लखनऊ : आवास विकास परिषद में एक लेखाकार को भ्रष्टाचार के आरोप में सेवानिवृत्त किया जाएगा. इस संबंध में जांच अंतिम दौर में है. लेखाकार की शिकायत राज्यमंत्री मयंकेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी. मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के बाद आवास विकास परिषद बहुत जल्द ही कार्रवाई करेगा.
दागी सरकारी कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर मुख्यमंत्री गंभीर हैं. बाकायदा मुख्य सचिव ने सभी विभागों से अनफिट कर्मियों पर 31 जुलाई तक फैसला लेने के लिए शासनादेश तक जारी किया है. इसके बावजूद ताकतवर नौकरशाही गड़बड़ कर्मियों की ढाल बनकर खड़ी है. मुख्यमंत्री के पत्र पर भी अफसर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं. ऐसा हैरतअंगेज मामला उप्र आवास एवं विकास परिषद में सामने आया है.
एक जुलाई को मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने प्रमुख सचिव आवास को एक पत्र भेजा. जिसमें लिखा था कि संसदीय कार्य, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री मयंकेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें एक पत्र दिया है. जिसमें कनिष्ठ लेखाधिकारी प्रदीप पांडेय को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की संस्तुति की गई है. सीएम ने अपेक्षा की है, प्रदीप कुमार की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रकरण किस स्तर पर लंबित है, विलंबतम एक पक्ष में अवगत कराया जाए. मुख्यमंत्री सचिवालय के पत्र के बाद शासन ने आवास आयुक्त को पत्र भेजकर तथ्यात्मक जवाब देने को कहा गया है.
संसदीय कार्य, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने बताया कि मैंने साक्ष्यों संग इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलकर उनसे शिकायत की थी. कनिष्ठ लेखाधिकारी प्रदीप पांडेय के खिलाफ जांच में मात्र 26 फीसदी उपस्थिति पायी गयी है. तमाम वित्तीय अनियमितताएं भी की गयी हैं. ऐसे गड़बड़ कर्मी को सरकारी सेवा में बने रहने का कोई हक़ नहीं है.
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आवास आयुक्त अजय चौहान ने बताया कि परिषद में गड़बड़ कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनी हुई है. स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इस मामले को रखा जाएगा. उसके बाद हुए निर्णय की आख्या शासन को भेज दी जायेगी.
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