लखनऊ: सरकारी अस्पताल में मध्यम वर्गीय और गरीब घर की महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं. पत्नी की मौत के बाद सुरेश चंद्र ने कहा कि अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने के बाद हर दवा बाहर से मंगवायी जाती है. डॉक्टर व नर्स कहते हैं कि बाहर की दवा जल्दी असर करेगी या अस्पताल में दवाई उपलब्ध नहीं है, इसलिए बाहर से दवाई मंगवाई जाती है.
क्वीन मेरी अस्पताल में दवाओं की किल्लत फैजुल्लागंज निवासी श्याम बाबू की पत्नी का प्रसव क्वीन मैरी महिला अस्पताल में पिछले शुक्रवार को हुआ. अस्पताल में प्रसूता को गुरुवार देर रात भर्ती कराया गया था. उन्होंने बताया कि प्रसव के लिए जब ओटी में पत्नी को ले गए तो उसके बाद एक-एक दवा पर्ची पर लिखकर बाहर से दवाएं मंगवाने लगे. बाद में जब हमने पूछा तो डॉक्टर ने जवाब दिया कि बाहर की दवाइयां जल्दी असर करेंगी. कुछ दवाइयों के लिए यह कहा गया कि अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं. यहां तक कि आयरन व कैल्शियम की दवा भी बाहर की दुकानों से खरीदनी पड़ी. अलीगंज निवासी सुरेश चंद्र अपनी पत्नी को शनिवार सुबह क्वीन मैरी अस्पताल लेकर आए. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों के मुताबिक गर्भावस्था में कुछ जटिलता थी. प्रसूता को ओटी ले जाया गया. इसके बाद इमरजेंसी में फटाफट कई दवाइयां मुझसे मंगवाई गईं. कारण बताया गया कि अस्पताल में यह दवाई उपलब्ध नहीं हैं. मैं दवाई लेने गया और जब लौटकर आया तो घरवालों ने बताया कि पत्नी की मौत हो चुकी है. पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया था. पति ने आरोप लगाया है कि आज अगर अस्पताल में दवा उपलब्ध होती तो उनकी पत्नी को बचाया जा सकता था लेकिन डॉक्टर यह बात मानने को तैयार नहीं है कि जरूरी दवा के अभाव में प्रसूता की मौत हुई.
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क्वीन मैरी अस्पताल की मेडिकल सुप्रीटेंडेंट एसपी जायसवार ने पहले तो इस मुद्दे पर बातचीत करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि जिस प्रसूता की मौत हुई है, उसकी जानकारी अभी उनको नहीं है. जानकारी होने के बाद ही कुछ कह सकते हैं और रही बात बाहर से दवा मंगवाने की तो हमेशा ऐसा नहीं होता है. कई बार प्रसूता के लिए दवाइयां बेहद जरूरी होती हैं, जो अस्पताल में नहीं होती हैं. सिर्फ उसे ही बाहर से मंगवाया जाता है ताकि दवा के अभाव में किसी महिला की मौत न हो.