन गाड़ियों की मालियत निकलवाती है. उसके बाद वाहन मालिकों को नोटिस भेजी जाती है. जब गाड़ियों का क्लेम नहीं होता है तब अखबार में सूचना देकर नीलामी करा दी जाती है.

ये भी पढ़ें : सरकार पूरी ईमानदारी से कर रही काम, विपक्ष लगातार दोहरा रहा झूठ : योगी

SC के आदेश को नीलामी का बनाया जाता है आधार : पुलिस, थानों में खड़े वाहनों की नीलामी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को आधार बनाती है जो एक अक्टूबर 2002 को सुंदर भाई अम्बालाल देसाई बनाम स्टेट ऑफ गुजरात के मामले में सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में कहा था कि थाने में कोई भी सामान ज्यादा दिन तक नहीं रखा जा सकता है. थाने में 15 दिन से एक महीने के भीतर सामान का निस्तारण हो जाए. यही नहीं कोर्ट ने कहा था कि पुलिस द्वारा जब्त किए गए सामान की सुरक्षा पुलिस की ही जिम्मेदारी है. कोर्ट ने कहा था कि धारा 451 CRPC के तहत सामान का निस्तारण किया जाए.

क्या कहते हैं अधिकारी? : डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि थानों में लावारिस, लदावा और माल मुकदमाती ये तीन प्रकार के वाहन खड़े हैं. इन सभी प्रकार के वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है. अभी तक 66 वाहनों का निस्तारण किया गया है और जो मुकदमाती हैं उन्हें भी जल्द से जल्द निस्तारित किया जाएगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.