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69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर सपा समेत अन्य राजनीतिक दल हुए सक्रिय

उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में OBC/SC आरक्षण को लेकर उठे विवाद ने राजनीतिक रूप ले लिया है. अब तक समाजवादी पार्टी इस मामले को हवा देने की कोशिश कर रही थी. वहीं अब, आम आदमी पार्टी और भीम आर्मी भी इसमें शामिल हो गए हैं.

reservation in 69000 assistant teacher recruitment
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Published : Jul 22, 2021, 11:22 AM IST

लखनऊ: भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने लखनऊ में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में उठे OBC/SC आरक्षण को लेकर घोषणा की. वहीं, आप सांसद संजय सिंह की इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाने के लिए उनके नोटिस की कॉपी सोशल मीडिया पर चर्चा बटोर रही है.

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में इस समय 69 हजार सहायक अध्यापक की भर्ती की जा रही है. इसके 3 चरणों की काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई है. जल्द ही, चयनित अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री की तरफ से नियुक्ति पत्र दिए जाने हैं. इस भर्ती प्रक्रिया में सबसे बड़ा विवाद आरक्षण को लेकर खड़ा हुआ. ओबीसी/एससी वर्ग के अभ्यर्थियों का आरोप है कि उन्हें निर्धारित मानकों से कम आरक्षण का लाभ दिया गया.

अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह केवल 3.86% सीट पर आरक्षण का लाभ मिला है. ओबीसी कोटे की 18598 सीटों में से 2637 सीट मिलीं. इसी तरह, भर्ती में एससी वर्ग को 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण दिया गया. वहीं 5844 ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग नहीं कराई गई बल्कि उनकी जगह सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को चुना गया.

इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में की गई. आयोग ने अपनी जांच में सारे आरोपों को सही पाया और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा. लेकिन, सरकार की तरफ से इसे अनसुना कर दिया गया. अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी इन अभ्यर्थियों के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर चुके हैं. उनका कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के सभी नियमों का पालन किया गया. 69 हजार शिक्षक भर्ती में 23 हजार पदों पर समायोजन कानूनी रूप से नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 18,598 पदों के सापेक्ष 31,228 अभ्यर्थियों की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से भर्ती हुई है. इसमें तय आरक्षण से अधिक ओबीसी और एससी अभ्यर्थी चुने गए. पिछड़ा वर्ग के 12,630 अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में अपनी दक्षता के आधार पर चयनित हुए हैं, लेकिन अपनी दुकान चलाने के लिए कुछ लोग युवाओं को गुमराह कर रहे हैं.

इस पूरे प्रकरण को लेकर अभ्यर्थियों की ओर से काफी समय से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. जुलाई के पहले सप्ताह में उन्होंने बेसिक शिक्षा मंत्री का उनके आवास पर घेराव किया था. घेराव के बाद आश्वासन मिलने के बाद वह लौट गए थे. आरोप है कि वार्ता के दौरान बेसिक शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने की बात कही थी. लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया. जिसके बाद बीते सोमवार से यह अभ्यर्थी लखनऊ में डटे हुए हैं.

सोमवार को अभ्यर्थियों ने एससीईआरटी कार्यालय पर धरना दिया गया. जिसके बाद उन्हें खदेड़ा गया. मंगलवार को अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री आवास से लेकर भाजपा कार्यालय तक जमकर विरोध प्रदर्शन किया. मंगलवार को हुए आंदोलन की कुछ फोटो है, सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहीं. जिसमें पुलिसकर्मी अभ्यर्थियों को घसीटते हुए और खींचते हुए नजर आए. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने ट्विटर ये फोटो शेयर कर अभ्यर्थियों का समर्थन किया.

ये भी पढ़ें- सीएम योगी आज बाल सेवा योजना का करेंगे शुभारंभ, अनाथ बच्चों को मिलेंगे चेक


अब आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी इस मामले में कूद पड़े. उनकी तरफ से राज्यसभा में इस मामले को उठाने के लिए नोटिस दिया गया है. भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर बुधवार को लखनऊ के इको गार्डन में बैठे इन प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे.

लखनऊ: भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने लखनऊ में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में उठे OBC/SC आरक्षण को लेकर घोषणा की. वहीं, आप सांसद संजय सिंह की इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाने के लिए उनके नोटिस की कॉपी सोशल मीडिया पर चर्चा बटोर रही है.

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में इस समय 69 हजार सहायक अध्यापक की भर्ती की जा रही है. इसके 3 चरणों की काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई है. जल्द ही, चयनित अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री की तरफ से नियुक्ति पत्र दिए जाने हैं. इस भर्ती प्रक्रिया में सबसे बड़ा विवाद आरक्षण को लेकर खड़ा हुआ. ओबीसी/एससी वर्ग के अभ्यर्थियों का आरोप है कि उन्हें निर्धारित मानकों से कम आरक्षण का लाभ दिया गया.

अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह केवल 3.86% सीट पर आरक्षण का लाभ मिला है. ओबीसी कोटे की 18598 सीटों में से 2637 सीट मिलीं. इसी तरह, भर्ती में एससी वर्ग को 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण दिया गया. वहीं 5844 ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग नहीं कराई गई बल्कि उनकी जगह सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को चुना गया.

इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में की गई. आयोग ने अपनी जांच में सारे आरोपों को सही पाया और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा. लेकिन, सरकार की तरफ से इसे अनसुना कर दिया गया. अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी इन अभ्यर्थियों के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर चुके हैं. उनका कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के सभी नियमों का पालन किया गया. 69 हजार शिक्षक भर्ती में 23 हजार पदों पर समायोजन कानूनी रूप से नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 18,598 पदों के सापेक्ष 31,228 अभ्यर्थियों की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से भर्ती हुई है. इसमें तय आरक्षण से अधिक ओबीसी और एससी अभ्यर्थी चुने गए. पिछड़ा वर्ग के 12,630 अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में अपनी दक्षता के आधार पर चयनित हुए हैं, लेकिन अपनी दुकान चलाने के लिए कुछ लोग युवाओं को गुमराह कर रहे हैं.

इस पूरे प्रकरण को लेकर अभ्यर्थियों की ओर से काफी समय से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. जुलाई के पहले सप्ताह में उन्होंने बेसिक शिक्षा मंत्री का उनके आवास पर घेराव किया था. घेराव के बाद आश्वासन मिलने के बाद वह लौट गए थे. आरोप है कि वार्ता के दौरान बेसिक शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने की बात कही थी. लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया. जिसके बाद बीते सोमवार से यह अभ्यर्थी लखनऊ में डटे हुए हैं.

सोमवार को अभ्यर्थियों ने एससीईआरटी कार्यालय पर धरना दिया गया. जिसके बाद उन्हें खदेड़ा गया. मंगलवार को अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री आवास से लेकर भाजपा कार्यालय तक जमकर विरोध प्रदर्शन किया. मंगलवार को हुए आंदोलन की कुछ फोटो है, सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहीं. जिसमें पुलिसकर्मी अभ्यर्थियों को घसीटते हुए और खींचते हुए नजर आए. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने ट्विटर ये फोटो शेयर कर अभ्यर्थियों का समर्थन किया.

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अब आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी इस मामले में कूद पड़े. उनकी तरफ से राज्यसभा में इस मामले को उठाने के लिए नोटिस दिया गया है. भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर बुधवार को लखनऊ के इको गार्डन में बैठे इन प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे.

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