लखनऊ : यूपी सरकार आयुष को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है. यही कारण है कि जितने भी आयुष अस्पताल हैं वहां पर तमाम सुविधा और व्यवस्था मरीज को मिलती है. राजकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय (Unani Medical College and Hospital) (राजकीय तकमील उत्तिब काॅलेज) में मौजूदा समय में सात ओपीडी चल रही हैं. रोजाना 300 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. संस्थान के सामने के आशियाना किला चौराहा से बिजनौर को जोड़ने वाला फ्लाईओवर बन रहा है, जिसके चलते मरीजों को अस्पताल में आने में मशक्कत करनी पड़ती है.
एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड निवासी मोहम्मद सलीम ने बताया कि कोविड के बाद से सर्दी जुखाम लगातार बना रहता है. इलाज के लिये कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, दिक्कत वैसे की वैसे ही है. एलोपैथिक दवाई खाई बावजूद इसके अभी तक कुछ आराम नहीं हुआ. रात में 95 से 100 डिग्री के बीच में बुखार हो जाता है. साथ ही सर्दी जुखाम हमेशा बना रहता है. आयुष पर भरोसा है इसलिए यूनानी अस्पताल आए हुए हैं. यहां की दवाएं भी फायदा करती हैं. फिलहाल डॉक्टर को दिखाने के लिए आए हुए हैं. एलोपैथिक दवाई से कोई भी असर नहीं हो रहा है.
कानपुर रोड, आशियाना निवासी रोशन जहां ने बताया कि मैं एलोपैथिक दवा बहुत कम खाती हूं. मुझे बहुत नुकसान करती है. इसलिए मैं आयुष अस्पताल आई हूं. यहां की दवाएं काफी अच्छी होती हैं. खास बात यह है कि इससे कोई नुकसान नहीं होता है, जबकि एलोपैथिक की दवाइयां काफी हानिकारक होती हैं. पिछले हफ्ते जोड़ों के डॉक्टर को दिखाने के लिए मैं अस्पताल आई थी. डॉक्टर ने मुझे एक हफ्ते की दवाई दी थी. दवाई से मुझे काफी फायदा हुआ, इसलिए अब दोबारा फिर से डॉक्टर को दिखाने के लिए आए हैं.
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राजकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय के प्रिंसिपल एवं अधीक्षक प्रो. जमाल अख्तर ने बताया कि इस समय सातों ओपीडी चल रही हैं. शिशु विभाग, सर्जरी महिला रोग विशेषज्ञ, हृदय रोग, चर्म रोग, गठिया, मेडिसिन चल रही है. अस्पताल में 300 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं और सबसे ज्यादा चलने वाली ओपीडी चर्म रोग, हृदय रोग, गठिया है. कोरोना के चलते लोग काफी बीमारियों से ग्रसित हुए हैं. कोरोना के बाद से लोगों का भरोसा आयुष की तरफ काफी ज्यादा बढ़ा है, यह हमने खुद देखा है. अस्पताल में पहले के मुकाबले इस समय मरीजों की संख्या अधिक है. एलोपैथिक दवाइयां कहीं न कहीं काफी नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन आयुष अस्पतालों की दवाइयां जो की पूरी तरह से आयुर्वेदिक होती हैं वह बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाती है. बल्कि धीरे-धीरे रोग को जड़ से समाप्त करती हैं.
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