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गर्भवती महिलाएं भी हो रहीं डेंगू से संक्रमित, ऐसे रखें ख्याल

राजधानी में डेंगू का प्रकोप जारी है. अभी तक महिला अस्पताल इससे बचा हुआ था, लेकिन डेंगू से दो गर्भवती महिलाओं (pregnant women) की प्रसव के बाद मौत हो गई. राजधानी के महिला अस्पतालों में डेंगू से बचाव को लेकर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है.

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Published : Oct 1, 2022, 7:35 PM IST

लखनऊ. राजधानी में डेंगू का प्रकोप जारी है. अभी तक महिला अस्पताल इससे बचा हुआ था, लेकिन डेंगू से दो गर्भवती महिलाओं (0 की प्रसव के बाद मौत हो गई. राजधानी के महिला अस्पतालों में डेंगू से बचाव को लेकर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस महिला रोग विशेषज्ञ रंजना खरे ने बताया कि अस्पताल में आ रही उन तमाम गर्भवती महिलाओं की एलाइजा जांच हो रही है, जिनको हल्का-फुल्का भी बुखार है.

उन्होंने बताया कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 200 से 250 महिलाएं अस्पताल में दिखाने के लिए आ रही हैं. जितनी भी गर्भवती महिलाएं रेगुलर अस्पताल में आती हैं, उनका नौ माह में चार बार अल्ट्रासाउंड और जरूरी जांचें होना अनिवार्य है. वहीं जो रेफर केस आते हैं उसमें ज्यादातर महिलाओं की जांच नहीं हुई होती है. तत्काल में अगर हम देखते हैं कि गर्भवती को बुखार है, शरीर तप रहा है तो तुरंत एलाइजा जांच कराते हैं. हाल फिलहाल में तीन गर्भवती महिलाओं की हमने एलाइजा जांच प्रसव से पहले कराई, क्योंकि उन्हें अंदर ही अंदर बुखार था. ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं समय समय पर अपनी जरूरी जांच कराती रहें, ताकि प्रसव के दौरान कोई दिक्कत न हो.

झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. रंजना खरे

झलकारीबाई अस्पताल की सीएमएस ने गर्भवतियों को बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को डेंगू हो रहा है तो शुरुआती लक्षण में खाने का बिल्कुल भी मन नहीं करेगा. हो सकता है शरीर पर लाल रंग के चकत्ते भी पड़ें. प्लेटलेट्स कम होने से हालत गंभीर हो जाएगी, बीपी कम या ज्यादा की भी समस्या हो सकती है.

इनसे बचें और इनका करें सेवन : सीएमएस डॉ. खरे के मुताबिक, कोई महिला अगर प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू की शिकार है तो उसे कुछ केमिकल कंपोजिशन का सेवन करने से बचना चाहिए. इनमें इबुप्रोफेन, एस्पिरिन और डिक्लोफेनाक सोडियम शामिल हैं. इस अवस्था में महिला को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए. इसमें ओआरएस, नारियल पानी, शिकंजी, जूस के साथ-साथ घर का सादा भोजन करना चाहिए और दिन में कम से कम 2.5 लीटर पीने की सलाह दी जाती है.

यह भी पढ़ें : चलती बस में दुकानदार ने जहर खाकर दी जान, सुसाइड नोट में- लिखा प्यारी धर्मपत्नी मैं आपको आज से आजाद करता हूं

कारण और लक्षण : डॉ. खरे बताती हैं कि डेंगू एक तरह का हाईग्रेड फीवर है जोकि एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. इस मच्छर की उत्पत्ति आस-पास जमे गंदे पानी से होती है. कई बार आप जहां रहते हैं वहां किसी गमले, कूलर, बर्तन या किसी सड़क लाने में पानी जमा हो जाता है, जिससे डेंगू वायरस पनपता है. अगर आपको सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते व मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल होता है तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. ये सभी लक्षण डेंगू के हो सकते हैं. इसीलिए डेंगू से सावधानी रखने के लिए बेहतर होगा कि आप अपने आस-पास का वातावरण साफ रखें. किसी भी प्रकार से लंबे समय तक पानी कहीं भी इकट्ठा न होने दें.

यह भी पढ़ें : बस की टक्कर से बाइक सवार दो युवकों की मौके पर हुई मौत

लखनऊ. राजधानी में डेंगू का प्रकोप जारी है. अभी तक महिला अस्पताल इससे बचा हुआ था, लेकिन डेंगू से दो गर्भवती महिलाओं (0 की प्रसव के बाद मौत हो गई. राजधानी के महिला अस्पतालों में डेंगू से बचाव को लेकर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस महिला रोग विशेषज्ञ रंजना खरे ने बताया कि अस्पताल में आ रही उन तमाम गर्भवती महिलाओं की एलाइजा जांच हो रही है, जिनको हल्का-फुल्का भी बुखार है.

उन्होंने बताया कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 200 से 250 महिलाएं अस्पताल में दिखाने के लिए आ रही हैं. जितनी भी गर्भवती महिलाएं रेगुलर अस्पताल में आती हैं, उनका नौ माह में चार बार अल्ट्रासाउंड और जरूरी जांचें होना अनिवार्य है. वहीं जो रेफर केस आते हैं उसमें ज्यादातर महिलाओं की जांच नहीं हुई होती है. तत्काल में अगर हम देखते हैं कि गर्भवती को बुखार है, शरीर तप रहा है तो तुरंत एलाइजा जांच कराते हैं. हाल फिलहाल में तीन गर्भवती महिलाओं की हमने एलाइजा जांच प्रसव से पहले कराई, क्योंकि उन्हें अंदर ही अंदर बुखार था. ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं समय समय पर अपनी जरूरी जांच कराती रहें, ताकि प्रसव के दौरान कोई दिक्कत न हो.

झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. रंजना खरे

झलकारीबाई अस्पताल की सीएमएस ने गर्भवतियों को बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को डेंगू हो रहा है तो शुरुआती लक्षण में खाने का बिल्कुल भी मन नहीं करेगा. हो सकता है शरीर पर लाल रंग के चकत्ते भी पड़ें. प्लेटलेट्स कम होने से हालत गंभीर हो जाएगी, बीपी कम या ज्यादा की भी समस्या हो सकती है.

इनसे बचें और इनका करें सेवन : सीएमएस डॉ. खरे के मुताबिक, कोई महिला अगर प्रेग्नेंसी के दौरान डेंगू की शिकार है तो उसे कुछ केमिकल कंपोजिशन का सेवन करने से बचना चाहिए. इनमें इबुप्रोफेन, एस्पिरिन और डिक्लोफेनाक सोडियम शामिल हैं. इस अवस्था में महिला को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए. इसमें ओआरएस, नारियल पानी, शिकंजी, जूस के साथ-साथ घर का सादा भोजन करना चाहिए और दिन में कम से कम 2.5 लीटर पीने की सलाह दी जाती है.

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कारण और लक्षण : डॉ. खरे बताती हैं कि डेंगू एक तरह का हाईग्रेड फीवर है जोकि एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. इस मच्छर की उत्पत्ति आस-पास जमे गंदे पानी से होती है. कई बार आप जहां रहते हैं वहां किसी गमले, कूलर, बर्तन या किसी सड़क लाने में पानी जमा हो जाता है, जिससे डेंगू वायरस पनपता है. अगर आपको सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते व मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल होता है तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. ये सभी लक्षण डेंगू के हो सकते हैं. इसीलिए डेंगू से सावधानी रखने के लिए बेहतर होगा कि आप अपने आस-पास का वातावरण साफ रखें. किसी भी प्रकार से लंबे समय तक पानी कहीं भी इकट्ठा न होने दें.

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