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जामताड़ा का साइबर ठग 5 साथियों समेत गिरफ्तार, यूपी के 30 मामलों में था फरार

उत्तर प्रदेश की पुलिस ने जामताड़ा के साइबर महाठग को उसके पांच साथियों समेत गिरफ्तार किया है. ये सभी झारखंड के रहने वाले हैं. कई राज्यों की पुलिस को इनकी तलाश थी.

जामताड़ा का साइबर ठग 5 साथियों समेत गिरफ्तार
जामताड़ा का साइबर ठग 5 साथियों समेत गिरफ्तार
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Published : Jul 19, 2021, 4:13 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश साइबर की टीम ने सोमवार को देश के सबसे बड़े साइबर महाठग झारखंड में जामताड़ा के दुमका निवासी प्रमोद उर्फ विजय मंडल को उसके पांच साथियों समेत गिरफ्तार किया है. आरोपी प्रमोद 30 मामलों में फरार चल रहा था. एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार की मानें तो वर्ष 2020 में प्रमोद ने फर्जी बैंक मैनेजर बनकर एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी के पेंशन खाते से नेट बैंकिंग जनरेट कर लगभग 53 लाख रूपये समेत करीब छह पुलिस कर्मियों के खाते से लाखों रुपये उड़ाए थे.

इस मामले में वर्ष 2020 में हज़रतगंज कोतवाली में आईटी एक्ट समेत कई संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. प्रमोद की तलाश कई राज्यों की पुलिस कर रही थी. दुमका पुलिस भी बीते चार माह से उस तक पहुंचने की कोशिश में जुटी थी. प्रमोद के पास 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. कई राज्यों में साइबर ठगी को अंजाम दे चुका प्रमोद इन दिनों अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहा था. इसकी भनक लगते ही लखनऊ की पुलिस ने दिल्ली पुलिस के सहयोग से उसे धर दबोचा. पुलिस ने अरोपियों के पास 1 लाख 20 हजार रुपये नकद समेत 6 मोबाइल फोन बरामद किया है.

एडीजी साइबर क्राइम के मुताबिक, पूछताछ में आरोपियों ने छह साल में करीब 20 करोड़ रुपये की ठगी करने की बात कबूली है. प्रमोद मंडल पहले भी अपने 11 साथियों के साथ जेल जा चुका है. पुलिस गिरफ्त में आए आरोपियों ने बताया कि वह स्टेट बैंक आफ इण्डिया के योनो और सिक्योर मनी एप और बैंक ऑफ बडौदा के मनी पासबुक और अन्य बैंकों द्वारा चलाये जा रहे कस्टमर एप की कमियों का फायदा उठा कर ठगी करते हैं. खाता धारकों को फोन करके उनसे बैंक डिटेल (एकाउण्ट नंबर एटीएम कार्ड नंबर, एटीएम कार्ड का पासवर्ड, एक्सपायरी डेट, सीवीवी) और ओटीपी लेकर नेट बैंकिंग जनरेट कर उनके खातों से रूपयों को फर्जी खाते/ईवैलेट में ट्रांसफर कर निकाल लेते हैं.

बैंक FD पर लेते हैं फर्जी तरीके से लोन

एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि यदि किसी खाता धारक द्वारा बैंक में एफडी और अन्य माध्यम से पैसे जमा किये गये हैं तो उन पर लोन लेकर लोन राशि को फर्जी खातों में स्थानान्तरित कर लेते हैं. अभियुक्त एक गिरोह बनाकर काम करते हैं. गिरोह के हर सदस्य का अलग-अलग कार्य निर्धारित है. जैसे- फर्जी सिम और फर्जी खाते उपलब्ध कराना, पुलिस के सम्बन्ध में जानकारी देना, कॉलिंग करना, रूपयों को कैश कराना आदि. सभी सदस्यों को उनके कार्य के हिसाब से हिस्सा मिलता है. खाता उपलब्ध कराने वाले सदस्य, मजदूरों से मजदूरी उनके खाते में देने के नाम पर खाता खुलवाकर पासबुक और एटीम अपने पास रख लेते हैं. ठगी करने के उपरान्त उन रूपयों को मजदूरों के खातों में हस्तांतरित करते हैं. कैश निकालने की जिम्मेदारी दूसरे सदस्यों की होती है, जो नगद रूपये लाकर गिरोह के सदस्यों को देते हैं.

मॉडस ऑपरेंडी

1. अभियुक्तों ने बताया कि स्टेट बैंक के खाता धारकों को कॉल करके उनसे ओटीपी मांग कर अपने पास इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर लेते हैं, फिर नेट बैंकिंग के माध्यम से उस खाते में एसबीआई सिक्योर एप को रजिस्टर्ड कर लेते हैं. एसबीआई सिक्योर एप में एक बार ओटीपी की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह एप नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर प्रयोग किया जाता है, जिसमें बार-बार ओटीपी नहीं आता है, जिसका फायदा हम लोग उठाकर लाखों का ट्रांजेक्शन कर लेते हैं.

2. अभियुक्तों ने बताया कि बैंक ऑफ बडौदा द्वारा लॉन्च बड़ौदा एम पासबुक एप पर हम एक सीरीज के मोबाइल नंबर को डालते हैं, जैसे ही सम्बन्धित मोबाइल पर ओटीपी जाता है हम जान जाते हैं कि उस नंबर के प्रयोग कर्ता का खाता बैंक ऑफ बड़ौदा में है फिर उस नंबर पर कॉल करके खाता धारक से जानकारी प्राप्त कर रूपयों को ट्रांस्फर कर लेते हैं.

3. अभियुक्तों ने बताया कि हीरो फाइनेंस एप में हम कस्टमर आईडी की एक सीरीज डालते हैं, जिसमें जिसका ज्यादा बकाया है हम उस कस्टमर को कॉल कर छूट का आफर देकर उनसे पैसों की ठगी करते हैं.

4. अभियुक्तों ने बताया कि हमारा मेन टारगेट विभिन्न राज्यों द्वारा प्रयोग में आने वाली सीयूजी नंबर होते हैं, जिन पर हम सीरीज से फोन करते हैं. यदि कोई कस्टमर फंस जाता है तो हम उनकी बैंक की जानकारी प्राप्त कर उपरोक्त बताये हुये तरीके से पैसों का ट्रांजेक्शन करते हैं. ज्यादातर हम लोग सचिवालय, पुलिस और सरकारी विभाग से रिटायर कर्मचारी/अधिकारी को टारगेट करते हैं, जिन्हें इंटरनेट बैंकिंग का ज्ञान नहीं है. उन्हें हम ज्यादा लाभ देने का लालच देकर उनसे OTP ले लेते हैं और उनके खाते के रुपयों की FD बना देते हैं फिर उस FD पर लोन लेकर रुपयों को ट्रांसफर कर लेते हैं

पकड़े गए आरोपी

  • विजय मण्डल उर्फ प्रमोद मण्डल (29) पुत्र नागेन्द्र मण्डल निवासी सलजोरा बंद सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • मनोज मण्डल (27) पुत्र नागेन्द्र मण्डल निवसी सलजोरा बंदरी थाना सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • राजेश कुमार मण्डल (29)पुत्र मोती मण्डल सलजोरा बंदरी थाना सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • करन कुमार मण्डल (19) पुत्र राजकिशोर मण्डल निवासी सलजोरा बंदरी थाना सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • जितेन्द्र कुमार मण्डल (31) पुत्र राजेन्द्र मण्डल निवासी घोटिया बड़ा असाहना थाना मोहनपुर जनपद देवघर राज्य झारखण्ड

लखनऊ: उत्तर प्रदेश साइबर की टीम ने सोमवार को देश के सबसे बड़े साइबर महाठग झारखंड में जामताड़ा के दुमका निवासी प्रमोद उर्फ विजय मंडल को उसके पांच साथियों समेत गिरफ्तार किया है. आरोपी प्रमोद 30 मामलों में फरार चल रहा था. एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार की मानें तो वर्ष 2020 में प्रमोद ने फर्जी बैंक मैनेजर बनकर एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी के पेंशन खाते से नेट बैंकिंग जनरेट कर लगभग 53 लाख रूपये समेत करीब छह पुलिस कर्मियों के खाते से लाखों रुपये उड़ाए थे.

इस मामले में वर्ष 2020 में हज़रतगंज कोतवाली में आईटी एक्ट समेत कई संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. प्रमोद की तलाश कई राज्यों की पुलिस कर रही थी. दुमका पुलिस भी बीते चार माह से उस तक पहुंचने की कोशिश में जुटी थी. प्रमोद के पास 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. कई राज्यों में साइबर ठगी को अंजाम दे चुका प्रमोद इन दिनों अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहा था. इसकी भनक लगते ही लखनऊ की पुलिस ने दिल्ली पुलिस के सहयोग से उसे धर दबोचा. पुलिस ने अरोपियों के पास 1 लाख 20 हजार रुपये नकद समेत 6 मोबाइल फोन बरामद किया है.

एडीजी साइबर क्राइम के मुताबिक, पूछताछ में आरोपियों ने छह साल में करीब 20 करोड़ रुपये की ठगी करने की बात कबूली है. प्रमोद मंडल पहले भी अपने 11 साथियों के साथ जेल जा चुका है. पुलिस गिरफ्त में आए आरोपियों ने बताया कि वह स्टेट बैंक आफ इण्डिया के योनो और सिक्योर मनी एप और बैंक ऑफ बडौदा के मनी पासबुक और अन्य बैंकों द्वारा चलाये जा रहे कस्टमर एप की कमियों का फायदा उठा कर ठगी करते हैं. खाता धारकों को फोन करके उनसे बैंक डिटेल (एकाउण्ट नंबर एटीएम कार्ड नंबर, एटीएम कार्ड का पासवर्ड, एक्सपायरी डेट, सीवीवी) और ओटीपी लेकर नेट बैंकिंग जनरेट कर उनके खातों से रूपयों को फर्जी खाते/ईवैलेट में ट्रांसफर कर निकाल लेते हैं.

बैंक FD पर लेते हैं फर्जी तरीके से लोन

एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि यदि किसी खाता धारक द्वारा बैंक में एफडी और अन्य माध्यम से पैसे जमा किये गये हैं तो उन पर लोन लेकर लोन राशि को फर्जी खातों में स्थानान्तरित कर लेते हैं. अभियुक्त एक गिरोह बनाकर काम करते हैं. गिरोह के हर सदस्य का अलग-अलग कार्य निर्धारित है. जैसे- फर्जी सिम और फर्जी खाते उपलब्ध कराना, पुलिस के सम्बन्ध में जानकारी देना, कॉलिंग करना, रूपयों को कैश कराना आदि. सभी सदस्यों को उनके कार्य के हिसाब से हिस्सा मिलता है. खाता उपलब्ध कराने वाले सदस्य, मजदूरों से मजदूरी उनके खाते में देने के नाम पर खाता खुलवाकर पासबुक और एटीम अपने पास रख लेते हैं. ठगी करने के उपरान्त उन रूपयों को मजदूरों के खातों में हस्तांतरित करते हैं. कैश निकालने की जिम्मेदारी दूसरे सदस्यों की होती है, जो नगद रूपये लाकर गिरोह के सदस्यों को देते हैं.

मॉडस ऑपरेंडी

1. अभियुक्तों ने बताया कि स्टेट बैंक के खाता धारकों को कॉल करके उनसे ओटीपी मांग कर अपने पास इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर लेते हैं, फिर नेट बैंकिंग के माध्यम से उस खाते में एसबीआई सिक्योर एप को रजिस्टर्ड कर लेते हैं. एसबीआई सिक्योर एप में एक बार ओटीपी की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह एप नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर प्रयोग किया जाता है, जिसमें बार-बार ओटीपी नहीं आता है, जिसका फायदा हम लोग उठाकर लाखों का ट्रांजेक्शन कर लेते हैं.

2. अभियुक्तों ने बताया कि बैंक ऑफ बडौदा द्वारा लॉन्च बड़ौदा एम पासबुक एप पर हम एक सीरीज के मोबाइल नंबर को डालते हैं, जैसे ही सम्बन्धित मोबाइल पर ओटीपी जाता है हम जान जाते हैं कि उस नंबर के प्रयोग कर्ता का खाता बैंक ऑफ बड़ौदा में है फिर उस नंबर पर कॉल करके खाता धारक से जानकारी प्राप्त कर रूपयों को ट्रांस्फर कर लेते हैं.

3. अभियुक्तों ने बताया कि हीरो फाइनेंस एप में हम कस्टमर आईडी की एक सीरीज डालते हैं, जिसमें जिसका ज्यादा बकाया है हम उस कस्टमर को कॉल कर छूट का आफर देकर उनसे पैसों की ठगी करते हैं.

4. अभियुक्तों ने बताया कि हमारा मेन टारगेट विभिन्न राज्यों द्वारा प्रयोग में आने वाली सीयूजी नंबर होते हैं, जिन पर हम सीरीज से फोन करते हैं. यदि कोई कस्टमर फंस जाता है तो हम उनकी बैंक की जानकारी प्राप्त कर उपरोक्त बताये हुये तरीके से पैसों का ट्रांजेक्शन करते हैं. ज्यादातर हम लोग सचिवालय, पुलिस और सरकारी विभाग से रिटायर कर्मचारी/अधिकारी को टारगेट करते हैं, जिन्हें इंटरनेट बैंकिंग का ज्ञान नहीं है. उन्हें हम ज्यादा लाभ देने का लालच देकर उनसे OTP ले लेते हैं और उनके खाते के रुपयों की FD बना देते हैं फिर उस FD पर लोन लेकर रुपयों को ट्रांसफर कर लेते हैं

पकड़े गए आरोपी

  • विजय मण्डल उर्फ प्रमोद मण्डल (29) पुत्र नागेन्द्र मण्डल निवासी सलजोरा बंद सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • मनोज मण्डल (27) पुत्र नागेन्द्र मण्डल निवसी सलजोरा बंदरी थाना सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • राजेश कुमार मण्डल (29)पुत्र मोती मण्डल सलजोरा बंदरी थाना सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • करन कुमार मण्डल (19) पुत्र राजकिशोर मण्डल निवासी सलजोरा बंदरी थाना सरैया हाट जनपद दुमका झारखण्ड
  • जितेन्द्र कुमार मण्डल (31) पुत्र राजेन्द्र मण्डल निवासी घोटिया बड़ा असाहना थाना मोहनपुर जनपद देवघर राज्य झारखण्ड
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