लखनऊ: केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मायावती के ब्राह्मणों पर दिए बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि ब्राह्मण एक जाति नहीं संस्कार है. ब्राह्मण राष्ट्र के लिए जीता है. उत्तर प्रदेश में जितने भी दल हैं ये गिद्ध की तरह हैं. आपने क्या समझ रखा है ब्राह्मण क्या हाथ फैलाकर भिक्षा मांगने वाला है.
दरअसल बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि मुझे पूरा भरोसा है कि अब ब्राह्मण समाज के लोग भाजपा के किसी भी तरह के बहकावे में नहीं आएंगे. ब्राह्मण समाज को फिर से जागरूक करने के लिए 23 जुलाई से अयोध्या से एक अभियान शुरू किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 23 जुलाई को अयोध्या से ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin Sammelan) का आगाज करेगी. ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए किए जा रहे इस सम्मेलन की जिम्मेदारी बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को दी गई है. सतीश चंद्र मिश्रा अयोध्या में दर्शन से इस सम्मेलन की शुरुआत करेंगे. पहले चरण में 23 जुलाई से 29 जुलाई तक 6 जिलों में लगातार ब्राह्मण सम्मेलन किए जाएंगे.
इसे भी पढ़ें: 2007 वाले फार्मूले पर लौट रहीं माया, 23 जुलाई को अयोध्या में होगा ब्राह्मण सम्मेलन
सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय की नीति पर चलने वाली बसपा को आने वाले विधानसभा चुनावों में अगर वापसी करनी है तो ब्राह्मणों को साधना बहुत जरूरी है. शुक्रवार को प्रदेश भर के कई ब्राह्मण नेता बीएसपी दफ्तर पहुंचे थे. जहां आगे की रणनीति पर चर्चा हुई थी. यूपी में लगभग 12 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं. कहा जाता है कि ब्राह्मणों ने जिसका साथ दे दिया उसकी सरकार बन जाती है. बीते विधानसभा चुनावों के नतीजों पर अगर गौर करें तो ये बात सत्य साबित होती है. 2007 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तब ब्राह्मणों ने बसपा का साथ दिया था जिसका परिणाम था कि बसपा ने चुनाव जीतकर पूरे देश की राजनीति में हंगामा मचा दिया था. वहीं 2012 में ब्राह्मण समाजवादी पार्टी के साथ चले गए और अखिलेश यादव यूपी के सीएम बन गए. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव से यूपी के ब्राह्मण मतदाता पूरी तरह बीजेपी के साथ हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गए तो यूपी में 325 सीटों के साथ बीजेपी का सरकार बनी थी.