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मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर फिर गरमाई सियासात, उलमा बोले- ये सिर्फ सियासी प्रोपोगंडा - अजान

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है. जिसके बाद इस मुद्दे पर एक पर सियासत गर्म हो गई है. उधर, इस मुद्दे पर दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी की भी प्रतिक्रिया सामने आयी है. मौलाना सुफियान निजामी ने शिवसेना की मांग को सियासी प्रोपोगंडा बताया है.

Maulana Sufiyan Nizami, spokesperson of Darul Uloom Farangi Mahal
दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निज़ामी
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Published : Dec 3, 2020, 4:13 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 4:50 PM IST

लखनऊ: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में पर्यावरण संरक्षण और ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार से मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है. जिसके बाद इस मुद्दे पर अब विवाद खड़ा हो गया है. उधर, इस मामले को लेकर दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी का भी बयान सामने आया है. मौलाना सुफियान निजामी का कहना है कि पर्यावरण प्रदूषण को लेकर अजान को निशाना बनाना हरगिज सही नहीं है.

मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग पर मौलाना सुफियान निजामी का बयान
जानकारी के मुताबिक शिवसेना ये मुद्दा तब उठाया, जब पार्टी के मुम्बई दक्षिण विभाग के प्रमुख पी सकपाल ने मुसलमान बच्चों के बीच अजान पढ़ने की प्रतियोगिता कराने का सुझाव दिया था. सकपाल के इस सुझाव पर अब तेजी से विवाद खड़ा होता दिखाई देने लगा. जिसके बाद शिवसेना के मुखपत्र सामना में मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर बैन लगाने की मांग की गई. इस मसले पर बोलते हुए दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि जिस तरीके से पर्यावरण प्रदूषण की बात कहकर अजान को निशाना बनाया जाता है और यह एहसास कराने की कोशिश की जाती है कि, अजान देने से ध्वनि प्रदूषण होता है. यह तो मानसिकता पर निर्भर करता है. सिर्फ अजान को ही लेकर इस तरीके की टिप्पड़ी क्यों की जाती है.



यूपी में भी उठी थी मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग

मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि इससे पहले उत्तर प्रदेश में एक अभियान चला था, जिसमें लाउडस्पीकर पर अजान किए जाने पर पाबंदी लगाने की कोशिश की गई. उसके लिए यहां की तमाम मस्जिदों के जिम्मेदारों ने ध्वनि प्रदूषण के तय मानकों के अनुसार अपने मस्जिद के लाउडस्पीकरों को सेट किया है. लेकिन, अब इस तरीके की बात महाराष्ट्र से सामने आ रही है, मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक सियासी प्रोपोगंडा है. मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि, कहीं न कहीं मुसलमान शब्द लोगों को इस वक्त सियासात में सूट करता है. इसलिए हर बात में मुसलमानों को निशाना बनाकर और मुसलमानों के मजहबी जजबातों को भड़काकर सियासी पार्टियां अपना फायदा हासिल करने की कोशिश करती हैं.

लखनऊ: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में पर्यावरण संरक्षण और ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार से मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है. जिसके बाद इस मुद्दे पर अब विवाद खड़ा हो गया है. उधर, इस मामले को लेकर दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी का भी बयान सामने आया है. मौलाना सुफियान निजामी का कहना है कि पर्यावरण प्रदूषण को लेकर अजान को निशाना बनाना हरगिज सही नहीं है.

मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग पर मौलाना सुफियान निजामी का बयान
जानकारी के मुताबिक शिवसेना ये मुद्दा तब उठाया, जब पार्टी के मुम्बई दक्षिण विभाग के प्रमुख पी सकपाल ने मुसलमान बच्चों के बीच अजान पढ़ने की प्रतियोगिता कराने का सुझाव दिया था. सकपाल के इस सुझाव पर अब तेजी से विवाद खड़ा होता दिखाई देने लगा. जिसके बाद शिवसेना के मुखपत्र सामना में मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर बैन लगाने की मांग की गई. इस मसले पर बोलते हुए दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि जिस तरीके से पर्यावरण प्रदूषण की बात कहकर अजान को निशाना बनाया जाता है और यह एहसास कराने की कोशिश की जाती है कि, अजान देने से ध्वनि प्रदूषण होता है. यह तो मानसिकता पर निर्भर करता है. सिर्फ अजान को ही लेकर इस तरीके की टिप्पड़ी क्यों की जाती है.



यूपी में भी उठी थी मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग

मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि इससे पहले उत्तर प्रदेश में एक अभियान चला था, जिसमें लाउडस्पीकर पर अजान किए जाने पर पाबंदी लगाने की कोशिश की गई. उसके लिए यहां की तमाम मस्जिदों के जिम्मेदारों ने ध्वनि प्रदूषण के तय मानकों के अनुसार अपने मस्जिद के लाउडस्पीकरों को सेट किया है. लेकिन, अब इस तरीके की बात महाराष्ट्र से सामने आ रही है, मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक सियासी प्रोपोगंडा है. मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि, कहीं न कहीं मुसलमान शब्द लोगों को इस वक्त सियासात में सूट करता है. इसलिए हर बात में मुसलमानों को निशाना बनाकर और मुसलमानों के मजहबी जजबातों को भड़काकर सियासी पार्टियां अपना फायदा हासिल करने की कोशिश करती हैं.

Last Updated : Dec 3, 2020, 4:50 PM IST
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