लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 'एक जिला एक मेडिकल कॉलेज' की तर्ज पर अब हर जिले में एक-एक एकीकृत आयुष अस्पताल खोला जाएगा. ये 50 बेड के होंगे. इन अस्पतालों में मरीजों को आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और योग के उपचार की सुविधा मिलेगी. आयुष मंत्रालय की हरी झंडी मिलने के बाद 52 जिलों में जमीन की तलाश शुरू हो गई है.
आयुष मंत्रालय ने पहले चरण में प्रदेश में 24 एकीकृत आयुष अस्पताल बनाने के निर्देश दिए थे. इनमें 11 अस्पतालों का संचालन शुरू हो गया है. पांच अस्पतालों को छह माह में शुरू करने की तैयारी है. इन अस्पतालों में मरीजों के बढ़ते रुझान को देखते हुए अब हर जिले में एक-एक एकीकृत आयुष अस्पताल खोलने की तैयारी है. यह कार्य चरणबद्ध तरीके से पांच साल में पूरा किया जाएगा. इन अस्पतालों में मरीजों को दवाएं निशुल्क दी जाएंगी. इनमें करीब 40 से 50 डॉक्टर, नर्सिंग कर्मी व अन्य कर्मचारी तैनात किए जाएंगे. ये सभी चिकित्सालय रेफरल सेंटर के रूप में कार्य करेंगे. इसमें तीन सीनियर मेडिकल अफसर होंगे.
प्रदेश में जिन 11 अस्पतालों का संचालन शुरू हो गया है उनमें बनारस, सोनभद्र, संत कबीर नगर, ललितपुर, कानपुर, कानपुर देहात, लखनऊ, कौशांबी, देवरिया, अमेठी एवं बरेली के आयुष अस्पताल शामिल हैं. फतेहपुर, बलिया, जालौन, रायबरेली और बदायूं जिलों में करीब-करीब अस्पताल बनकर तैयार हैं. इसी तरह मिर्जापुर, संभल, बागपत, गोरखपुर, हरदोई, उन्नाव, बुलंदशहर में अस्पताल के लिए जमीन मिल गई है. अन्य 52 जिलों में जमीन की तलाश हो गई है.
आयुर्वेदिक विभाग के निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने बताया कि हर जिले में एकीकृत आयुष अस्पताल बनने से मरीजों को सस्ते दर पर उपचार मिल सकेगा. जहां जमीन मिल गई है वहां निर्माण कार्य शुरू कराया जा रहा है. अन्य जिलों में जमीन की तलाश चल रही है. अस्पतालों के संचालन के लिए चिकित्सक से लेकर चिकित्साकर्मी तक की भर्ती की जाएगी.
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यह मिलेंगे लाभ
- गंभीर बीमारी का इलाज कराने के कई विकल्प होंगे.
- आसानी से लोगों को मिल सकेंगी आयुष की सेवाएं.
- मरीज पंचकर्म व क्षार सूत्र से भी करा सकेंगे इलाज.
- एक ही छत के नीचे पांच विधाओं से इलाज की सुविधा होगी.
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