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एम्बुलेंस में प्रसव के मामलों में आई कमी,महिलाओं में जागरूकता बढ़ी

प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए 102 एम्बुलेंस का संचालन हो रहा है. यह एम्बुलेंस गर्भवती महिलाओं को मुफ्त मुहैया कराई जाती है. घर से गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाता है.

एम्बुलेंस
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Published : May 28, 2022, 4:49 PM IST

Updated : May 28, 2022, 5:01 PM IST

लखनऊ : यूपी की गर्भवती महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है. अब वह प्रसव से पहले एंबुलेंस को फोन कर रहीं हैं. इससे रास्ते में प्रसव की घटनाओं में कमी आयी है. प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए 102 एंबुलेंस का संचालन हो रहा है. यह एंबुलेंस गर्भवती महिलाओं को मुफ्त मुहैया कराई जाती है.

घर से गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाता है. वहीं, प्रसव के बाद अस्पताल से प्रसूता को घर पहुंचाया जाता है. कई बार प्रसव पीड़ा बढ़ने पर एंबुलेंस में ही प्रसव हो जाते हैं. ऐसा तब होता है, जब महिलाएं प्रसव का समय ध्यान नहीं रखती हैं. पीड़ा होने पर ऐन वक्त फोन करती हैं. इस दौरान एम्बुलेंस का प्रशिक्षित स्टाफ प्रसव कराता है. एम्बुलेंस संचालक कंपनी जीवीके ईएमआरआई के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट टीवीएस रेड्डी के मुताबिक 102 एम्बुलेंस में गर्भवती महिलाओं के प्रसव की संख्या में कमी आयी है. प्रदेश में इन एम्बुलेंस की संख्या 2270 है जबकि 108 सेवा की एम्बुलेंस से इमरजेंसी व घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाता है. उन्होंने बताया कि महिलाओं में जागरुकता बढ़ी है. इसका फर्क नजर आने लगा है.

जांच के लिए किया जा रहा प्रेरित : सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि आशा कार्यकत्री, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर व कर्मचारी महिलाओं को समय-समय पर जांच के लिए प्रेरित करते हैं. सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है. इससे संस्थागत प्रसव बढ़े हैं. समय पर महिलाएं अस्पताल पहुंच रही हैं. सड़क पर प्रसव की घटनाएं लगभग थम गई हैं.

प्रसव की घटनाएं
वर्ष एम्बुलेंस में प्रसव
2019-20 671
2020-21 601
2021-22 259

लखनऊ : यूपी की गर्भवती महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है. अब वह प्रसव से पहले एंबुलेंस को फोन कर रहीं हैं. इससे रास्ते में प्रसव की घटनाओं में कमी आयी है. प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए 102 एंबुलेंस का संचालन हो रहा है. यह एंबुलेंस गर्भवती महिलाओं को मुफ्त मुहैया कराई जाती है.

घर से गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाता है. वहीं, प्रसव के बाद अस्पताल से प्रसूता को घर पहुंचाया जाता है. कई बार प्रसव पीड़ा बढ़ने पर एंबुलेंस में ही प्रसव हो जाते हैं. ऐसा तब होता है, जब महिलाएं प्रसव का समय ध्यान नहीं रखती हैं. पीड़ा होने पर ऐन वक्त फोन करती हैं. इस दौरान एम्बुलेंस का प्रशिक्षित स्टाफ प्रसव कराता है. एम्बुलेंस संचालक कंपनी जीवीके ईएमआरआई के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट टीवीएस रेड्डी के मुताबिक 102 एम्बुलेंस में गर्भवती महिलाओं के प्रसव की संख्या में कमी आयी है. प्रदेश में इन एम्बुलेंस की संख्या 2270 है जबकि 108 सेवा की एम्बुलेंस से इमरजेंसी व घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाता है. उन्होंने बताया कि महिलाओं में जागरुकता बढ़ी है. इसका फर्क नजर आने लगा है.

जांच के लिए किया जा रहा प्रेरित : सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि आशा कार्यकत्री, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर व कर्मचारी महिलाओं को समय-समय पर जांच के लिए प्रेरित करते हैं. सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है. इससे संस्थागत प्रसव बढ़े हैं. समय पर महिलाएं अस्पताल पहुंच रही हैं. सड़क पर प्रसव की घटनाएं लगभग थम गई हैं.

प्रसव की घटनाएं
वर्ष एम्बुलेंस में प्रसव
2019-20 671
2020-21 601
2021-22 259

Last Updated : May 28, 2022, 5:01 PM IST
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