लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय में वृद्धि के लिए सतत योजनाएं बना रही है. सरकार अब कोशिश कर रही है कि क्षेत्रवार योजनाएं बनाकर किसानों का उत्थान किया जाए. साथ ही उन्हें मौसम की सटीक जानकारी भी दी जाए, ताकि फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. यही नहीं योगी सरकार मानसून पर लगातार नजर रख रही है. सरकार का प्रयास है कि खरीफ एवं रबी के बीच कृषि क्षेत्र और स्थानीय बाजार की मांग के अनुसार एक अतिरिक्त फसल लेकर किसानों को मौसम से हुई क्षति को न्यूनतम किया जा सके. इस क्रम में सरकार ने त्वरित राहत देने के लिए किसानों को तोरिया और मक्का बीज के मिनीकिट मुहैया कराने का फैसला लिया है. साथ ही कृषि एवं उद्यान विभाग के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस किसानों को गोभी, टमाटर, मिर्च आदि सीजनल सब्जियों की बेहतर प्रजाति की अगैती पौध भी उपलब्ध कराएंगे.
मालूम हो कि सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में नियंत्रित तापमान एवं नमी में नर्सरी तैयार की जाती है. लिहाजा पौधे निरोग होते हैं. किसान नर्सरी डालने के खर्च और उसके जोखिम से बच जाते हैं. गुणवत्ता की गारंटी अलग से होती है. ऐसे में सरकार की यह पहल अगैती सब्जी की खेती करने वालों के लिए काफी मुफीद होगी. इसके अलावा सरकार किसानों को सब्जी बीज के किट भी उपलब्ध कराएगी. सिंचन क्षमता के विस्तार के लिए किसानों को अनुदान पर 10 हजार अतिरिक्त सोलर पंप भी सरकार मुहैया कराएगी.
मुख्यमंत्री की बैठक के बाद कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी विभागीय अधिकारियों की बैठक में इस बाबत जरूरी निर्देश दे चुके हैं. बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार फिलहाल दो लाख किसानों को तोरिया बीज के मिनीकिट बांटने का निर्णय लिया गया है. इसी क्रम में मक्के की खेती के लिए भी पर्याप्त मात्रा में आठ किलो ग्राम के मिनीकिट की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने और दस हजार अतिरिक्त सोलर पंपों के लिए किसानों के चयन की प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है. इसके अलावा सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि रबी की बोआई समय से शुरू हो सके. इसके लिए कृषि निवेशों खाद-बीज और पानी की दिक्कत न आए. पर्याप्त मात्रा में खाद के भंडारण, बीजों की उपलब्धता के भी निर्देश विभागीय मंत्री की ओर से दिए जा चुके हैं. इसके पहले की बैठक में मुख्यमंत्री यह निर्देश दे चुके हैं कि ट्यूबवेल की तकनीकी खराबी को हर हाल में 24 से 36 घंटे के भीतर ठीक करा दिया जाए. जहां ट्यूबवेल पर निर्भरता ज्यादा है, वहां बिजली पर निर्भरता कम करने के लिए सौर पैनल लगाया जाना चाहिए. यही नहीं उनकी ओर से बकाए में बिजली न काटने का भी निर्देश दे चुके हैं.
उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक, प्रदेश में स्वचालित और मैनुअल दोनों तरह के रेन गेज संचालित किए जा रहे हैं. रेन गेज के जरिए हम जान सकते हैं कि एक निश्चित स्थान पर कितने मिमी बारिश हुई है. प्रतिवर्ष किसी खास महीने में कितनी बारिश हुई है, इसका डाटा किसानों के काम आ सकता है. इसको ध्यान में रखते हुए वह बोआई कर सकता है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अनुमानित 300 से 400 के बीच रेन गेज यंत्र संचालित हो रहे हैं. प्रत्येक ब्लॉक में यंत्र लगाए जाने के लिए हमें देखना होगा कि किन ब्लॉक में यंत्र लगे हैं और कहां नहीं. गौरतलब है कि रेन गेज वर्षा मापने का यंत्र है, जिससे कम या ज्यादा दोनों तरह की वर्षा का सटीक आंकलन किया जाता है. अभी तक तहसील स्तर पर रेन गेज सिस्टम लगाए थे और अब विकास खंड स्तर पर इन्हें बढ़ाए जाने से ब्लॉक व ग्राम पंचायतों तक ज्यादा से ज्यादा अन्नदाता किसानों को वर्षा की सटीक जानकारी मिल सकेगी.
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उत्तर प्रदेश मौसम विभाग अलग-अलग नोडल अफसरों के जरिए जिले स्तर पर प्रतिदिन, साप्ताहिक एवं सत्र स्तर पर मौसम का बुलेटिन जारी करता है. वहीं ब्लॉक स्तर पर भी विभाग की ओर से मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है. हालांकि ब्लॉक स्तर पर रेन गेज बढ़ाए जाने पर एक निश्चित स्थान पर वर्षा का सटीक आंकलन किया जा सकेगा. इससे स्थानीय किसानों को फायदा होगा और वो मौसम के अनुसार ही फसल की सुरक्षित बोआई को सुनिश्चित कर सकेंगे.
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