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ई-रिक्शा चालकों के ठेंगे पर परिवहन विभाग के नियम-कानून - rules of transport department

परिवहन विभाग में ई-रिक्शा के लिए नियम-कानून तो तमाम बनाए हैं लेकिन ई- रिक्शा चालक परिवहन विभाग के सभी नियमों को ठेंगे पर रख रहे हैं. नियम यह है कि ई- रिक्शा चालक के पास लाइसेंस पहले होना चाहिए.

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ई-रिक्शा चालकों के ठेंगे पर परिवहन विभाग के नियम-कानून
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Published : May 2, 2022, 9:34 PM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग में ई-रिक्शा के लिए नियम-कानून तो तमाम बनाए हैं लेकिन ई- रिक्शा चालक परिवहन विभाग के सभी नियमों को ठेंगे पर रख रहे हैं. नियम यह है कि ई- रिक्शा चालक के पास लाइसेंस पहले होना चाहिए. वहीं, ई-रिक्शा खरीद सकता है और लाइसेंसधारक ही ई-रिक्शा का संचालन भी कर सकता है. ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है. ई-रिक्शा के संचालन में ठेकेदारी प्रथा लागू है. एक ही ठेकेदार के पास दर्जनों ई-रिक्शा हैं जो किराए पर चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा ई-रिक्शा संचालक विभागीय अधिकारियों के साथ पुलिस विभाग के अधिकारियों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं. जिन रूटों पर ई- रिक्शा झाक तक नहीं सकते हैं वहां पर खुलेआम दौड़ रहे हैं.

हजरतगंज जैसे पॉश इलाके में भी ई-रिक्शा चालक जमकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. कार्रवाई के बजाय अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं. हजरतगंज चौराहे पर पुलिस की आंखों के सामने से ही ई-रिक्शा सवारियों को लेकर गुजर जाते हैं लेकिन पुलिस कर्मी उन्हें रोकने तक की जहमत नहीं उठाते. तमाम ऐसे ई- रिक्शा चालक है जिसके पास लाइसेंस भी नहीं है लेकिन इसकी भी जांच करने के लिए अधिकारी सड़क पर नहीं उतरते. फिर चाहे अफसर परिवहन विभाग के हो या पुलिस विभाग के, इसी का फायदा ई-रिक्शा चालक उठा रहे हैं. जिन रूटों पर पूरी तरह से ई-रिक्शा प्रतिबंधित है. उन रूटों पर भी इनका संचालन बंद नहीं है.

ई-रिक्शा चालकों के ठेंगे पर परिवहन विभाग के नियम-कानून
लाइसेंस का कोई चक्कर ही नहीं नियम यह है कि ई-रिक्शा खरीदने से पहले वाहन स्वामी के पास लाइसेंस होना अनिवार्य है लेकिन शहर में जिस तरह से ई-रिक्शा की बाढ़ आ गई है उसमें ई-रिक्शा खरीदते समय व्यक्ति लाइसेंस धारक होगा ही, ऐसा जरूरी नहीं है. एजेंसी संचालक ई-रिक्शा खरीदने आने वाले व्यक्ति को बिना लाइसेंस के ही ई-रिक्शा बेंच देते हैं. इसके बाद कही लर्नर लाइसेंस के लिए ई- रिक्शा चालक आवेदन करता है तब तक बिना लाइसेंस के ही ई-रिक्शा का संचालन बेरोकटोक करते हैं. पुलिस के सामने से ही ई-रिक्शा गुजरते रहते हैं लेकिन पुलिसकर्मी मुंह फेर लेते हैं. नियम से ज्यादा बिठाते हैं सवारी सीटिंग क्षमता के मुताबिक ई- रिक्शा पर चार सवारियां पीछे बैठ सकती हैं और एक सवारी आगे, लेकिन पांच सवारियों के बजाय सात सवारियां लेकर आराम से ई-रिक्शा चालक ओवरलोडिंग करते हैं और इनका किराया भी निर्धारित नहीं है. ऐसे हैं ओवरचार्जिंग भी खूब करते हैं, लेकिन ओवरलोडिंग और ओवरचार्जिंग पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

इसे भी पढ़ेंः केजीएमयू में पंजीकरण की प्रक्रिया हुई आसान,अब फोन से होगा पंजीकरण

अवैध ई रिक्शा चालक कर रहे भरपूर उल्लंघन

शहर में 24000 से ज्यादा तो ई-रिक्शा अधिकृत हैं आरटीओ में पंजीकृत हैं. इसके अलावा इतनी ही संख्या में शहर की सड़कों पर अवैध ई-रिक्शा भी संचालित हो रहे हैं. इन अवैध ई रिक्शा चालकों के पास व्यवसायिक लाइसेंस है ही नहीं. तमाम ऐसे भी ई-रिक्शा चालक हैं जिनके पास साधारण लाइसेंस तक नहीं हैं. बावजूद इसके-ई रिक्शा संचालित कर रहे हैं.

इन रूटों पर निषिद्ध हैं ई-रिक्शा का संचालन

अमौसी से बारा बिरवा, हजरतगंज से बर्लिगटन चौराहा बाया रॉयल होटल, बंदरियाबाग चौराहा से पॉलिटेक्निक चौराहा, बंदरियाबाग चौराहा से हजरतगंज चौराहा, हजरतगंज चौराहा से सिकंदराबाद चौराहा, कमता पथ तिराहा से शहीद पथ मोड़ कानपुर रोड शहीद पथ तक, हजरतगंज मेफेयर परिवर्तन चौक सुभाष मार्ग, अहिमामऊ से अर्जुनगंज बाजार से रजमन चौकी से कटाई पुल से लाल बत्ती चौराहा तक, पिकअप पुल ढाल से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान विजयीपुर अंडरपास तक, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से गोमती नगर रेलवे स्टेशन तिराहे तक, हजरतगंज से परिवर्तन चौक बाया अलका मेफेयर बाल्मीकि तिराहा प्रेस क्लब, हिंदी संस्थान केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक.

क्या कहते हैं ई-रिक्शा चालक

ई-रिक्शा चालक मकबूल हसन का कहना है कि ई-रिक्शा के संचालन के लिए व्यवसायिक लाइसेंस जरूरी है जिसके पास कॉमर्शियल लाइसेंस नहीं हो वह ई-रिक्शा नहीं चला सकता है लेकिन आजकल सड़क पर तमाम ऐसे ई-रिक्शा चालक हैं जिनके पास लाइसेंस नहीं है. बावजूद इसके वे ई-रिक्शा चला रहे हैं. नियमतः यह पूरी तरह गलत है, लेकिन अब चल रहे हैं तो चल रहे हैं.

ई-रिक्शा चालक श्रवण डंके की चोट पर कहते हैं कि किसी तरह का लाइसेंस नहीं है फिर भी ई रिक्शा चला रहे हैं. शहर में ई-रिक्शा चालकों को कोई नहीं रोकता.
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लखनऊ: परिवहन विभाग में ई-रिक्शा के लिए नियम-कानून तो तमाम बनाए हैं लेकिन ई- रिक्शा चालक परिवहन विभाग के सभी नियमों को ठेंगे पर रख रहे हैं. नियम यह है कि ई- रिक्शा चालक के पास लाइसेंस पहले होना चाहिए. वहीं, ई-रिक्शा खरीद सकता है और लाइसेंसधारक ही ई-रिक्शा का संचालन भी कर सकता है. ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है. ई-रिक्शा के संचालन में ठेकेदारी प्रथा लागू है. एक ही ठेकेदार के पास दर्जनों ई-रिक्शा हैं जो किराए पर चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा ई-रिक्शा संचालक विभागीय अधिकारियों के साथ पुलिस विभाग के अधिकारियों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं. जिन रूटों पर ई- रिक्शा झाक तक नहीं सकते हैं वहां पर खुलेआम दौड़ रहे हैं.

हजरतगंज जैसे पॉश इलाके में भी ई-रिक्शा चालक जमकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. कार्रवाई के बजाय अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं. हजरतगंज चौराहे पर पुलिस की आंखों के सामने से ही ई-रिक्शा सवारियों को लेकर गुजर जाते हैं लेकिन पुलिस कर्मी उन्हें रोकने तक की जहमत नहीं उठाते. तमाम ऐसे ई- रिक्शा चालक है जिसके पास लाइसेंस भी नहीं है लेकिन इसकी भी जांच करने के लिए अधिकारी सड़क पर नहीं उतरते. फिर चाहे अफसर परिवहन विभाग के हो या पुलिस विभाग के, इसी का फायदा ई-रिक्शा चालक उठा रहे हैं. जिन रूटों पर पूरी तरह से ई-रिक्शा प्रतिबंधित है. उन रूटों पर भी इनका संचालन बंद नहीं है.

ई-रिक्शा चालकों के ठेंगे पर परिवहन विभाग के नियम-कानून
लाइसेंस का कोई चक्कर ही नहीं नियम यह है कि ई-रिक्शा खरीदने से पहले वाहन स्वामी के पास लाइसेंस होना अनिवार्य है लेकिन शहर में जिस तरह से ई-रिक्शा की बाढ़ आ गई है उसमें ई-रिक्शा खरीदते समय व्यक्ति लाइसेंस धारक होगा ही, ऐसा जरूरी नहीं है. एजेंसी संचालक ई-रिक्शा खरीदने आने वाले व्यक्ति को बिना लाइसेंस के ही ई-रिक्शा बेंच देते हैं. इसके बाद कही लर्नर लाइसेंस के लिए ई- रिक्शा चालक आवेदन करता है तब तक बिना लाइसेंस के ही ई-रिक्शा का संचालन बेरोकटोक करते हैं. पुलिस के सामने से ही ई-रिक्शा गुजरते रहते हैं लेकिन पुलिसकर्मी मुंह फेर लेते हैं. नियम से ज्यादा बिठाते हैं सवारी सीटिंग क्षमता के मुताबिक ई- रिक्शा पर चार सवारियां पीछे बैठ सकती हैं और एक सवारी आगे, लेकिन पांच सवारियों के बजाय सात सवारियां लेकर आराम से ई-रिक्शा चालक ओवरलोडिंग करते हैं और इनका किराया भी निर्धारित नहीं है. ऐसे हैं ओवरचार्जिंग भी खूब करते हैं, लेकिन ओवरलोडिंग और ओवरचार्जिंग पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

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अवैध ई रिक्शा चालक कर रहे भरपूर उल्लंघन

शहर में 24000 से ज्यादा तो ई-रिक्शा अधिकृत हैं आरटीओ में पंजीकृत हैं. इसके अलावा इतनी ही संख्या में शहर की सड़कों पर अवैध ई-रिक्शा भी संचालित हो रहे हैं. इन अवैध ई रिक्शा चालकों के पास व्यवसायिक लाइसेंस है ही नहीं. तमाम ऐसे भी ई-रिक्शा चालक हैं जिनके पास साधारण लाइसेंस तक नहीं हैं. बावजूद इसके-ई रिक्शा संचालित कर रहे हैं.

इन रूटों पर निषिद्ध हैं ई-रिक्शा का संचालन

अमौसी से बारा बिरवा, हजरतगंज से बर्लिगटन चौराहा बाया रॉयल होटल, बंदरियाबाग चौराहा से पॉलिटेक्निक चौराहा, बंदरियाबाग चौराहा से हजरतगंज चौराहा, हजरतगंज चौराहा से सिकंदराबाद चौराहा, कमता पथ तिराहा से शहीद पथ मोड़ कानपुर रोड शहीद पथ तक, हजरतगंज मेफेयर परिवर्तन चौक सुभाष मार्ग, अहिमामऊ से अर्जुनगंज बाजार से रजमन चौकी से कटाई पुल से लाल बत्ती चौराहा तक, पिकअप पुल ढाल से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान विजयीपुर अंडरपास तक, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से गोमती नगर रेलवे स्टेशन तिराहे तक, हजरतगंज से परिवर्तन चौक बाया अलका मेफेयर बाल्मीकि तिराहा प्रेस क्लब, हिंदी संस्थान केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक.

क्या कहते हैं ई-रिक्शा चालक

ई-रिक्शा चालक मकबूल हसन का कहना है कि ई-रिक्शा के संचालन के लिए व्यवसायिक लाइसेंस जरूरी है जिसके पास कॉमर्शियल लाइसेंस नहीं हो वह ई-रिक्शा नहीं चला सकता है लेकिन आजकल सड़क पर तमाम ऐसे ई-रिक्शा चालक हैं जिनके पास लाइसेंस नहीं है. बावजूद इसके वे ई-रिक्शा चला रहे हैं. नियमतः यह पूरी तरह गलत है, लेकिन अब चल रहे हैं तो चल रहे हैं.

ई-रिक्शा चालक श्रवण डंके की चोट पर कहते हैं कि किसी तरह का लाइसेंस नहीं है फिर भी ई रिक्शा चला रहे हैं. शहर में ई-रिक्शा चालकों को कोई नहीं रोकता.
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