ETV Bharat / city

जांच कमेटी ने तैयार की रिपोर्ट, फायर अधिकारियों व होटल मालिकों ने जमकर बरती लापरवाही

होटल लेवाना (Hotel Levana) में सोमवार को हुए अग्निकांड में फायर सेफ्टी (fire safety) में बरती गई लापरवाही की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी (three member committee) गठित की गई थी. इसमें डीआईजी फायर सर्विस आकाश कुलहरि अध्यक्ष व डिप्टी डायरेक्टर फायर अजय गुप्ता व सीएफओ मुख्यालय अनिमेष सिंह शामिल हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Sep 6, 2022, 5:44 PM IST

लखनऊ : राजधानी के हजरतगंज स्थित होटल लेवाना (Hotel Levana) में हुए अग्निकांड के मामले में गठित फायर डिपार्टमेंट की तीन सदस्यीय टीम ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है. रिपोर्ट में टीम ने माना है कि लेवाना होटल (Hotel Levana) को फायर सेफ्टी एनओसी (Fire Safety NOC) देने में अनदेखी की गई थी. जिसमें वर्तमान सीएफओ लखनऊ वीके सिंह व साल 2017 के दौरान रहे सीएफओ अभय भान पांडेय ने होटल द्वारा फायर सेफ्टी के 20 मानकों के पूरे न होने पर भी एनओसी दे दी थी. यही नहीं कमेटी ने माना है कि होटल प्रबंधन की तरफ से तीन ऐसी गलतियां की गई थीं, जिससे आग लगने के बाद उठे धुंए के गुबार से चार लोगों की मौत हो गयी. कमेटी शाम को शासन को रिपोर्ट सौंप देगी.


होटल लेवाना (Hotel Levana) में सोमवार को हुए अग्निकांड में फायर सेफ्टी में बरती गई लापरवाही की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी (three member committee) गठित की गई थी. इसमें डीआईजी फायर सर्विस आकाश कुलहरि अध्यक्ष व डिप्टी डायरेक्टर फायर अजय गुप्ता व सीएफओ मुख्यालय अनिमेष सिंह शामिल हैं. मंगलवार को सुबह टीम ने होटल लेवाना पहुंचकर जांच की और रिपोर्ट तैयार कर ली है. देर शाम कमेटी शासन को रिपोर्ट सौंपेगी.


सूत्रों के मुताबिक, फायर डिपार्टमेंट की टीम ने रिपोर्ट में माना है कि साल 2017 में तत्कालीन लखनऊ के सीएफओ अभय भान पांडेय ने होटल लेवाना को फायर एनओसी दी थी. एनओसी देते समय होटल में फायर सेफ्टी के निर्धारित 20 मानकों को पूरा कर रहा है या नहीं इसको ध्यान में नहीं रखा गया. यही नहीं साल 2021 में वर्तमान सीएफओ लखनऊ विजय कुमार सिंह ने एक बार फिर उसी एनओसी का नवीनीकरण कर दिया. इस बार भी मानकों की जांच नहीं करवाई गई थी.


नहीं करवाया गया था फायर ऑडिट : जांच कमेटी ने माना है कि होटल प्रबंधन द्वारा हर साल होने वाली फायर ऑडिट नहीं करवाई थी. यही नहीं लखनऊ के सीएफओ ने होटल प्रबंधन से फायर ऑडिटिंग रिपोर्ट की भी मांग नहीं की थी. जिस कारण यह नहीं पता लगाया जा सका कि होटल में लगे फायर सेफ्टी उपकरण कार्य कर रहे हैं या नहीं. कमेटी ने माना है कि लखनऊ फायर डिपार्टमेंट को निर्धारित समय पर लेवाना होटल प्रबंधन से फायर ऑडिट रिपोर्ट मांगनी चाहिए थी, जो नहीं मांगी गई.


होटल लेवाना (Hotel Levana) अग्निकांड की जांच कर रही कमेटी ने माना है कि चार लोगों की इस घटना में मौत होटल में फैले धुंए के कारण हुई है. होटल में आग लगने के बाद धुंए के फैलने के पीछे जांच कमेटी ने होटल प्रबंधन को जिम्मेदार माना है. कमेटी ने होटल की तीनों कमियों को मौतों का प्रमुख कारण माना है.


सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ने माना है कि होटल प्रबंधन ने आग लगने की स्थिति में धुंए के निकलने के लिए कोई भी एग्जिट प्वाइंट नहीं बनाया था. यही नहीं धुंए को एक ही फ्लोर में रोका जा सकता था, लेकिन होटल प्रबंधन ने कई नियमों की अनदेखी की थी. जांच में बताया गया है कि होटल की सीढ़ियों में दरवाजे नहीं लगे थे, जिस कारण सीढ़ियों में धुआं भर गया और धीरे धीरे होटल के सभी फ्लोर पर आग पहुंच गई. यही नहीं आग से फैला धुआं एसी के डक के द्वारा पूरे होटल में पहुंच गया, जबकि होटल प्रबंधन को एसी के डक में स्टॉपर लगना चाहिए था, जो आग लगने की स्थिति में बंद हो जाना चाहिए था.


जांच कमेटी ने माना है कि होटल लेवाना (Hotel Levana) में धुंए के निकलने का कोई भी रास्ता नहीं था. जांच में लिखा गया है कि होटल में सेकेंड स्टेयर नहीं थी, जिसको देखते हुए 6 महीने पहले होटल को नोटिस दी गयी थी, जिसके बाद उसका काम शुरू हुआ, लेकिन दूसरे तल तक ही पूरा हो पाया था. उन्होंने बताया कि सेकेंड स्टेयर पर डोर तक नहीं था. यही होता तो धुआं एक साथ पूरा बाहर आ जाता. यही नहीं होटल पूरी तरह पैक था, उसमें वेंटिलेशन के किये कोई भी इंतजाम नहीं थे.


जांच कमेटी ने माना है कि होटल पूरी तरह जेल की तरह था. खिड़कियों के बाहर लोहे की ग्रिल लगी थी. फायर एग्जिट में दरवाजा तक नहीं था. यही नहीं कोई भी ऐसी खिड़की नहीं थी, जिसमें अंदर से तोड़कर बाहर निकला जा सके. जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि होटल प्रबंधन ने पूरी तरह से बिल्डिंग को पैक कर रखा था.

यह भी पढ़ें : बीजेपी की बड़ी नेता की पैरोकारी से बचे चारबाग के अवैध होटल कारोबारी, अब हर तरफ मौत के सरायघर


फायर सर्विस की जांच कमेटी ने माना है कि आग लगने के बाद होटल के अंदर मौजूद स्प्रिंकल्स चालू हो गए थे, जिससे आग ज्यादा देर तक नहीं लगी रही. टीम ने माना है कि आग होटल के पहले फ्लोर के सर्वर रूम में लगी थी. जिस कारण पहले फ्लोर में ही स्प्रिंकल्स चालू हुए थे और लगभग आग बुझ गयी थी. यही नहीं जब आग लगने के बाद दमकल टीम पहुंची थी तब होटल के अंदर ग्राउंड में बने चार पानी के टैंकरों में दो टैंकर खाली हो चुके थे, जिससे यह पता चलता है कि आग लगने के तुरंत बाद स्प्रिंकल्स चालू हो गए थे. हालांकि कुछ ही कमरों में फायर अलार्म भी बजे थे.

यह भी पढ़ें : परिवहन विभाग के नियम कानून धुआं-धुआं, बिना वाहन जांच के प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी कर रहे सेंटर

लखनऊ : राजधानी के हजरतगंज स्थित होटल लेवाना (Hotel Levana) में हुए अग्निकांड के मामले में गठित फायर डिपार्टमेंट की तीन सदस्यीय टीम ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है. रिपोर्ट में टीम ने माना है कि लेवाना होटल (Hotel Levana) को फायर सेफ्टी एनओसी (Fire Safety NOC) देने में अनदेखी की गई थी. जिसमें वर्तमान सीएफओ लखनऊ वीके सिंह व साल 2017 के दौरान रहे सीएफओ अभय भान पांडेय ने होटल द्वारा फायर सेफ्टी के 20 मानकों के पूरे न होने पर भी एनओसी दे दी थी. यही नहीं कमेटी ने माना है कि होटल प्रबंधन की तरफ से तीन ऐसी गलतियां की गई थीं, जिससे आग लगने के बाद उठे धुंए के गुबार से चार लोगों की मौत हो गयी. कमेटी शाम को शासन को रिपोर्ट सौंप देगी.


होटल लेवाना (Hotel Levana) में सोमवार को हुए अग्निकांड में फायर सेफ्टी में बरती गई लापरवाही की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी (three member committee) गठित की गई थी. इसमें डीआईजी फायर सर्विस आकाश कुलहरि अध्यक्ष व डिप्टी डायरेक्टर फायर अजय गुप्ता व सीएफओ मुख्यालय अनिमेष सिंह शामिल हैं. मंगलवार को सुबह टीम ने होटल लेवाना पहुंचकर जांच की और रिपोर्ट तैयार कर ली है. देर शाम कमेटी शासन को रिपोर्ट सौंपेगी.


सूत्रों के मुताबिक, फायर डिपार्टमेंट की टीम ने रिपोर्ट में माना है कि साल 2017 में तत्कालीन लखनऊ के सीएफओ अभय भान पांडेय ने होटल लेवाना को फायर एनओसी दी थी. एनओसी देते समय होटल में फायर सेफ्टी के निर्धारित 20 मानकों को पूरा कर रहा है या नहीं इसको ध्यान में नहीं रखा गया. यही नहीं साल 2021 में वर्तमान सीएफओ लखनऊ विजय कुमार सिंह ने एक बार फिर उसी एनओसी का नवीनीकरण कर दिया. इस बार भी मानकों की जांच नहीं करवाई गई थी.


नहीं करवाया गया था फायर ऑडिट : जांच कमेटी ने माना है कि होटल प्रबंधन द्वारा हर साल होने वाली फायर ऑडिट नहीं करवाई थी. यही नहीं लखनऊ के सीएफओ ने होटल प्रबंधन से फायर ऑडिटिंग रिपोर्ट की भी मांग नहीं की थी. जिस कारण यह नहीं पता लगाया जा सका कि होटल में लगे फायर सेफ्टी उपकरण कार्य कर रहे हैं या नहीं. कमेटी ने माना है कि लखनऊ फायर डिपार्टमेंट को निर्धारित समय पर लेवाना होटल प्रबंधन से फायर ऑडिट रिपोर्ट मांगनी चाहिए थी, जो नहीं मांगी गई.


होटल लेवाना (Hotel Levana) अग्निकांड की जांच कर रही कमेटी ने माना है कि चार लोगों की इस घटना में मौत होटल में फैले धुंए के कारण हुई है. होटल में आग लगने के बाद धुंए के फैलने के पीछे जांच कमेटी ने होटल प्रबंधन को जिम्मेदार माना है. कमेटी ने होटल की तीनों कमियों को मौतों का प्रमुख कारण माना है.


सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ने माना है कि होटल प्रबंधन ने आग लगने की स्थिति में धुंए के निकलने के लिए कोई भी एग्जिट प्वाइंट नहीं बनाया था. यही नहीं धुंए को एक ही फ्लोर में रोका जा सकता था, लेकिन होटल प्रबंधन ने कई नियमों की अनदेखी की थी. जांच में बताया गया है कि होटल की सीढ़ियों में दरवाजे नहीं लगे थे, जिस कारण सीढ़ियों में धुआं भर गया और धीरे धीरे होटल के सभी फ्लोर पर आग पहुंच गई. यही नहीं आग से फैला धुआं एसी के डक के द्वारा पूरे होटल में पहुंच गया, जबकि होटल प्रबंधन को एसी के डक में स्टॉपर लगना चाहिए था, जो आग लगने की स्थिति में बंद हो जाना चाहिए था.


जांच कमेटी ने माना है कि होटल लेवाना (Hotel Levana) में धुंए के निकलने का कोई भी रास्ता नहीं था. जांच में लिखा गया है कि होटल में सेकेंड स्टेयर नहीं थी, जिसको देखते हुए 6 महीने पहले होटल को नोटिस दी गयी थी, जिसके बाद उसका काम शुरू हुआ, लेकिन दूसरे तल तक ही पूरा हो पाया था. उन्होंने बताया कि सेकेंड स्टेयर पर डोर तक नहीं था. यही होता तो धुआं एक साथ पूरा बाहर आ जाता. यही नहीं होटल पूरी तरह पैक था, उसमें वेंटिलेशन के किये कोई भी इंतजाम नहीं थे.


जांच कमेटी ने माना है कि होटल पूरी तरह जेल की तरह था. खिड़कियों के बाहर लोहे की ग्रिल लगी थी. फायर एग्जिट में दरवाजा तक नहीं था. यही नहीं कोई भी ऐसी खिड़की नहीं थी, जिसमें अंदर से तोड़कर बाहर निकला जा सके. जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि होटल प्रबंधन ने पूरी तरह से बिल्डिंग को पैक कर रखा था.

यह भी पढ़ें : बीजेपी की बड़ी नेता की पैरोकारी से बचे चारबाग के अवैध होटल कारोबारी, अब हर तरफ मौत के सरायघर


फायर सर्विस की जांच कमेटी ने माना है कि आग लगने के बाद होटल के अंदर मौजूद स्प्रिंकल्स चालू हो गए थे, जिससे आग ज्यादा देर तक नहीं लगी रही. टीम ने माना है कि आग होटल के पहले फ्लोर के सर्वर रूम में लगी थी. जिस कारण पहले फ्लोर में ही स्प्रिंकल्स चालू हुए थे और लगभग आग बुझ गयी थी. यही नहीं जब आग लगने के बाद दमकल टीम पहुंची थी तब होटल के अंदर ग्राउंड में बने चार पानी के टैंकरों में दो टैंकर खाली हो चुके थे, जिससे यह पता चलता है कि आग लगने के तुरंत बाद स्प्रिंकल्स चालू हो गए थे. हालांकि कुछ ही कमरों में फायर अलार्म भी बजे थे.

यह भी पढ़ें : परिवहन विभाग के नियम कानून धुआं-धुआं, बिना वाहन जांच के प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी कर रहे सेंटर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.