लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भाजपा ने नई सरकार के गठन के लिए मंथन शुरू कर दिया है. वहीं, अकेले 111 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी ने भी विपक्ष में बैठने के लिए अपनी तैयारियों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है.
शनिवार को सपा प्रदेश कार्यालय में अखिलेश यादव ने अपने नवनिर्वाचित विधायकों से मुलाकात की. इस मौके पर उनके चाचा शिवपाल यादव भी मौजूद रहे. पार्टी सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी की ओर से शिवपाल को सदन में विरोधी दल का नेता बनाए जाने पर आम सहमति बन गयी है.
पार्टी कार्यालय में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के साथ करीब एक घंटे बैठक की. इस बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य भी मौजूद रहे. बैठक में विधानसभा में शिवपाल को नेता विरोधी दल बनाये जाने पर चर्चा हुई. माना जा रहा है कि यह लगभग तय हो चुका है कि सदन में योगी सरकार को घेरने के लिए शिवपाल को ही आगे किया जाएगा.
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इससे पहले भी मायावती सरकार के दौरान शिवपाल विरोधी दल नेता की भूमिका निभा चुके हैं. साल 2017 से 2022 तक पार्टी के कद्दावर नेता राम गोविंद चौधरी विरोधी दल के नेता थे. इस चुनाव में राम गोविंद चुनाव हार गए हैं.
क्या पूरी तरह से समाजवादी हो जाएंगे शिवपाल!
शिवपाल यादव ने इस बार भी इटावा की जसवंतनगर सीट से जीत दर्ज की है. उन्होंने समाजवादी पार्टी के सिंबल से चुनाव लड़ा था हालांकि अभी भी वो अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. ऐसे में अब ये संभावना जताई जा रही है कि जब अखिलेश यादव को शिवपाल ने अपना नेता मान लिया है तो आगे भी सपा द्वारा दिए जाने वाले सभी कार्यभार वो संभालने के लिए तैयार हैं.
गौरतलब है कि शिवपाल ने जसवंतनगर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विवेक शाक्य को 90,979 वोटों से शिकस्त देकर जीत दर्ज की है. जसवंत नगर विधानसभा सीट पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव सात बार चुनाव जीते हैं. उनके भाई शिवपाल यादव लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के इस चुनाव में प्रदर्शन की बात करें तो सपा गठबंधन को कुल 125 सीटें मिलीं हैं जिसमें सपा को 111, रालोद को 8 और सुभासपा को 6 सीटों पर जीत मिली है.
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