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'एक स्टेशन एक उत्पाद' अब 11 और स्टेशनों पर होगा शुरू

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Published : Jun 25, 2022, 5:05 PM IST

भारतीय रेलवे ने 'एक स्टेशन एक उत्पाद' की योजना 25 अप्रैल को शुरू की थी. इसकी शुरूआत सबसे पहले वाराणसी स्टेशन पर हुई थी. अब इसी पायलट प्रोजेक्ट को उत्तर रेलवे के 11 अन्य स्टेशनों पर भी शुरू किया जाएगा.

चारबाग रेलवे स्टेशन
चारबाग रेलवे स्टेशन

लखनऊ : पारंपरिक शिल्प एवं लघु उद्यमों के संरक्षण के लिए और ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने 'एक स्टेशन एक उत्पाद' की योजना 25 अप्रैल को शुरू की थी. वाराणसी के काष्ठ निर्मित खिलौनों को रेलवे स्टेशन के लिए चयनित किया गया था. अब इसी पायलट प्रोजेक्ट को उत्तर रेलवे के 11 अन्य स्टेशनों पर भी शुरू किया जाएगा. इसके अंतर्गत लखनऊ की चिकनकारी, प्रतापगढ़ का आंवला उत्पाद, अयोध्या कैंट पर गुड़ का उत्पाद, उन्नाव में चमड़े का उत्पाद, सुल्तानपुर पर मूंज के उत्पाद, रायबरेली में काष्ठ शिल्प का उत्पाद, जौनपुर स्टेशन पर ऊनी कॉरपेट, बाराबंकी स्टेशन पर टेक्सटाइल उत्पाद, भदोही स्टेशन पर कॉरपेट उत्पाद और अमेठी स्टेशन पर मूंज उत्पाद के स्टॉल लगाए जाएंगे.

उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा ने बताया कि “एक स्टेशन एक उत्पाद” योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वाराणसी जं. स्टेशन पर 25 अप्रैल से लागू किया गया है. यह प्रोजेक्ट पूरे देश में कई रेलवे स्टेशनों पर सफलतापूर्वक चल रहा है. प्रोजेक्ट का उद्देश्य लघु उद्योग में बढ़ोतरी और विकास करना है. पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद मंडल के लखनऊ और वाराणसी सहित कुल 12 स्टेशनों पर भी यह लागू हो जाएगा.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

15 दिन का दिया जाएगा समय : सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा बताती हैं कि इस प्रोजेक्ट में स्टॉल लगाने के लिए एक विक्रेता को 15 दिन का समय दिया जाएगा. इसके बाद किसी अन्य विक्रेता को अवसर दिया जाएगा. 15 दिन के लिए टोकन के रूप में विक्रेता से सिर्फ ₹1000 शुल्क लिया जाएगा. एक स्टेशन पर एक से अधिक प्रविष्टियों के आने पर लाॅटरी से विक्रेता का चयन किया जाएगा. एक जुलाई से अगले 15 दिनों के लिए मंडल के 11 स्टेशनों पर स्टॉल शुरू करने के लिए विक्रेता को 29 जून तक अपने स्टेशन निदेशक/अधीक्षक के कक्ष में रखे बॉक्स में अपना आवेदन डालना होगा.

ये हैं शर्तें : एक स्टेशन एक उत्पाद योजना को लागू करने के लिए जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी उसे रेलवे उपलब्ध कराएगा. बिजली बिल का भुगतान वास्तविक खपत के आधार पर लाइसेन्सी द्वारा किया जाएगा. अस्थाई स्टॉल रेलवे उपलब्ध कराएगा. पानी भी रेलवे की तरफ से मुफ्त मिलेगा. आवंटी को स्टॉल से ही बेचने की अनुमति होगी. प्लेटफार्म वेंडिंग की इजाजत नहीं होगी. लाइसेन्सी द्वारा कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए स्वाइप मशीन, भीम मोबाइल एप, वेलेट रखना होगा.
ये भी पढ़ें : अब पहन सकेंगे फूलों से रंगे हुये कपड़े, जानिये कौन कर रहा इन्हें तैयार?

क्या कहती हैं सीनियर डीसीएम : उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा बताती हैं कि जिस शहर का जो भी उत्पाद प्रसिद्ध है उसको बढ़ावा देने के लिए भारतीय रेलवे की तरफ से एक स्टेशन एक उत्पाद योजना की शुरुआत की गई थी. सबसे पहले वाराणसी स्टेशन पर शुरुआत हुई. अब इसे उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों पर शुरू किया जा रहा है. लखनऊ की चिकनकारी काफी प्रसिद्ध है. इस वजह से लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर चिकनकारी का स्टॉल लगाया जाएगा. इसी तरह अन्य शहरों के स्टॉल संबंधित स्टेशनों पर लगाए जाएंगे. नियम व शर्तें पूरा करने वाले को ही स्टॉल लगाने की अनुमति मिलेगी. इससे लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

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लखनऊ : पारंपरिक शिल्प एवं लघु उद्यमों के संरक्षण के लिए और ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने 'एक स्टेशन एक उत्पाद' की योजना 25 अप्रैल को शुरू की थी. वाराणसी के काष्ठ निर्मित खिलौनों को रेलवे स्टेशन के लिए चयनित किया गया था. अब इसी पायलट प्रोजेक्ट को उत्तर रेलवे के 11 अन्य स्टेशनों पर भी शुरू किया जाएगा. इसके अंतर्गत लखनऊ की चिकनकारी, प्रतापगढ़ का आंवला उत्पाद, अयोध्या कैंट पर गुड़ का उत्पाद, उन्नाव में चमड़े का उत्पाद, सुल्तानपुर पर मूंज के उत्पाद, रायबरेली में काष्ठ शिल्प का उत्पाद, जौनपुर स्टेशन पर ऊनी कॉरपेट, बाराबंकी स्टेशन पर टेक्सटाइल उत्पाद, भदोही स्टेशन पर कॉरपेट उत्पाद और अमेठी स्टेशन पर मूंज उत्पाद के स्टॉल लगाए जाएंगे.

उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा ने बताया कि “एक स्टेशन एक उत्पाद” योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वाराणसी जं. स्टेशन पर 25 अप्रैल से लागू किया गया है. यह प्रोजेक्ट पूरे देश में कई रेलवे स्टेशनों पर सफलतापूर्वक चल रहा है. प्रोजेक्ट का उद्देश्य लघु उद्योग में बढ़ोतरी और विकास करना है. पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद मंडल के लखनऊ और वाराणसी सहित कुल 12 स्टेशनों पर भी यह लागू हो जाएगा.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

15 दिन का दिया जाएगा समय : सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा बताती हैं कि इस प्रोजेक्ट में स्टॉल लगाने के लिए एक विक्रेता को 15 दिन का समय दिया जाएगा. इसके बाद किसी अन्य विक्रेता को अवसर दिया जाएगा. 15 दिन के लिए टोकन के रूप में विक्रेता से सिर्फ ₹1000 शुल्क लिया जाएगा. एक स्टेशन पर एक से अधिक प्रविष्टियों के आने पर लाॅटरी से विक्रेता का चयन किया जाएगा. एक जुलाई से अगले 15 दिनों के लिए मंडल के 11 स्टेशनों पर स्टॉल शुरू करने के लिए विक्रेता को 29 जून तक अपने स्टेशन निदेशक/अधीक्षक के कक्ष में रखे बॉक्स में अपना आवेदन डालना होगा.

ये हैं शर्तें : एक स्टेशन एक उत्पाद योजना को लागू करने के लिए जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी उसे रेलवे उपलब्ध कराएगा. बिजली बिल का भुगतान वास्तविक खपत के आधार पर लाइसेन्सी द्वारा किया जाएगा. अस्थाई स्टॉल रेलवे उपलब्ध कराएगा. पानी भी रेलवे की तरफ से मुफ्त मिलेगा. आवंटी को स्टॉल से ही बेचने की अनुमति होगी. प्लेटफार्म वेंडिंग की इजाजत नहीं होगी. लाइसेन्सी द्वारा कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए स्वाइप मशीन, भीम मोबाइल एप, वेलेट रखना होगा.
ये भी पढ़ें : अब पहन सकेंगे फूलों से रंगे हुये कपड़े, जानिये कौन कर रहा इन्हें तैयार?

क्या कहती हैं सीनियर डीसीएम : उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा बताती हैं कि जिस शहर का जो भी उत्पाद प्रसिद्ध है उसको बढ़ावा देने के लिए भारतीय रेलवे की तरफ से एक स्टेशन एक उत्पाद योजना की शुरुआत की गई थी. सबसे पहले वाराणसी स्टेशन पर शुरुआत हुई. अब इसे उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों पर शुरू किया जा रहा है. लखनऊ की चिकनकारी काफी प्रसिद्ध है. इस वजह से लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर चिकनकारी का स्टॉल लगाया जाएगा. इसी तरह अन्य शहरों के स्टॉल संबंधित स्टेशनों पर लगाए जाएंगे. नियम व शर्तें पूरा करने वाले को ही स्टॉल लगाने की अनुमति मिलेगी. इससे लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

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