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उत्तर प्रदेश के आशिक मिजाज पुलिसकर्मी महकमे को कर रहे शर्मसार

यूपी के चंद आशिक मिजाज पुलिसकर्मी खाकी को कलंकित कर रहे हैं. पुलिस के आला अफसरों को ऐसे कर्मचारियों की कारगुजारियों का संज्ञान लेकर जल्द ठोस कर्रवाई करनी चाहिए.

some officials cause embarrassment to uttar pradesh police department
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Published : Aug 25, 2021, 4:18 PM IST

लखनऊ: कई जिलों में पुलिस का शर्मनाक चेहरा सामने आया है, लेकिन हाल ही की बस्ती के दुबौलिया थाना क्षेत्र में 'रंगरेलियां' मनाने गए दरोगा अशोक चतुर्वेदी को खंभे से बांधकर पीटने की घटना ने खाकी को शर्मसार कर दिया. दारोगा की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. बस्ती के कप्तान ने इस आशिक मिजाज दारोगा को निलंबित कर बर्खास्त कर दिया है. यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पूर्व भी आशिक मिजाज पुलिसकर्मी महकमे और खाकी पर बट्टा लगाते रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में खाकी हो रही कलंकित


बस्ती जिले के दुबौलिया थाना क्षेत्र के ऊंची गांव में कथित आशिक मिजाज दारोगा अशोक चतुर्वेदी की ग्रामीणों ने खंभे में बांधकर पीटा और पुलिस ने उसे किसी तरह छुड़ाकर अपने साथ ले गई. दुबौलिया थाने पर तैनात आशिक मिजाज दरोगा अक्सर अपनी बाइक से रात के अंधेरे में ऊंची गांव में आते और चोरी-छिपे निकल जाते थे. बीती 18 अगस्त की रात फिर गांव आए. एक स्कूल परिसर में उन्होंने अपनी बाइक खड़ी कर दी और एक महिला के घर में घुस गए. इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया. वह दारोगा के घर से बाहर निकलने का इंतजार करने लगे. जैसे ही तड़के दारोगा घर से बाहर निकले और ग्रामीणों को इकट्ठा देखा तो वह बौखला गए. उन्होंने फायरिंग कर दी, जिससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए और आशिक मिजाज दारोगा की जमकर धुनाई कर दी. धुनाई के बाद उन्हें एक लकड़ी के खंभे में बांध दिया. 112-यूपी पुलिस ने किसी तरह मौके से दारोगा को छुड़ाया और अपने साथ ले गए. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. प्रथम दृष्टया दारोगा को दोषी पाए जाने की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पहले दारोगा को निलंबित किया और फिर ग्रामीण संग्राम सिंह पर जानलेवा हमला करने और धमकी देने के मामले में मुकदमा दर्जकर दारोगा अशोक चतुर्वेदी को बर्खास्त कर दिया गया.


दारोगा दीपक सिंह की आशिक मिजाजी से बस्ती पुलिस को शर्मसार होना पड़ा. दरअसल, इसकी शुरुआत कोरोना संक्रमण की पहली लहर से हुई. कोतवाली के सोनूपार चौकी प्रभारी रहे दीपक सिंह पर एक युवती ने गंभीर आरोप लगाए थे. युवती की शिकायत में कहा गया कि 31 मार्च 2020 को वह घर से अपनी दादी की दवा लेने गई थी. उस समय लॉकडाउन चल रहा था. उस समय सोनूपार चौकी पर तैनात दारोगा दीपक सिंह ने उसे रोका और गाड़ी के कागजात चेकिंग के बहाने, उसका मोबाइल नंबर ले लिया. उसी दिन से दारोगा उसके मोबाइल नंबर पर फोन करने लगा था. इस पर आपत्ति जताते हुए पुलिस में शिकायत की तो पट्टीदारी के विवाद को आधार बनाकर उसके घरवालों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए. काफी मशक्कत के बाद शासन स्तर से उच्चस्तरीय जांच के आदेश बाद पुलिस महकमा हरकत में आया. जांच में दोषी पाए जाने पर दरोगा के खिलाफ युवती से अश्लील चैट, आपत्तिजनक व्यवहार, उत्पीड़न समेत अन्य आरोपों में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया. गोरखपुर जिले के चौरीचौरा थाना क्षेत्र का रहने वाला आरोपी दरोगा दीपक सिंह 18 जून 2021 को जेल से जमानत पर रिहा हुआ तो उसे बहराइच अटैच कर दिया गया. मुकदमे की जांच में चार्जशीट दाखिल होने के बाद विभागीय नियमानुसार उसे पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

इसी साल बीती 7 जुलाई को उन्नाव के ग्रामीण सर्किल में तैनात और मूलरूप से गोरखपुर मंडल के एक जिले के रहने वाले सीओ होटल में अपनी मातहत सिपाही के साथ 'रंगरेलियां' मना रहे थे. वह एसपी उन्नाव से अवकाश लेकर घर के लिए निकले और उन्होंने अपना मोबाइल फोन स्वीच ऑफ कर लिया था. रात में पत्नी ने नंबर मिलाया तो सभी नंबर बंद मिले. उन्होंने पति के साथ अनहोनी होने की आशंका में एसपी उन्नाव को रात ही फोन कर दिया. आनन-फानन उन्नाव की सर्विलांस टीम को सक्रिय किया और आधी रात के बाद सीओ को महिला सिपाही के साथ माल रोड स्थित एक होटल में पाया गया.

होटल में इंट्री करते समय सीओ और उनकी महिला मित्र सीसीटीवी कैमरे में दोपहर करीब चार बजे कैद हुए थे. ये CCTV फुटेज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. खास बात यह है कि इतना सब होने के बाद भी सीओ ने महिला सिपाही के साथ ही होटल में रात बिताई और सुबह होने पर गए. सीओ और उनकी महिला सिपाही मित्र ने अपने-अपने पहचान पत्र दिए थे. उम्र में बहुत अधिक अंतर न होने की वजह से होटल प्रबंधक भी माजरा भांप नहीं पाए. सीओे ने पुलिस से जुड़ी अपनी पहचान भी गुप्त रखी थी. सीओ को जब रात उन्नाव पुलिस द्वारा पता चला कि पत्नी परेशान हैं, तो उन्होंने पत्नी से वीडियो काल करके बात की. हालांकि पत्नी को यह आभास नहीं होने दिया कि वह महिला सिपाही के साथ हैं.

बीती 18 जनवरी को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पुलिस का शर्मनाक चेहरा सामने आया. यहां दो सिपाहियों ने पुलिस चौकी को अय्याशी का अड्डा बनाते हुए कई गैर कानूनी काम किए. इसके चलते दोनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया. आरोप है कि दोनों सिपाही कॉल गर्ल के साथ मिलकर लड़कों को ब्लैकमेल किया करते थे. जब यह लड़के कॉल गर्ल के साथ आपत्तिजनक स्थिति में होते थे, तो सिपाही मौके पर दबिश देकर उनको पकड़ लेते थे और छोड़ने की एवज में भारी-भरकम रकम ऐंठ लिया करते थे.

थाना सेहरामऊ उत्तरी की चौकी गढ़वा खेड़ा से संबंधित एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें एक युवक और एक लड़की की बातचीत थी. बातचीत में युवती बता रही थी कि चौकी के सिपाही सचिन और विपिन ने उनके साथ गलत काम किया और कई युवकों को सेक्स के मामले में फंसाया है. इसी आडियो के बाद सिपाही विपिन और सचिन को निलंबित कर दिया गया. युवती ने आरोप लगाया था कि उसकी चौकी पर तैनात महेंद्र सिपाही से जान-पहचान है और महेंद्र ने उसके साथ दुष्कर्म भी किया है. निलंबित हुए आरोपी सिपाही सचिन और विपिन ने चौकी पर तैनात महेंद्र और चाहत कुमार नामक सिपाहियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए साजिश कर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया.

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि सोच बदलने से आपराधिक प्रवृत्ति पर रोक लग सकती है. वैसे पुलिस की वर्दी फर्ज, जिम्मेदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जानी जाती है. वर्दी वक्त के साथ अपनी जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाना जानती है. देश के लिए शहादत देने की बात हो या कानून का सख्ती से पालन कराने की या फिर प्यार की भाषा से जागरूकता लाने की, हर मौके पर पुलिस ने अपना फर्ज बखूबी निभाया है. देश के सबसे बड़े राज्य की पुलिस बल में चंद के कृत्यों से हमें शर्मिंदा होना पड़ता है. इसके लिए यूपी पुलिस ने अपने कर्मचारियों को कानून, आचरण और सामाजिक रहन-सहन का पाठ पढ़ाने का अभियान चलाती रहती है. कोशिश रहती है कि हमारे जवान कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से ड्यूटी करें और आचरण स्वस्थ रखें.

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2020 में जनवरी से दिसंबर माह के बीच करीब 2000 से अधिक पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है, जबकि साल 2019 में जहां महज 106 दागी पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिया गया था, वहीं इससे पहले 2011 में 1,156 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. कार्रवाई का आधार विवेचना में दुर्व्यवहार, कर्तव्य पालन में लापरवाही और भ्रष्टाचार बताया गया. वर्ष 2021 में कार्रवाई का आंकड़ा और बढ़ सकता है. कारण बिकरू कांड के बाद एसआईटी जांच में 37 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए. दोषी पुलिसकर्मियों पर विभागीय जांच लगभग पूरी हो चुकी है. इसमें 7 पुलिसकर्मियों को गलत व्यवहार और 17 पुलिस वालों को नोटिस जारी किया गया है. जल्द इन पर गाज गिरेगी. साथ ही आशिक मिजाजी के कारण दो दारोगा बर्खास्त हो चुके हैं.

लखनऊ: कई जिलों में पुलिस का शर्मनाक चेहरा सामने आया है, लेकिन हाल ही की बस्ती के दुबौलिया थाना क्षेत्र में 'रंगरेलियां' मनाने गए दरोगा अशोक चतुर्वेदी को खंभे से बांधकर पीटने की घटना ने खाकी को शर्मसार कर दिया. दारोगा की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. बस्ती के कप्तान ने इस आशिक मिजाज दारोगा को निलंबित कर बर्खास्त कर दिया है. यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पूर्व भी आशिक मिजाज पुलिसकर्मी महकमे और खाकी पर बट्टा लगाते रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में खाकी हो रही कलंकित


बस्ती जिले के दुबौलिया थाना क्षेत्र के ऊंची गांव में कथित आशिक मिजाज दारोगा अशोक चतुर्वेदी की ग्रामीणों ने खंभे में बांधकर पीटा और पुलिस ने उसे किसी तरह छुड़ाकर अपने साथ ले गई. दुबौलिया थाने पर तैनात आशिक मिजाज दरोगा अक्सर अपनी बाइक से रात के अंधेरे में ऊंची गांव में आते और चोरी-छिपे निकल जाते थे. बीती 18 अगस्त की रात फिर गांव आए. एक स्कूल परिसर में उन्होंने अपनी बाइक खड़ी कर दी और एक महिला के घर में घुस गए. इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया. वह दारोगा के घर से बाहर निकलने का इंतजार करने लगे. जैसे ही तड़के दारोगा घर से बाहर निकले और ग्रामीणों को इकट्ठा देखा तो वह बौखला गए. उन्होंने फायरिंग कर दी, जिससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए और आशिक मिजाज दारोगा की जमकर धुनाई कर दी. धुनाई के बाद उन्हें एक लकड़ी के खंभे में बांध दिया. 112-यूपी पुलिस ने किसी तरह मौके से दारोगा को छुड़ाया और अपने साथ ले गए. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. प्रथम दृष्टया दारोगा को दोषी पाए जाने की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पहले दारोगा को निलंबित किया और फिर ग्रामीण संग्राम सिंह पर जानलेवा हमला करने और धमकी देने के मामले में मुकदमा दर्जकर दारोगा अशोक चतुर्वेदी को बर्खास्त कर दिया गया.


दारोगा दीपक सिंह की आशिक मिजाजी से बस्ती पुलिस को शर्मसार होना पड़ा. दरअसल, इसकी शुरुआत कोरोना संक्रमण की पहली लहर से हुई. कोतवाली के सोनूपार चौकी प्रभारी रहे दीपक सिंह पर एक युवती ने गंभीर आरोप लगाए थे. युवती की शिकायत में कहा गया कि 31 मार्च 2020 को वह घर से अपनी दादी की दवा लेने गई थी. उस समय लॉकडाउन चल रहा था. उस समय सोनूपार चौकी पर तैनात दारोगा दीपक सिंह ने उसे रोका और गाड़ी के कागजात चेकिंग के बहाने, उसका मोबाइल नंबर ले लिया. उसी दिन से दारोगा उसके मोबाइल नंबर पर फोन करने लगा था. इस पर आपत्ति जताते हुए पुलिस में शिकायत की तो पट्टीदारी के विवाद को आधार बनाकर उसके घरवालों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए. काफी मशक्कत के बाद शासन स्तर से उच्चस्तरीय जांच के आदेश बाद पुलिस महकमा हरकत में आया. जांच में दोषी पाए जाने पर दरोगा के खिलाफ युवती से अश्लील चैट, आपत्तिजनक व्यवहार, उत्पीड़न समेत अन्य आरोपों में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया. गोरखपुर जिले के चौरीचौरा थाना क्षेत्र का रहने वाला आरोपी दरोगा दीपक सिंह 18 जून 2021 को जेल से जमानत पर रिहा हुआ तो उसे बहराइच अटैच कर दिया गया. मुकदमे की जांच में चार्जशीट दाखिल होने के बाद विभागीय नियमानुसार उसे पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

इसी साल बीती 7 जुलाई को उन्नाव के ग्रामीण सर्किल में तैनात और मूलरूप से गोरखपुर मंडल के एक जिले के रहने वाले सीओ होटल में अपनी मातहत सिपाही के साथ 'रंगरेलियां' मना रहे थे. वह एसपी उन्नाव से अवकाश लेकर घर के लिए निकले और उन्होंने अपना मोबाइल फोन स्वीच ऑफ कर लिया था. रात में पत्नी ने नंबर मिलाया तो सभी नंबर बंद मिले. उन्होंने पति के साथ अनहोनी होने की आशंका में एसपी उन्नाव को रात ही फोन कर दिया. आनन-फानन उन्नाव की सर्विलांस टीम को सक्रिय किया और आधी रात के बाद सीओ को महिला सिपाही के साथ माल रोड स्थित एक होटल में पाया गया.

होटल में इंट्री करते समय सीओ और उनकी महिला मित्र सीसीटीवी कैमरे में दोपहर करीब चार बजे कैद हुए थे. ये CCTV फुटेज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. खास बात यह है कि इतना सब होने के बाद भी सीओ ने महिला सिपाही के साथ ही होटल में रात बिताई और सुबह होने पर गए. सीओ और उनकी महिला सिपाही मित्र ने अपने-अपने पहचान पत्र दिए थे. उम्र में बहुत अधिक अंतर न होने की वजह से होटल प्रबंधक भी माजरा भांप नहीं पाए. सीओे ने पुलिस से जुड़ी अपनी पहचान भी गुप्त रखी थी. सीओ को जब रात उन्नाव पुलिस द्वारा पता चला कि पत्नी परेशान हैं, तो उन्होंने पत्नी से वीडियो काल करके बात की. हालांकि पत्नी को यह आभास नहीं होने दिया कि वह महिला सिपाही के साथ हैं.

बीती 18 जनवरी को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पुलिस का शर्मनाक चेहरा सामने आया. यहां दो सिपाहियों ने पुलिस चौकी को अय्याशी का अड्डा बनाते हुए कई गैर कानूनी काम किए. इसके चलते दोनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया. आरोप है कि दोनों सिपाही कॉल गर्ल के साथ मिलकर लड़कों को ब्लैकमेल किया करते थे. जब यह लड़के कॉल गर्ल के साथ आपत्तिजनक स्थिति में होते थे, तो सिपाही मौके पर दबिश देकर उनको पकड़ लेते थे और छोड़ने की एवज में भारी-भरकम रकम ऐंठ लिया करते थे.

थाना सेहरामऊ उत्तरी की चौकी गढ़वा खेड़ा से संबंधित एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें एक युवक और एक लड़की की बातचीत थी. बातचीत में युवती बता रही थी कि चौकी के सिपाही सचिन और विपिन ने उनके साथ गलत काम किया और कई युवकों को सेक्स के मामले में फंसाया है. इसी आडियो के बाद सिपाही विपिन और सचिन को निलंबित कर दिया गया. युवती ने आरोप लगाया था कि उसकी चौकी पर तैनात महेंद्र सिपाही से जान-पहचान है और महेंद्र ने उसके साथ दुष्कर्म भी किया है. निलंबित हुए आरोपी सिपाही सचिन और विपिन ने चौकी पर तैनात महेंद्र और चाहत कुमार नामक सिपाहियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए साजिश कर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया.

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि सोच बदलने से आपराधिक प्रवृत्ति पर रोक लग सकती है. वैसे पुलिस की वर्दी फर्ज, जिम्मेदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जानी जाती है. वर्दी वक्त के साथ अपनी जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाना जानती है. देश के लिए शहादत देने की बात हो या कानून का सख्ती से पालन कराने की या फिर प्यार की भाषा से जागरूकता लाने की, हर मौके पर पुलिस ने अपना फर्ज बखूबी निभाया है. देश के सबसे बड़े राज्य की पुलिस बल में चंद के कृत्यों से हमें शर्मिंदा होना पड़ता है. इसके लिए यूपी पुलिस ने अपने कर्मचारियों को कानून, आचरण और सामाजिक रहन-सहन का पाठ पढ़ाने का अभियान चलाती रहती है. कोशिश रहती है कि हमारे जवान कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से ड्यूटी करें और आचरण स्वस्थ रखें.

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2020 में जनवरी से दिसंबर माह के बीच करीब 2000 से अधिक पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है, जबकि साल 2019 में जहां महज 106 दागी पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिया गया था, वहीं इससे पहले 2011 में 1,156 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. कार्रवाई का आधार विवेचना में दुर्व्यवहार, कर्तव्य पालन में लापरवाही और भ्रष्टाचार बताया गया. वर्ष 2021 में कार्रवाई का आंकड़ा और बढ़ सकता है. कारण बिकरू कांड के बाद एसआईटी जांच में 37 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए. दोषी पुलिसकर्मियों पर विभागीय जांच लगभग पूरी हो चुकी है. इसमें 7 पुलिसकर्मियों को गलत व्यवहार और 17 पुलिस वालों को नोटिस जारी किया गया है. जल्द इन पर गाज गिरेगी. साथ ही आशिक मिजाजी के कारण दो दारोगा बर्खास्त हो चुके हैं.

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