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माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या से जुड़ रहे चित्रकूट जेल गोलीकांड के तार - माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या

चित्रकूट जेल गोलीकांड में कुल तीन कैदियों की मौत हुई थी. मुकीम काला के साथ अंशु दीक्षित और मेराज अली भी मारा गया था. वहीं अब इस गोलीकांड के तार बागपत जिला जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या से जुड़ रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

chitrakoot jail shootout case
माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या से जुड़ रहे चित्रकूट जेल गोलीकांड के तार.
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Published : May 19, 2021, 10:14 AM IST

Updated : May 19, 2021, 10:51 AM IST

लखनऊ: चित्रकूट जेल कांड की कड़ियां बागपत जेल कांड से जुड़ने लगी है. दरअसल, बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद वहां तैनात एक जेल वार्डर जगमोहन को संदिग्ध होने के कारण वहां से चित्रकूट जेल ट्रांसफर किया गया था. पुलिस और जेल विभाग की जांच में इस बॉर्डर की भूमिका खंगाली जा रही है. साथ ही जेल में मौजूद आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक लंबरदार (सजायाफ्ता कैदी) भी जांच के घेरे में हैं.

जानकारी के मुताबिक, जेल महकमे और पुलिस की शुरुआती पड़ताल में जेल वार्डर जगमोहन का नाम सामने आया है. बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के दौरान जेल वार्डर जगमोहन का नाम सामने आया था. इसके बाद उसका तबादला बागपत से चित्रकूट जेल कर दिया गया था. उसकी भूमिका इसलिए भी संदिग्ध मानी जा रही है कि वह 6 मई से छुट्टी पर चल रहा था. उसने खुद कोरोना संक्रमित होने की बात कही थी, लेकिन 13 मई की शाम को उसको जेल में देखे जाने की बात सामने आ रही है. जिस दिन वारदात हुई उस दिन भी जगमोहन जेल में मौजूद था.

वार्डर ने अंशू को सरेंडर करने के लिए बोला

बताया जा रहा है कि जब अंशु फायरिंग कर रहा था और पुलिस टीम उसे सरेंडर करने के लिए बोल रही थी तो जगमोहन भी सीढ़ी से चढ़ कर बैरक की तरफ गया था. लोगों के मुताबिक, उसने अंशु को सरेंडर करने के लिए भी बोला था. इस दौरान वहां लंबरदार मनोज (सजायाफ्ता कैदी) भी मौजूद था. मनोज की भी भूमिका को भी काफी संदिग्ध माना जा रहा है.

वकील ने जताई थी हत्या की आशंका

मुकीम काला जब सहारनपुर जेल में बंद था तो उसके वकील ने उसकी हत्या किए जाने की आशंका जताई थी। इस संबंध में उसने कोर्ट में अर्जी दी थी. इसी दौरान मुकीम पर सहारनपुर जेल के अंदर धार्मिक उन्माद फैलाने के भी आरोप लगे, जिसके बाद उसे सहारनपुर जेल से ट्रांसफर करने का फैसला हुआ. हालांकि, उसे पूर्वांचल की किसी जेल में भेजा जाना था, फिर अचानक उसे चित्रकूट जेल भेजने का फैसला लिया गया.

ये भी पढ़ें: चित्रकूट जेलकांड: मुकीम काला के जेल पहुंचते ही अंशुल ने कर ली थी हत्या की तैयारी

गेट नंबर 1 व 2 के फुटेज सेव

पुलिस टीम ने जेल में चल रहे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज अपने कब्जे में ले लिए हैं. जेल अधिकारियों ने भी सारे फुटेज हार्ड डिस्क में सेव कर लिया है. खासतौर से 1 से 14 मई की सुबह तक जेल में कौन आया? कौन बाहर गया? इसकी विशेष रूप से जांच की जा रही है. गेट नंबर 1 व 2 की फुटेज खंगाले जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: चित्रकूट जेलकांड: जेल अधीक्षक, जेलर का जेल में न रहना इत्तेफाक या फिर साजिश ?

अंशु ने किसे किया था फोन

अंशु दीक्षित ने मुकीम काला व मेराज की हत्या के बाद अपने पास मौजूद मोबाइल फोन से एक कॉल की थी. कॉल करने के बाद उसने फोन के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे. पुलिस ने फोन को कब्जे में लेकर फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. बताया जा रहा है कि इसके अलावा अंशू स्मार्टफोन भी इस्तेमाल करता था.

लखनऊ: चित्रकूट जेल कांड की कड़ियां बागपत जेल कांड से जुड़ने लगी है. दरअसल, बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद वहां तैनात एक जेल वार्डर जगमोहन को संदिग्ध होने के कारण वहां से चित्रकूट जेल ट्रांसफर किया गया था. पुलिस और जेल विभाग की जांच में इस बॉर्डर की भूमिका खंगाली जा रही है. साथ ही जेल में मौजूद आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक लंबरदार (सजायाफ्ता कैदी) भी जांच के घेरे में हैं.

जानकारी के मुताबिक, जेल महकमे और पुलिस की शुरुआती पड़ताल में जेल वार्डर जगमोहन का नाम सामने आया है. बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के दौरान जेल वार्डर जगमोहन का नाम सामने आया था. इसके बाद उसका तबादला बागपत से चित्रकूट जेल कर दिया गया था. उसकी भूमिका इसलिए भी संदिग्ध मानी जा रही है कि वह 6 मई से छुट्टी पर चल रहा था. उसने खुद कोरोना संक्रमित होने की बात कही थी, लेकिन 13 मई की शाम को उसको जेल में देखे जाने की बात सामने आ रही है. जिस दिन वारदात हुई उस दिन भी जगमोहन जेल में मौजूद था.

वार्डर ने अंशू को सरेंडर करने के लिए बोला

बताया जा रहा है कि जब अंशु फायरिंग कर रहा था और पुलिस टीम उसे सरेंडर करने के लिए बोल रही थी तो जगमोहन भी सीढ़ी से चढ़ कर बैरक की तरफ गया था. लोगों के मुताबिक, उसने अंशु को सरेंडर करने के लिए भी बोला था. इस दौरान वहां लंबरदार मनोज (सजायाफ्ता कैदी) भी मौजूद था. मनोज की भी भूमिका को भी काफी संदिग्ध माना जा रहा है.

वकील ने जताई थी हत्या की आशंका

मुकीम काला जब सहारनपुर जेल में बंद था तो उसके वकील ने उसकी हत्या किए जाने की आशंका जताई थी। इस संबंध में उसने कोर्ट में अर्जी दी थी. इसी दौरान मुकीम पर सहारनपुर जेल के अंदर धार्मिक उन्माद फैलाने के भी आरोप लगे, जिसके बाद उसे सहारनपुर जेल से ट्रांसफर करने का फैसला हुआ. हालांकि, उसे पूर्वांचल की किसी जेल में भेजा जाना था, फिर अचानक उसे चित्रकूट जेल भेजने का फैसला लिया गया.

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गेट नंबर 1 व 2 के फुटेज सेव

पुलिस टीम ने जेल में चल रहे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज अपने कब्जे में ले लिए हैं. जेल अधिकारियों ने भी सारे फुटेज हार्ड डिस्क में सेव कर लिया है. खासतौर से 1 से 14 मई की सुबह तक जेल में कौन आया? कौन बाहर गया? इसकी विशेष रूप से जांच की जा रही है. गेट नंबर 1 व 2 की फुटेज खंगाले जा रहे हैं.

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अंशु ने किसे किया था फोन

अंशु दीक्षित ने मुकीम काला व मेराज की हत्या के बाद अपने पास मौजूद मोबाइल फोन से एक कॉल की थी. कॉल करने के बाद उसने फोन के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे. पुलिस ने फोन को कब्जे में लेकर फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. बताया जा रहा है कि इसके अलावा अंशू स्मार्टफोन भी इस्तेमाल करता था.

Last Updated : May 19, 2021, 10:51 AM IST
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