लखनऊ: तिहाड़ जेल से फोन पर धमकी देकर काम करवाने वाले कुख्यात माफिया सलीम रुस्तम के साथी शहजादे कुरैशी की अग्रिम जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया है. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष रावत का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट वादी अवधेश कुमार ने ठाकुरगंज थाने में दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया है कि 1 फरवरी 2022 को दिन में करीब 12:30 बजे कई फोन आए जिन्हें चेक किया गया तो उस पर तिहाड़ सलीम लिख कर आया.
उसके बाद फोन उठाने पर उधर से रुस्तम नाम बताया गया तथा धमकी देकर कहा गया कि बहुत गर्मी और चर्बी है बहुत पैसा कमा लिया है. यह भी धमकी दी कि कल उसके मिलने वाले तौहीद भाई आ रहे हैं जो काम बोले कर देना तथा प्लाट पर कब्जा करवा देना. जमानत के विरोध में यह भी कहा गया कि विवेचना के दौरान अभियुक्त का नाम प्रकाश में आया था तथा अभियुक्त का लंबे समय से जेल में बंद जिले के कुख्यात माफिया सलीम रुस्तम से उसका नाम जुड़ा हुआ है. अदालत ने कहा कि मामले की गंभीरता और परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाता है.
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उदासीन संगत के महंत परमेश्वर दास की हत्या की आशंका को लेकर कोर्ट ने तलब की रिपोर्ट
वहीं, एक अन्य मामले में उदासीन संगत के महंत परमेश्वर दास की हत्या की आशंका को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराए जाने की मांग वाली अर्जी पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार गुप्ता ने आगामी 17 अगस्त तक चौक थाने से रिपोर्ट तलब की है. अदालत के समक्ष रिपोर्ट दर्ज कराए जाने की मांग वाली यह अर्जी उदासीन संगत पुरानी सब्जी मंडी कोतवाली चौक लखनऊ के महंत राम किशोर दास ने प्रस्तुत की है, जिसमें संगत में रहने वाले धर्मेंद्र दास के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराए जाने की मांग की गई है. अर्जी पर महंत राम किशोर दास के अधिवक्ता अमन राज श्रीवास्तव और विवेक श्रीवास्तव का तर्क था कि वादी महंत परमेश्वर दास का चेला है तथा उसके द्वारा महंत परमेश्वर दास से शिक्षा दीक्षा प्राप्त की गई है. यह भी कहा गया है कि महंत परमेश्वर दास एवं धर्मेंद्र दास के बीच वर्ष 2019 तक तहसीलदार की अदालत में दीवानी के मामले में मुकदमा चला. आरोप है कि इसके विपरीत धर्मेंद्र दास ने दीवानी न्यायालय में वर्ष 2021 में एक मुकदमा दाखिल कर कहा महंत परमेश्वर दास वर्ष 2012 से लापता है लिहाजा 7 वर्ष से अधिक समय होने के कारण उन्हें मृत घोषित किया जाए. वादी ने यह भी आरोप लगाया है कि संगत में यह आम चर्चा है कि उदासीन संगत की संपत्ति हड़पने के लिए धर्मेंद्र दास ने अपने साथियों के साथ मिलकर महंत परमेश्वर दास की हत्या करके उनकी लाश को गायब कर दिया है.
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