लखनऊ : नाबालिग लड़की की हत्या (girl murder) कर उसके शव को तालाब में फेंकने के आरोपी संजय कुमार रावत को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने उम्र कैद के साथ-साथ 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. हालांकि अदालत ने आरोपी को साक्ष्य के अभाव में दुराचार के आरोपों से बरी कर दिया है.
अदालत के समक्ष अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता सुखेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि इस प्रकरण में वादी मुकदमा ने 21 अप्रैल 2014 को चिनहट थाने में रिपोर्ट देकर कहा था कि वह अपनी पत्नी व बेटे के साथ अपने चचेरे भाई के साले की शादी में ग्राम डिंडोली गया हुआ था तथा उसकी 16 वर्षीय पुत्री घर में अकेले थी. शादी में जाने के पूर्व उसने अपने पड़ोसी संजय रावत को बेटी की देखभाल के लिए घर में रुकने को कहा था, लेकिन जब वह रात 11 बजे वापस आया तो घर में उसकी पुत्री नहीं थी. इस पर जब आरोपी संजय कुमार रावत से पूछा गया तो उसने ना कोई जवाब दिया और न ही मृतका को बरामद कराने में कोई दिलचस्पी दिखाई. बहस के दौरान कहा गया कि 24 अप्रैल 2014 को वादी की लड़की का शव जंगल में एक तालाब में सड़ी-गली अवस्था में बरामद हुआ. पुलिस को विवेचना में पता चला कि घटना वाली रात आरोपी वादी की पुत्री के साथ तालाब की ओर आया था. अदालत ने आरोपी को आजीवन कारावास व 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा से दंडित करते हुए कहा है कि जुर्माने की 90 प्रतिशत धनराशि वादी मुकदमा को दी जाएगी.