लखनऊ : विकास प्राधिकरण में ट्रांसपोर्ट नगर के 90 बड़े प्लाॅटों का घोटाला जमींदोज कर दिया गया है. इन प्लॉटों की बाजार कीमत करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए है. इस मामले में 2020 में एफआईआर दर्ज हुई थी, मगर अब तक किसी भी जिम्मेदार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. प्रकरण को उठाने वाले ट्रांसपोर्ट यूनियन के नेता अभी भी लगातार अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं. जांच उन्हीं बाबू और अफसरों के जिम्मे है जिनकी इस पूरे घोटाले में मिलीभगत है. मामले को उठाने वाले ट्रांसपोर्टर का कहना है कि रजिस्ट्रार विभाग से लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण तक हर स्तर पर खाली प्लॉटों के फर्जी कागज तैयार किए गए हैं. मूल फाइलें गायब हैं. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है. मांग की जा रही है कि इस पूरे प्रकरण की जांच स्पेशल टास्क फोर्स के जरिए कराई जाएगी तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा.
लखनऊ विकास प्राधिकरण की ट्रांसपोर्ट नगर योजना में यह पूरा खेल हुआ है. इस मामले को उठाने वाले ट्रांसपोर्टर हरप्रीत भाटिया ने बताया कि यह मामला 2020 में उठाया था. इस मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि खाली भूखंड फ़र्ज़ी तरीके से आवंटित किए गये थे. इसी तरह से अनेक खामियां कागजों में हैं. एलडीए ने खुद 80 भूखंडों की एक सूची जारी की और मुकदमा दर्ज करवाया. मगर बाद में पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
हरप्रीत सिंह भाटिया ने बताया कि यह पूरा घोटाला 150 करोड़ रुपये का है, जिसमें एसटीएफ के जांच शुरू करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि एलडीए के पूर्व संयुक्त सचिव डीएम कटियार की इसमें मिलीभगत थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ. पिछली जनसुनवाई में एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी से बात की थी, जिन्होंने नए सिरे से जांच शुरू करने की बात की है.
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इस मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी नए सिरे से जांच कराएंगे. उनका कहना है कि इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी.
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