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मरीज बोले, वार्ड में दोबारा देखने नहीं आते डाॅक्टर, बाहर से खरीदनी पड़ रहीं दवायें

हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में तमाम तरह के केस आते हैं. इस समय सबसे ज्यादा वायरल फीवर और एक्सीडेंटल केस आ रहे हैं.

अस्पताल मेे मरीज
अस्पताल मेे मरीज
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Published : Jul 11, 2022, 6:18 PM IST

लखनऊ : गोमती नगर निवासी अंबेस शर्मा ने अपने भाई को सिविल अस्पताल हजरतगंज में भर्ती कराया. उन्होंने बताया कि बीती रात उनका रोड एक्सीडेंट हो गया था. किसी तरह उन्हें सिविल अस्पताल लाया गया. जिसके बाद अस्पताल में कर्मचारियों ने इलाज किया. उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने रात में कुछ दवायें लिख दीं. उसके बाद से अभी तक वार्ड में कोई डॉक्टर देखने नहीं आया. इस वक्त मरीज को लेकर बाहर बैठे हुए हैं क्योंकि अंदर कोई डॉक्टर देखने नहीं आ रहा है. बहुत सारी दवायें अंदर नहीं मिली हैं.


कैंट निवासी अमित हर्निया के मरीज हैं. पहली बार सिविल अस्पताल में खुद को दिखाने आए हैं हालांकि इससे पहले कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों को दिखाने के लिए आया था. पहले यहां पर तीन फिजिशियन हुआ करते थे, लेकिन इस समय एक ही हैं. पहली बात तो मुख्यमंत्री आवास सिविल अस्पताल के सिर पर है. यही एक मीटर की दूरी पर विधानभवन हैं. ऐसे में यहां पर जो खामियां हैं उसे अस्पताल प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को दूर करना चाहिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक आए दिन यहां पर किसी न किसी कार्यक्रम में भाग लेते रहते हैं. वैसे जिला अस्पतालों की श्रेणी में सिविल अस्पताल सबसे अच्छा है. यहां के डॉक्टर अच्छे से देखते हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला



हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में तमाम तरह के केस आते हैं. इस समय सबसे ज्यादा वायरल फीवर और एक्सीडेंटल केस आ रहे हैं. जितने भी केस आते हैं उनमें मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट दिया जाता है. इसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है. इसके बाद एक बार भी वार्ड में डॉक्टर व कर्मचारी मरीज को देखने नहीं जाते हैं. जिससे मरीजों को दिक्कत होती है. मरीजों ने बताया कि अगर डॉक्टर ट्रीटमेंट करने के कुछ घंटों बाद दोबारा देख लें तो परिजनों को तसल्ली मिल जाएगी.

अस्पताल में साफ-सफाई : अस्पताल परिसर में साफ-सफाई देखने को मिली. सफाई कर्मचारी बीच-बीच में झाड़ू पोछा लगाते रहते हैं. वहीं दो बजे ओपीडी खत्म होने के बाद कर्मचारी अस्पताल को पूरी तरह से झाड़ू पोछा करते हैं. वहीं मरीजों व तीमारदारों ने बताया कि साफ-सफाई कि यहां पर कोई दिक्कत नहीं है. बेडशीट थोड़ी गंदी है, लेकिन अन्य अस्पतालों की तुलना में सिविल अस्पताल में साफ सफाई काफी बेहतर है.

नहीं मिल रही सारी दवाइयां : मरीजों ने बताया कि अस्पताल में बहुत सारी दवाइयां हमें नहीं मिल पा रही हैं. इमरजेंसी में डॉक्टर बाहर से दवाई मंगवा रहे हैं. जब हम अस्पताल की क्लीनिक में गए तो वहां पर एंटीबायोटिक, दर्द की दवा और कुछ अन्य दवाइयां प्राप्त नहीं हुईं. इसको लेकर अस्पताल प्रशासन को थोड़ा ध्यान देना चाहिए. अस्पताल की क्लीनिक के अलावा यहां पर जन औषधि केंद्र भी है, लेकिन वहां पर भी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.

ये भी पढ़ें : अजय मिश्र टेनी के खिलाफ प्रभात हत्याकांड केस और आशीष मिश्र की जमानत अर्जी पर सुनवाई आज

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि सभी मरीजों को देखा जा रहा है. अस्पताल में मरीजों की संख्या इस समय अधिक है. जिसकी वजह से एक डॉक्टर हर मरीज तक नहीं जा सकता है. ऐसे में अगर किसी मरीज को कोई समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करे. ऐसा नहीं है कि मरीज को दिक्कत होने पर डॉक्टर न सुनें. रही बात दवाइयों की तो इसके लिए हमने ऑनलाइन दवायें मंगवाई हैं. जल्द सभी दवाएं मरीजों के लिए उपलब्ध होंगी.

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लखनऊ : गोमती नगर निवासी अंबेस शर्मा ने अपने भाई को सिविल अस्पताल हजरतगंज में भर्ती कराया. उन्होंने बताया कि बीती रात उनका रोड एक्सीडेंट हो गया था. किसी तरह उन्हें सिविल अस्पताल लाया गया. जिसके बाद अस्पताल में कर्मचारियों ने इलाज किया. उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने रात में कुछ दवायें लिख दीं. उसके बाद से अभी तक वार्ड में कोई डॉक्टर देखने नहीं आया. इस वक्त मरीज को लेकर बाहर बैठे हुए हैं क्योंकि अंदर कोई डॉक्टर देखने नहीं आ रहा है. बहुत सारी दवायें अंदर नहीं मिली हैं.


कैंट निवासी अमित हर्निया के मरीज हैं. पहली बार सिविल अस्पताल में खुद को दिखाने आए हैं हालांकि इससे पहले कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों को दिखाने के लिए आया था. पहले यहां पर तीन फिजिशियन हुआ करते थे, लेकिन इस समय एक ही हैं. पहली बात तो मुख्यमंत्री आवास सिविल अस्पताल के सिर पर है. यही एक मीटर की दूरी पर विधानभवन हैं. ऐसे में यहां पर जो खामियां हैं उसे अस्पताल प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को दूर करना चाहिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक आए दिन यहां पर किसी न किसी कार्यक्रम में भाग लेते रहते हैं. वैसे जिला अस्पतालों की श्रेणी में सिविल अस्पताल सबसे अच्छा है. यहां के डॉक्टर अच्छे से देखते हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला



हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में तमाम तरह के केस आते हैं. इस समय सबसे ज्यादा वायरल फीवर और एक्सीडेंटल केस आ रहे हैं. जितने भी केस आते हैं उनमें मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट दिया जाता है. इसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है. इसके बाद एक बार भी वार्ड में डॉक्टर व कर्मचारी मरीज को देखने नहीं जाते हैं. जिससे मरीजों को दिक्कत होती है. मरीजों ने बताया कि अगर डॉक्टर ट्रीटमेंट करने के कुछ घंटों बाद दोबारा देख लें तो परिजनों को तसल्ली मिल जाएगी.

अस्पताल में साफ-सफाई : अस्पताल परिसर में साफ-सफाई देखने को मिली. सफाई कर्मचारी बीच-बीच में झाड़ू पोछा लगाते रहते हैं. वहीं दो बजे ओपीडी खत्म होने के बाद कर्मचारी अस्पताल को पूरी तरह से झाड़ू पोछा करते हैं. वहीं मरीजों व तीमारदारों ने बताया कि साफ-सफाई कि यहां पर कोई दिक्कत नहीं है. बेडशीट थोड़ी गंदी है, लेकिन अन्य अस्पतालों की तुलना में सिविल अस्पताल में साफ सफाई काफी बेहतर है.

नहीं मिल रही सारी दवाइयां : मरीजों ने बताया कि अस्पताल में बहुत सारी दवाइयां हमें नहीं मिल पा रही हैं. इमरजेंसी में डॉक्टर बाहर से दवाई मंगवा रहे हैं. जब हम अस्पताल की क्लीनिक में गए तो वहां पर एंटीबायोटिक, दर्द की दवा और कुछ अन्य दवाइयां प्राप्त नहीं हुईं. इसको लेकर अस्पताल प्रशासन को थोड़ा ध्यान देना चाहिए. अस्पताल की क्लीनिक के अलावा यहां पर जन औषधि केंद्र भी है, लेकिन वहां पर भी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.

ये भी पढ़ें : अजय मिश्र टेनी के खिलाफ प्रभात हत्याकांड केस और आशीष मिश्र की जमानत अर्जी पर सुनवाई आज

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि सभी मरीजों को देखा जा रहा है. अस्पताल में मरीजों की संख्या इस समय अधिक है. जिसकी वजह से एक डॉक्टर हर मरीज तक नहीं जा सकता है. ऐसे में अगर किसी मरीज को कोई समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करे. ऐसा नहीं है कि मरीज को दिक्कत होने पर डॉक्टर न सुनें. रही बात दवाइयों की तो इसके लिए हमने ऑनलाइन दवायें मंगवाई हैं. जल्द सभी दवाएं मरीजों के लिए उपलब्ध होंगी.

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