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अरेस्ट स्टे के बाद भी अभियुक्तों को उठाने का मामला, DCP ने हाईकोर्ट में मांगी माफी

हाईकोर्ट में सोमवार को डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी और पूर्वी प्राची सिंह ने माफी मांगी. अरेस्ट स्टे (high court stay order on charge sheet) होने के बाद भी अभियुक्तों को हाईकोर्ट के गेट से पकड़ा गया था.

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Published : Aug 23, 2022, 12:20 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (lucknow bench of high court) के आरोप पत्र पर रोक का आदेश होने के बावजूद भी अभियुक्तों को न्यायालय के गेट से उठा लिया गया. इस मामले में सोमवार को डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी और पूर्वी प्राची सिंह ने व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर न्यायालय से माफी मांगी.

इन अधिकारियों ने न्यायालय (lucknow bench of high court) को बताया कि मामले में उच्च स्तर पर संज्ञान ले लिया गया है. हाईकोर्ट के आदेश को लेकर थाने में निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इसमें कहा गया है कि आगे से किसी भी अभियुक्त को हाईकोर्ट परिसर और उसके आस-पास से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी और पूर्वी प्राची सिंह ने न्यायालय में अपना व्यक्तिगत हलफनामा भी दाखिल किया. वहीं, न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत हाजिरी से छूट दे दी है.

हाईकोर्ट ने एसएचओ गुडंबा कुलदीप सिंह समेत गिरफ्तारी में शामिल पूरी पुलिस टीम को अगली सुनवाई पर हाजिर होने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने सुरेश कुमार तंवर और बलबीर सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया.

यह भी पढ़ें: रामपुर तिराहा कांड, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आरोपियों और यूपी सरकार को जारी किया नोटिस

वादी डॉ. श्वेता सिंह ने गाजीपुर थाने में याचियों के खिलाफ खनन पट्टे को लेकर हुए करार का उल्लंघन करते हुए लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगाया था. वहीं, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. वादी की रजामंदी से एक महीने में उसे 35 लाख रुपये और दिसंबर 2022 तक 15 लाख रुपये वापस करने की बात कही. इस पर न्यायालय ने मामले में याचियों के विरुद्ध दाखिल आरोप पत्र पर रोक लगा दिया था. 8 अगस्त को सुनवाई के पश्चात जैसे ही दोनों याची हाईकोर्ट परिसर के बाहर निकले, वहां पहले से मौजूद पुलिस टीम ने हाईकोर्ट के गेट नंबर 6 से दोनों को पकड़ लिया था. पुलिस की इस कार्रवाई पर न्यायालय ने नाराजगी जाहीर करते हुए अधिकारियों को तलब कर लिया था.

यह भी पढ़ें: लखनऊ के उपकेंद्र नहीं रोक पा रहे लाइन हानियां, अवर अभियंता को निलंबित करने का निर्देश

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (lucknow bench of high court) के आरोप पत्र पर रोक का आदेश होने के बावजूद भी अभियुक्तों को न्यायालय के गेट से उठा लिया गया. इस मामले में सोमवार को डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी और पूर्वी प्राची सिंह ने व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर न्यायालय से माफी मांगी.

इन अधिकारियों ने न्यायालय (lucknow bench of high court) को बताया कि मामले में उच्च स्तर पर संज्ञान ले लिया गया है. हाईकोर्ट के आदेश को लेकर थाने में निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इसमें कहा गया है कि आगे से किसी भी अभियुक्त को हाईकोर्ट परिसर और उसके आस-पास से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी और पूर्वी प्राची सिंह ने न्यायालय में अपना व्यक्तिगत हलफनामा भी दाखिल किया. वहीं, न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत हाजिरी से छूट दे दी है.

हाईकोर्ट ने एसएचओ गुडंबा कुलदीप सिंह समेत गिरफ्तारी में शामिल पूरी पुलिस टीम को अगली सुनवाई पर हाजिर होने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने सुरेश कुमार तंवर और बलबीर सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया.

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वादी डॉ. श्वेता सिंह ने गाजीपुर थाने में याचियों के खिलाफ खनन पट्टे को लेकर हुए करार का उल्लंघन करते हुए लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगाया था. वहीं, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. वादी की रजामंदी से एक महीने में उसे 35 लाख रुपये और दिसंबर 2022 तक 15 लाख रुपये वापस करने की बात कही. इस पर न्यायालय ने मामले में याचियों के विरुद्ध दाखिल आरोप पत्र पर रोक लगा दिया था. 8 अगस्त को सुनवाई के पश्चात जैसे ही दोनों याची हाईकोर्ट परिसर के बाहर निकले, वहां पहले से मौजूद पुलिस टीम ने हाईकोर्ट के गेट नंबर 6 से दोनों को पकड़ लिया था. पुलिस की इस कार्रवाई पर न्यायालय ने नाराजगी जाहीर करते हुए अधिकारियों को तलब कर लिया था.

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