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इस मदरसे में बच्चों को जंजीर से बांधकर रखा जाता था, फिर शुरू हुआ सीएम योगी का एक्शन - बसपा सुप्रीमो मायावती

उत्तर प्रदेश में मदरसे का सर्वे योगी आदित्यनाथ ने शुरू कराने का फैसला लिया है. आखिरकार एकाएक यूपी सरकार मदरसों का सर्वे क्यों करा रही है? ईटीवी भारत बताएगा कि वो चार महीने पहले कौन सी ऐसी एक घटना घटी थी, जिसके बाद लिखे गए एक पत्र ने सरकार को मदरसों का सर्वे कराने के लिए मजबूर कर दिया.

मदरसा
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Published : Sep 9, 2022, 4:47 PM IST

Updated : Sep 9, 2022, 5:47 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने को लेकर योगी सरकार ने आदेश दिया तो राजनीति में भूचाल आ गया. सत्ताधारी दल इसे लोगों के हित में बता रहे तो विपक्ष इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बता रहा है. ऐसे में ये अब जानना जरूरी हो गया है कि आखिरकार एकाएक यूपी सरकार मदरसों (Survey of Madrasas in UP) का सर्वे क्यों करा रही है?

बातचीत करते संवाददाता गगन दीप मिश्रा
दरअसल, 27 मई 2022 को लखनऊ के गोसाईंगंज शिवलर स्थित सुफ्फामदीनतुल उलमा मदरसे में छात्रों के पैरों में बेड़ियां डाल कर रखा गया था. एक छात्र मदरसे से भाग कर गांव में पहुंचा तो मदरसे में अपने साथ हुई आप बीती सभी को बताई. लोगों की रूह कांप गयी थी. बच्चे को लोहे की रॉड से पीटा जाता था यही नहीं एक कमरे में जंजीर बांधकर रखा जाता था. ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इसी खबर को संज्ञान में लेते हुए यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग (State Child Rights Protection Commission) ने मदरसे की जांच करवाई तो वह अवैध मदरसा (unrecognized madrasas ) निकला. यही नहीं जब मदरसे में बाल आयोग की एक टीम जांच करने पहुंची, तो वहां बच्चों पर कट्टरपंथी विचारधारा थोपी जा रही थी. मदरसे में हाईस्कूल फेल टीचर द्वारा बच्चों को हिंसा व कट्टरता से जुड़ी बातों को पढ़ाया जाता था.



सर्वे के लिए बाल अधिकार आयोग ने लिखा था पत्र : राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (State Child Rights Protection Commission) ने लखनऊ के गोसाईगंज स्थित सुफ्फामदीनतुल उलमा मदरसे का निरीक्षण कर शासन को एक पत्र लिखा था. दो जून 2022 को आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक विभाग को राज्य में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को लेकर पत्र लिखा. आयोग ने लिखा था कि उन्होंने "गोसाईगंज स्थित मदरसे का निरीक्षण किया था, उस मदरसे में दो बच्चों को पैरों में जंजीर बांधकर रखा गया था साथ ही उस मदरसे में अनियमिततायें (Irregularities in Madrasa) भी पाई गई थीं. जांच के दौरान ही पता चला कि वह मदरसा गैर मान्यता प्राप्त था. प्रदेश में कई मदरसे गैर मान्यता प्राप्त व विधि विरूद्ध संचालित हो रहे हैं. ऐसे मदरसे बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित कराकर अपने यहां प्रवेश ले रहे हैं.

कुछ मदरसों में बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक एवं लैंगिक शोषण का प्रकरण भी आयोग के संज्ञान में आया है. ऐसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की निगरानी किसी भी विभाग द्वारा नहीं हो पाती है. जिसके कारण ऐसी अमानवीय घटनाओं की जिम्मेदारी कोई विभाग लेने को तैयार नहीं होता है. ऐसे मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापरक शिक्षा, सुदृढ़ स्वास्थ्य, सर्वांगीण विकास से वंचित हो रहे हैं. साथ ही समाज की मुख्य धारा से भी दूर होते जा रहे हैं. राष्ट्रीय बाल नीति 2013 (National Child Policy 2013) के अनुसार, बच्चे देश की धरोहर हैं, बचपन को जीवन का अटूट अंश माना गया है और यह अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है. प्रदेश का प्रत्येक बच्चा देश का भविष्य है. देश की उन्नति में बच्चों की अहम भूमिका होती है, किन्तु कुछ मदरसों के द्वारा बच्चों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए एवं 39 (एफ) की अवहेलना है, इसलिए उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे (survey of unrecognized madrasas) कराते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से बन्द कराने के लिये आवश्यक कार्यवाही करायें."

मदरसों में बच्चों को बनाया जा रहा है कट्टर : आयोग
आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी के मुताबिक, उन्हें खुशी है कि उन्होंने मदरसों में गर्त में जाते बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए जो पत्र शासन को लिखा था, उस पर अब कार्रवाई हो रही है. उन्होंने बताया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों (unrecognized madrasas) में छोटे छोटे बच्चों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. जान बूझकर उन्हें गर्मी में कंबल में सुलाया जा रहा है, ताकि वो हर स्थिति के लिए तैयार रहें. यही नहीं जिन बच्चों का प्राथमिक स्कूलों में एडमिशन हो चुका है उनके माता पिता को बहला फुसला कर मदरसे में रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यूपी में हजारों अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं, जहां बच्चों को एनसीईआरटी नहीं बल्कि कुछ और ही पढ़ाया जा रहा है. इन्ही बातों को लेकर उन्होंने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक विभाग को लिखा था.

कब तक होगा सर्वे? : यूपी सरकार मदरसों का सर्वे करा रही है. एसडीएम, बीएसए व जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सर्वे में कुल ग्यारह बिंदुओं पर जानकारी इकट्ठाकर 10 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट जिलों के डीएम को सौंपेंगे. डीएम 25 अक्टूबर तक शासन को रिपोर्ट देंगे. इसके लिए सभी जिलों के जिलाधिकारियों ने सर्वे करने के लिए पत्र भी जारी कर दिए हैं.


नेताओं ने की बयानबाजी, धर्मगुरु नाराज : यूपी में मदरसों के सर्वे पर कई नेताओं व धर्मगुरुओं ने प्रतिक्रिया दी है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Chief Asaduddin Owaisi) ने कहा, 'सभी मदरसे आर्टिकल 30 के तहत हैं फिर यूपी की सरकार ने सर्वे का आदेश क्यों दिया. यह सर्वे नहीं, बल्कि छोटा एनआरसी है. बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने कहा कि 'यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नजर है. मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चन्दे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप का प्रयास अनुचित, जबकि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए'.

यह भी पढ़ें : सरकारी स्कूलों की भ्रष्टाचार, महज 9 महीने में टूट गया लाखों का फर्नीचर

जमीयत (एएम) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि व्यवस्था को सुधारने की बात अपनी जगह है, लेकिन हमें सरकार की मंशा को समझना चाहिए. क्योंकि मदरसे साम्प्रदायिक लोगों की आंखों में खटकते हैं. मोहतिमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी का बयान आया कि वो 200 से ज्यादा मदरसों के संचालकों की बैठक 24 सितंबर को बुलाकर योगी सरकार की मदरसा सर्वे योजना का विरोध करेंगे.

यह भी पढ़ें : लाइब्रेरी अध्यक्ष मृदुला पंडित बनी करोड़ पति, आय से अधिक संपत्ति के मामले में FIR

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने को लेकर योगी सरकार ने आदेश दिया तो राजनीति में भूचाल आ गया. सत्ताधारी दल इसे लोगों के हित में बता रहे तो विपक्ष इसे मुस्लिमों के खिलाफ साजिश बता रहा है. ऐसे में ये अब जानना जरूरी हो गया है कि आखिरकार एकाएक यूपी सरकार मदरसों (Survey of Madrasas in UP) का सर्वे क्यों करा रही है?

बातचीत करते संवाददाता गगन दीप मिश्रा
दरअसल, 27 मई 2022 को लखनऊ के गोसाईंगंज शिवलर स्थित सुफ्फामदीनतुल उलमा मदरसे में छात्रों के पैरों में बेड़ियां डाल कर रखा गया था. एक छात्र मदरसे से भाग कर गांव में पहुंचा तो मदरसे में अपने साथ हुई आप बीती सभी को बताई. लोगों की रूह कांप गयी थी. बच्चे को लोहे की रॉड से पीटा जाता था यही नहीं एक कमरे में जंजीर बांधकर रखा जाता था. ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इसी खबर को संज्ञान में लेते हुए यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग (State Child Rights Protection Commission) ने मदरसे की जांच करवाई तो वह अवैध मदरसा (unrecognized madrasas ) निकला. यही नहीं जब मदरसे में बाल आयोग की एक टीम जांच करने पहुंची, तो वहां बच्चों पर कट्टरपंथी विचारधारा थोपी जा रही थी. मदरसे में हाईस्कूल फेल टीचर द्वारा बच्चों को हिंसा व कट्टरता से जुड़ी बातों को पढ़ाया जाता था.



सर्वे के लिए बाल अधिकार आयोग ने लिखा था पत्र : राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (State Child Rights Protection Commission) ने लखनऊ के गोसाईगंज स्थित सुफ्फामदीनतुल उलमा मदरसे का निरीक्षण कर शासन को एक पत्र लिखा था. दो जून 2022 को आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक विभाग को राज्य में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को लेकर पत्र लिखा. आयोग ने लिखा था कि उन्होंने "गोसाईगंज स्थित मदरसे का निरीक्षण किया था, उस मदरसे में दो बच्चों को पैरों में जंजीर बांधकर रखा गया था साथ ही उस मदरसे में अनियमिततायें (Irregularities in Madrasa) भी पाई गई थीं. जांच के दौरान ही पता चला कि वह मदरसा गैर मान्यता प्राप्त था. प्रदेश में कई मदरसे गैर मान्यता प्राप्त व विधि विरूद्ध संचालित हो रहे हैं. ऐसे मदरसे बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित कराकर अपने यहां प्रवेश ले रहे हैं.

कुछ मदरसों में बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक एवं लैंगिक शोषण का प्रकरण भी आयोग के संज्ञान में आया है. ऐसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की निगरानी किसी भी विभाग द्वारा नहीं हो पाती है. जिसके कारण ऐसी अमानवीय घटनाओं की जिम्मेदारी कोई विभाग लेने को तैयार नहीं होता है. ऐसे मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापरक शिक्षा, सुदृढ़ स्वास्थ्य, सर्वांगीण विकास से वंचित हो रहे हैं. साथ ही समाज की मुख्य धारा से भी दूर होते जा रहे हैं. राष्ट्रीय बाल नीति 2013 (National Child Policy 2013) के अनुसार, बच्चे देश की धरोहर हैं, बचपन को जीवन का अटूट अंश माना गया है और यह अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है. प्रदेश का प्रत्येक बच्चा देश का भविष्य है. देश की उन्नति में बच्चों की अहम भूमिका होती है, किन्तु कुछ मदरसों के द्वारा बच्चों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए एवं 39 (एफ) की अवहेलना है, इसलिए उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे (survey of unrecognized madrasas) कराते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से बन्द कराने के लिये आवश्यक कार्यवाही करायें."

मदरसों में बच्चों को बनाया जा रहा है कट्टर : आयोग
आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी के मुताबिक, उन्हें खुशी है कि उन्होंने मदरसों में गर्त में जाते बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए जो पत्र शासन को लिखा था, उस पर अब कार्रवाई हो रही है. उन्होंने बताया कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों (unrecognized madrasas) में छोटे छोटे बच्चों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. जान बूझकर उन्हें गर्मी में कंबल में सुलाया जा रहा है, ताकि वो हर स्थिति के लिए तैयार रहें. यही नहीं जिन बच्चों का प्राथमिक स्कूलों में एडमिशन हो चुका है उनके माता पिता को बहला फुसला कर मदरसे में रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यूपी में हजारों अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं, जहां बच्चों को एनसीईआरटी नहीं बल्कि कुछ और ही पढ़ाया जा रहा है. इन्ही बातों को लेकर उन्होंने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक विभाग को लिखा था.

कब तक होगा सर्वे? : यूपी सरकार मदरसों का सर्वे करा रही है. एसडीएम, बीएसए व जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सर्वे में कुल ग्यारह बिंदुओं पर जानकारी इकट्ठाकर 10 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट जिलों के डीएम को सौंपेंगे. डीएम 25 अक्टूबर तक शासन को रिपोर्ट देंगे. इसके लिए सभी जिलों के जिलाधिकारियों ने सर्वे करने के लिए पत्र भी जारी कर दिए हैं.


नेताओं ने की बयानबाजी, धर्मगुरु नाराज : यूपी में मदरसों के सर्वे पर कई नेताओं व धर्मगुरुओं ने प्रतिक्रिया दी है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Chief Asaduddin Owaisi) ने कहा, 'सभी मदरसे आर्टिकल 30 के तहत हैं फिर यूपी की सरकार ने सर्वे का आदेश क्यों दिया. यह सर्वे नहीं, बल्कि छोटा एनआरसी है. बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने कहा कि 'यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नजर है. मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चन्दे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप का प्रयास अनुचित, जबकि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए'.

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जमीयत (एएम) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि व्यवस्था को सुधारने की बात अपनी जगह है, लेकिन हमें सरकार की मंशा को समझना चाहिए. क्योंकि मदरसे साम्प्रदायिक लोगों की आंखों में खटकते हैं. मोहतिमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी का बयान आया कि वो 200 से ज्यादा मदरसों के संचालकों की बैठक 24 सितंबर को बुलाकर योगी सरकार की मदरसा सर्वे योजना का विरोध करेंगे.

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Last Updated : Sep 9, 2022, 5:47 PM IST
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