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लखनऊ: शिक्षकों ने दिया सांकेतिक धरना, सरकार जल्द लाए अध्यादेश - श्री प्रकाश जावडेकर माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री

लखनऊ: शिक्षकों ने लखनऊ विश्वविद्यालय में 13 प्वाइंट रोस्टर पर मचे विवाद को लेकर सांकेतिक धरना दिया. शिक्षकों के अनुसार आरक्षण दिया जाना चाहिए जिससे विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों की नियुक्ति हो सके.

शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन
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Published : Mar 5, 2019, 8:47 PM IST

लखनऊ: प्वाइंट रोस्टर पर मचे विवाद के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों ने सांकेतिक धरने का आयोजन किया. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने संसद में कहा था कि वह जल्द इस को लेकर संसद में अध्यादेश लाएंगे. चुनाव को मद्दे नजर रखते हुए शिक्षकों को यह लग रहा है कि सरकार इस मुद्दे को भटका रही है.


शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में पहले की तरीके से 200 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से ही शिक्षकों को आरक्षण दिया जाए जिससे विश्वविद्यालयों में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की नियुक्ति हो सके.इस धरने में विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ साथ छात्र भी सम्मिलित हुए. सभी का यह कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इस मामले में उनके खिलाफ निर्णय दिया हो लकिन यह निर्णय पूरी तरीके से असंवैधानिक है.

शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन
शिक्षकों ने कहा कि अगर 13 प्वाइंट रोस्टर लागू हो जाता है ऐसे में दलित एवं एसटी वर्ग के लोगों को यूनिवर्सिटी में सालों तक नियुक्ति नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर थी लेकिन कई बार आश्नासन देने के बावजूद अभी तक वह संसद में इसके लिए अध्यादेश नहीं ला पाई है.

पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री ने संसद में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका मंजूर नहीं हुई तो सरकार ऑर्डनेंस लाएगी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ. असल में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2017 के फैसले को बहाल रखा था. इसमें आरक्षित पदों को भरने के लिए डिपार्टमेंट को यूनिट माना गया था. यूनिवर्सिटी के इस मामले में सरकार की रिव्यू पिटिशन भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इस वजह से आरक्षित वर्ग के छात्र नाराज हैं.

लखनऊ: प्वाइंट रोस्टर पर मचे विवाद के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों ने सांकेतिक धरने का आयोजन किया. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने संसद में कहा था कि वह जल्द इस को लेकर संसद में अध्यादेश लाएंगे. चुनाव को मद्दे नजर रखते हुए शिक्षकों को यह लग रहा है कि सरकार इस मुद्दे को भटका रही है.


शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में पहले की तरीके से 200 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से ही शिक्षकों को आरक्षण दिया जाए जिससे विश्वविद्यालयों में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की नियुक्ति हो सके.इस धरने में विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ साथ छात्र भी सम्मिलित हुए. सभी का यह कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इस मामले में उनके खिलाफ निर्णय दिया हो लकिन यह निर्णय पूरी तरीके से असंवैधानिक है.

शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन
शिक्षकों ने कहा कि अगर 13 प्वाइंट रोस्टर लागू हो जाता है ऐसे में दलित एवं एसटी वर्ग के लोगों को यूनिवर्सिटी में सालों तक नियुक्ति नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर थी लेकिन कई बार आश्नासन देने के बावजूद अभी तक वह संसद में इसके लिए अध्यादेश नहीं ला पाई है.

पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री ने संसद में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका मंजूर नहीं हुई तो सरकार ऑर्डनेंस लाएगी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ. असल में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2017 के फैसले को बहाल रखा था. इसमें आरक्षित पदों को भरने के लिए डिपार्टमेंट को यूनिट माना गया था. यूनिवर्सिटी के इस मामले में सरकार की रिव्यू पिटिशन भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इस वजह से आरक्षित वर्ग के छात्र नाराज हैं.

Intro:13 प्वाइंट रोस्टर पर मचे विवाद के बीच आज लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों ने सांकेतिक धरने का आयोजन किया. आपको बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने संसद में कहा था कि वह जल्द इस को लेकर संसद में अध्यादेश लाएंगे परंतु चुनाव को मद्दे नजर रखते हुए शिक्षकों में यार राय है कि सरकार मात्र इस मुद्दे को भटका रही है. शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में पहले की तरीके 200 पॉइंट रोस्टर के हिसाब से ही शिक्षकों को आरक्षण दिया जाए ताकि विश्वविद्यालयों में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की नियुक्ति हो सके.


Body:इस धरने में विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ साथ छात्र भी सम्मिलित हुए सभी का यह कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इस मामले में उनके खिलाफ निर्णय दिया हो परंतु या निर्णय पूरी तरीके से असंवैधानिक है. शिक्षकों ने कहा कि अगर 13 प्वाइंट रोस्टर लागू हो जाता है ऐसे में दलित एवं एसटी वर्ग के लोगों को यूनिवर्सिटी में सालों तक नियुक्ति नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार पहले तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर देख रही थी परंतु कई बार भरोसा देने के बावजूद अभी तक वह संसद में इसके लिए अध्यादेश नहीं ला पाई है.
आपको बता दें कि पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री ने संसद में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका मंजूर नहीं हुई तो सरकार ऑर्डनेंस लाएगी परंतु अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. असल में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2017 के फैसले को बहाल रखा था जिसमें आरक्षित पदों को भरने के लिए डिपार्टमेंट को यूनिट माना गया था ना कि यूनिवर्सिटी को इस मामले में सरकार की रिव्यू पिटिशन भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी जिस वजह से आरक्षित वर्ग के छात्र इससे नाराज हैं.


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