लखनऊ: राज्य सरकार विकास प्राधिकरणों में होने वाली धांधली को रोकने के लिए जल्द ही कुछ नई व्यवस्था लागू करने जा रही है. इसमें विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद में होने वाले बड़े कामों की 'थर्ड पार्टी' से जांच कराने की तैयारी है. इसके साथ ही परियोजना की देख-रेख के लिए लगाए जाने वाले अभियंताओं और अधिकारियों की सीधे जवाबदेही भी तय की जाएगी.
महत्वपूर्ण बिंदु-
- विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद में धांधली रोकने की तैयारी
- नियमों को सख्त बनाने पर विचार कर रही सरकार
- थर्ड पार्टी से काम की जांच और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने पर मंथन
विकास प्राधिकरणों में धांधली सबसे बड़ी समस्या
जमीन आवंटन हो या अवैध निर्माणों को ध्वस्त करना या फिर विकास कार्यों की गुणवत्ता को लेकर आए दिन शिकायतें आना. विकास प्राधिकरणों में यह सबसे बड़ी समस्या है. शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों की बैठक में विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद में होने वाली धांधली को रोकने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने पर मंथन चल रहा है. इसमें अधिकारियों और अभियंताओं की सीधी जवाबदेही तय करते हुए उन पर निलंबन या फिर स्थानांतरण की कार्रवाई का विचार किया गया. वहीं विकास कार्यों की थर्ड पार्टी से जांच कराने पर विचार-विमर्श किया गया.
ठेकेदारों को दोबारा नहीं मिलेगा काम
थर्ड पार्टी जांच के बाद किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर संबंधित ठेकेदार को दोबारा काम नहीं मिलेगा. इतना ही नहीं उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा और परियोजना में जितनी गड़बड़ी हुई होगी उतनी रकम उसके भुगतान से काटने का भी फैसला हो सकता है. ऐसे में अगर ये नियम लागू हो गए तो धांधली करने से पहले ठेकेदार एक बार जरूर सोचेगा. शासन का मानना है कि ऐसे कार्रवाई से ठेकेदार के साथ अधिकारी और अभियंता भी गड़बड़ी करने से डरेंगे.