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रिपोर्ट में हुआ खुलासा, देखिए कैसे 60 प्रतिशत तालाबों और झीलों पर हो गये कब्जे

लखनऊ के बेखौफ भू-माफिया चोरी-छिपे तालाबों व झीलों को पाटकर जमीनों का सौदा कर रहे हैं. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग और यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है.

लखनऊ स्थित तालाब
लखनऊ स्थित तालाब
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Published : Jun 17, 2022, 6:23 PM IST

लखनऊ: लखनऊ के बेखौफ भू-माफियाओं की नजर शहर के तालाबों और झीलों पर है. चोरी-छिपे तालाबों को पाटकर जमीनों का सौदा हो रहा है. इसका खुलासा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग और यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन में हुआ है. इस रिपोर्ट पर भरोसा करें तो लखनऊ के 60% जल स्रोतों जैसे तालाब व झील पर अब कब्जा हो चुका है. साथ ही इन जल स्रोतों में सीवर और गंदा पानी डालकर जहरीला बनाया जा रहा है.

बीबीएयू के पर्यावरण अध्ययन विभाग और यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की रिपोर्ट को इंटरनेशनल जनरल ऑफ रिसर्च पब्लिकेशन एंड रिव्यू में प्रकाशित किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर समय रहते झीलों और तालाबों की निगरानी कराकर संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले समय में बहुत दिक्कत हो सकती है. शोध करने वाली टीम में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के डॉक्टर वेंकटेश दत्ता के साथ रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के स्कूल ऑफ जियो इंफॉर्मेटिक्स सुधाकर शुक्ला और नीति त्रिपाठी भी शामिल हुए.

जानकारी देते स्थानीय पार्षद
60 फीसदी तक कब्जे:
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014 में लखनऊ में करीब 1168 झील, तालाब को चिन्हित किया गया था. इनमें से अब करीब 60% पर कब्जे पाए गए हैं. कई जल स्रोतों पर अतिक्रमण तो कई पर पक्के निर्माण भी हो चुके हैं. जिसके कारण भूगर्भ का जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है.

यह है जमीनी हकीकत: राजाजीपुरम के सहादतगंज वार्ड में 16 बीघा का तालाब है. यहां के पार्षद मोनू कनौजिया बताते हैं कि 2017 में चुनाव जीतने के बाद से ही वह इसके सौंदर्यीकरण से लेकर कब्जा मुक्त कराने के लिए संघर्ष करते रहे. तालाब में अवैध कब्जों के प्रकरण को लेकर नगर निगम सदन में बार-बार मुद्दा उठाया. सदन के दौरान अधिकारियों ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में सब भूल गए. आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब नगर निगम ने एलडीए को इस तालाब के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी सौंपी है. मौजूदा समय में इस तालाब के एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा हो चुका है.

जिला प्रशासन के आंकड़ों में दर्ज है यह हकीकत: जिला प्रशासन के आंकड़ों के हिसाब से लखनऊ के ग्रामीण और शहरी इलाकों में करीब 9591 तालाब व अन्य जल स्रोत हैं. वर्ष 2021 में जिला प्रशासन ने खुद स्वीकार किया था कि 1614 तालाबों पर अतिक्रमण है. इनमें 430 नगर निगम की सीमा में और शेष 1194 ग्रामीण इलाकों में हैं. इन जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए बकायदा जिला प्रशासन की तरफ से एक टीम भी गठित की गई थी. टीम ने कुछ दिनों तक सक्रियता से कार्रवाई भी की, लेकिन स्थितियां जस की तस हैं.

ये भी पढ़ें : कोयले की किल्लत के साथ अब तापीय इकाइयाें में वाहन का संकट

लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. नीरज जैन ने बताया कि बीते 30 से 40 सालों में कई तालाब और झीलें खत्म हो गई हैं. चिरैया झील सूख गई है. ला मार्टिनियर लेक का कोई अता-पता नहीं है. पहले लोग यहां घूमने जाया करते थे. वहीं महापौर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि नगर निगम की तरफ से लगातार जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त रखने का प्रयास किया जाता रहा है. इसके काफी अच्छे नतीजे भी आए हैं. अधिकारियों ने बड़े स्तर पर अभियान चलाकर अतिक्रमण खत्म करवाया है. आगे भी इस अभियान को जारी रखा जाएगा.

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लखनऊ: लखनऊ के बेखौफ भू-माफियाओं की नजर शहर के तालाबों और झीलों पर है. चोरी-छिपे तालाबों को पाटकर जमीनों का सौदा हो रहा है. इसका खुलासा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग और यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन में हुआ है. इस रिपोर्ट पर भरोसा करें तो लखनऊ के 60% जल स्रोतों जैसे तालाब व झील पर अब कब्जा हो चुका है. साथ ही इन जल स्रोतों में सीवर और गंदा पानी डालकर जहरीला बनाया जा रहा है.

बीबीएयू के पर्यावरण अध्ययन विभाग और यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की रिपोर्ट को इंटरनेशनल जनरल ऑफ रिसर्च पब्लिकेशन एंड रिव्यू में प्रकाशित किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर समय रहते झीलों और तालाबों की निगरानी कराकर संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले समय में बहुत दिक्कत हो सकती है. शोध करने वाली टीम में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के डॉक्टर वेंकटेश दत्ता के साथ रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के स्कूल ऑफ जियो इंफॉर्मेटिक्स सुधाकर शुक्ला और नीति त्रिपाठी भी शामिल हुए.

जानकारी देते स्थानीय पार्षद
60 फीसदी तक कब्जे: रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014 में लखनऊ में करीब 1168 झील, तालाब को चिन्हित किया गया था. इनमें से अब करीब 60% पर कब्जे पाए गए हैं. कई जल स्रोतों पर अतिक्रमण तो कई पर पक्के निर्माण भी हो चुके हैं. जिसके कारण भूगर्भ का जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है.

यह है जमीनी हकीकत: राजाजीपुरम के सहादतगंज वार्ड में 16 बीघा का तालाब है. यहां के पार्षद मोनू कनौजिया बताते हैं कि 2017 में चुनाव जीतने के बाद से ही वह इसके सौंदर्यीकरण से लेकर कब्जा मुक्त कराने के लिए संघर्ष करते रहे. तालाब में अवैध कब्जों के प्रकरण को लेकर नगर निगम सदन में बार-बार मुद्दा उठाया. सदन के दौरान अधिकारियों ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में सब भूल गए. आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब नगर निगम ने एलडीए को इस तालाब के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी सौंपी है. मौजूदा समय में इस तालाब के एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा हो चुका है.

जिला प्रशासन के आंकड़ों में दर्ज है यह हकीकत: जिला प्रशासन के आंकड़ों के हिसाब से लखनऊ के ग्रामीण और शहरी इलाकों में करीब 9591 तालाब व अन्य जल स्रोत हैं. वर्ष 2021 में जिला प्रशासन ने खुद स्वीकार किया था कि 1614 तालाबों पर अतिक्रमण है. इनमें 430 नगर निगम की सीमा में और शेष 1194 ग्रामीण इलाकों में हैं. इन जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए बकायदा जिला प्रशासन की तरफ से एक टीम भी गठित की गई थी. टीम ने कुछ दिनों तक सक्रियता से कार्रवाई भी की, लेकिन स्थितियां जस की तस हैं.

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लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. नीरज जैन ने बताया कि बीते 30 से 40 सालों में कई तालाब और झीलें खत्म हो गई हैं. चिरैया झील सूख गई है. ला मार्टिनियर लेक का कोई अता-पता नहीं है. पहले लोग यहां घूमने जाया करते थे. वहीं महापौर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि नगर निगम की तरफ से लगातार जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त रखने का प्रयास किया जाता रहा है. इसके काफी अच्छे नतीजे भी आए हैं. अधिकारियों ने बड़े स्तर पर अभियान चलाकर अतिक्रमण खत्म करवाया है. आगे भी इस अभियान को जारी रखा जाएगा.

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