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करोड़ों की लागत से बनाया जा रहा था "शिक्षा का मंदिर", आज पड़ा है वीरान जानिये क्यों? - first installment

बख्शी का तालाब के सैरपुर गांव में राजकीय इंटर कॉलेज का निर्माण कराया जा रहा था. कई वर्षों के बावजूद आज भी इसका निर्माण कार्य अधूरा है. जिसके चलते कई गांवों के बच्चों को शिक्षा के लिये परेशानी उठानी पड़ रही है.

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राजकीय इंटर कॉलेज
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Published : Jun 2, 2022, 4:26 PM IST

लखनऊः भले ही सरकार उत्तर प्रदेश में शिक्षा को सुधारने के लाख वादे कर रही हो, लेकिन आज भी हकीकत कुछ और है. साल 2014 में राजकीय इंटर कॉलेज बनने के लिए फंड पास किया गया था. इसके बनने की शुरुआत भी हो गई थी. दो वर्ष में राजकीय इंटर कॉलेज को शुरू भी हो जाना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ. आज वह कॉलेज जंगल में तब्दील हो चुका है. इस मामले पर जब अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ लिया.

बता दें समाजवादी पार्टी के शासनकाल में साल 2014 में बख्शी का तालाब के सैरपुर गांव में राजकीय इंटर काॅलेज बनने का प्रस्ताव पास हुआ था. जिसको 2016 में पूरा होना था. स्कूल के निर्माण को लेकर लगभग 5 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट पास हुआ था. जिसमें प्रथम किश्त के तौर पर 2 करोड़ रुपये का फंड भी मिल गया था. जिसके बाद स्कूल बनना शुरू हो गया था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में स्कूल का निर्माण कार्य रुक गया. करीब 8 साल बाद भी वह आज तक फिर से शुरू नहीं हो पाया है. वहीं सूत्रों की मानें तो बजट पास न होने के चलते स्कूल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. जिसके चलते लगभग 30 से 35 गांव के बच्चे शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी परेशान हैं.

राजकीय इंटर कॉलेज
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सैरपुर गांव में रहने वाले महेंद्र सिंह ने बताया कि 2014 में स्कूल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन अब रुक गया है. कई बार स्कूल को लेकर क्षेत्रीय विद्यायक, सांसद और कई उच्च अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. महेंद्र ने बताया कि निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह फंड न मिलना बताया जा रहा है. क्षेत्रीय निवासी डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अगर यह स्कूल शुरू हो जाएगा तो सैकड़ों बच्चे शिक्षा से लाभान्वित होंगे. स्कूल ना होने की वजह से कई बच्चे पढ़ने भी नहीं जा पा रहे हैं.वहीं ग्रामीण छवि नाथ यादव ने बताया कि सरकार बदले करीब 8 साल हो गए हैं, लेकिन स्कूल का निर्माण कार्य दोबारा शुरू नहीं हो सका है. जिससे ग्रामीण अपने बच्चों को शिक्षा तक ग्रहण नहीं करा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि जल्द से जल्द स्कूल का निर्माण कार्य पूरा कराया जाए, ताकि गांव में रहने वाले बच्चों को बेहतर सुविधा मिल सके.

ये भी पढ़ें : पब्लिक सर्विस व्हीकल में लगेगी 'कोडेड डिवाइस', लोकेशन खोजती रह जाएंगी विदेशी सैटेलाइट्स

ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत के दौरान जिला विद्यालय निरीक्षक अमरकांत सिंह ने बताया कि बजट के अभाव के चलते स्कूल का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. हालांकि इसको लेकर शासन को सूचित कर दिया गया है. बजट पास होते ही इस स्कूल का निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा. हालांकि गांव वालों की समस्या को देखते हुए प्रयास रहेगा कि जो जरूरत की चीजें स्कूलों में अधूरी हैं उनको पूरा कराकर कुछ कक्षाएं शुरू कर दी जाएं. अगर समय पर नहीं पूरा हुआ तो पंचायत भवन में कक्षाएं शुरू की जाएंगी. जिससे बच्चों को किसी तरीके की समस्या न हो.

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लखनऊः भले ही सरकार उत्तर प्रदेश में शिक्षा को सुधारने के लाख वादे कर रही हो, लेकिन आज भी हकीकत कुछ और है. साल 2014 में राजकीय इंटर कॉलेज बनने के लिए फंड पास किया गया था. इसके बनने की शुरुआत भी हो गई थी. दो वर्ष में राजकीय इंटर कॉलेज को शुरू भी हो जाना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ. आज वह कॉलेज जंगल में तब्दील हो चुका है. इस मामले पर जब अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ लिया.

बता दें समाजवादी पार्टी के शासनकाल में साल 2014 में बख्शी का तालाब के सैरपुर गांव में राजकीय इंटर काॅलेज बनने का प्रस्ताव पास हुआ था. जिसको 2016 में पूरा होना था. स्कूल के निर्माण को लेकर लगभग 5 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट पास हुआ था. जिसमें प्रथम किश्त के तौर पर 2 करोड़ रुपये का फंड भी मिल गया था. जिसके बाद स्कूल बनना शुरू हो गया था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में स्कूल का निर्माण कार्य रुक गया. करीब 8 साल बाद भी वह आज तक फिर से शुरू नहीं हो पाया है. वहीं सूत्रों की मानें तो बजट पास न होने के चलते स्कूल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. जिसके चलते लगभग 30 से 35 गांव के बच्चे शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी परेशान हैं.

राजकीय इंटर कॉलेज
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सैरपुर गांव में रहने वाले महेंद्र सिंह ने बताया कि 2014 में स्कूल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन अब रुक गया है. कई बार स्कूल को लेकर क्षेत्रीय विद्यायक, सांसद और कई उच्च अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. महेंद्र ने बताया कि निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह फंड न मिलना बताया जा रहा है. क्षेत्रीय निवासी डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अगर यह स्कूल शुरू हो जाएगा तो सैकड़ों बच्चे शिक्षा से लाभान्वित होंगे. स्कूल ना होने की वजह से कई बच्चे पढ़ने भी नहीं जा पा रहे हैं.वहीं ग्रामीण छवि नाथ यादव ने बताया कि सरकार बदले करीब 8 साल हो गए हैं, लेकिन स्कूल का निर्माण कार्य दोबारा शुरू नहीं हो सका है. जिससे ग्रामीण अपने बच्चों को शिक्षा तक ग्रहण नहीं करा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि जल्द से जल्द स्कूल का निर्माण कार्य पूरा कराया जाए, ताकि गांव में रहने वाले बच्चों को बेहतर सुविधा मिल सके.

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ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत के दौरान जिला विद्यालय निरीक्षक अमरकांत सिंह ने बताया कि बजट के अभाव के चलते स्कूल का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. हालांकि इसको लेकर शासन को सूचित कर दिया गया है. बजट पास होते ही इस स्कूल का निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा. हालांकि गांव वालों की समस्या को देखते हुए प्रयास रहेगा कि जो जरूरत की चीजें स्कूलों में अधूरी हैं उनको पूरा कराकर कुछ कक्षाएं शुरू कर दी जाएं. अगर समय पर नहीं पूरा हुआ तो पंचायत भवन में कक्षाएं शुरू की जाएंगी. जिससे बच्चों को किसी तरीके की समस्या न हो.

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