लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी अपने चुनावी अभियान में किसान आंदोलन को लेकर सक्रियता बरतेगी. किसानों के लिए भाजपा ने अब तक क्या किया, इसे बताने की कोशिश की जाएगी. साथ ही किसान आंदोलन किसानों के पक्ष में नहीं था व केवल भाजपा विरोधी राजनीति का केंद्र था, इसे भी आम जनमानस को समझाने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी अपने अभियान के तहत करेगी. करीब 1,65,000 बूथों पर भाजपा मुख्य रूप से किसानों को साधने का प्रयास करेगी.
तीन कृषि कानून बनने के बाद देश के हालातों में बदलाव आया है. इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश के 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा. इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी चुनावी योजना बना रही है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार देर रात भाजपा की प्रदेश कोर कमेटी की बैठक की. इस बैठक में फैसला लिया गया कि किसान आंदोलन को भाजपा अब अप्रासंगिक बताएगी. भाजपा कहेगी कि तीन कृषि कानून वापस होने के बाद किसानों के आंदोलन का अब कोई मतलब नहीं है.
भाजपा बूथ स्तर तक कार्यकर्ता को बताएगी कि सरकार ने पिछले पांच साल में किसान हित में कितने काम किए हैं. साथ ही किसानों के बीच जाकर इसे बताने को भी प्रेरित किया जाएगा.
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इस दौरान मुख्य रूप से गन्ना भुगतान, नई चीनी मिलों का खुलना, किसान सम्मान निधि, उपज का मूल्य भुगतान और ऐसे ही किसान हित के अनेक मुद्दों को आम लोगों के बीच ले जाया जाएगा.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानून वापस ले लिए हैं. उनका कहना है कि कुछ खास लोगों को वे कानून की खूबियां नहीं समझा सके. इस वजह से इसे वापस ले लिया जबकि एमएसपी गारंटी के लिए कमेटी बना दी गई है.
कहा कि हम किसानों तक यह बात पहुंचाएंगे कि भाजपा ने किसानों के लिए कितना काम किया है. गौरतलब है कि 8 दिसंबर से भारतीय जनता पार्टी 4 विजय रथयात्रा निकाल रही है. विजय रथ यात्रा में किसानों तक भारतीय जनता पार्टी अपनी उपलब्धियों को पहुंचाएगी. इसके माध्यम से किसान आंदोलन की धार को भाजपा कम करने का प्रयास कर रही है.
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