लखनऊ : केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लाए जाने के बाद टैक्स से जुड़े कामकाज में पारदर्शिता आई है. टैक्स चोरी पर पूरी तरह से अंकुश लग चुका है. वाणिज्य कर विभाग के इंस्पेक्टर राज से उद्यमियों को निजात मिल चुकी है. सब कुछ अब ऑनलाइन सिस्टम से किया जा रहा है. टैक्स जमा करने से लेकर तमाम अन्य तरह के काम जीएसटी के माध्यम से हो रहे हैं. इससे उद्यमियों को अपने उद्योगों को बढ़ावा देने में भी काफी राहत मिल रही है. हालांकि समय-समय पर कुछ सवाल भी उठते रहे हैं.
आंकड़ों की बात करें तो मार्च-अगस्त 2019 की तुलना में मार्च-अगस्त 2020 में कोविड संकट के चलते सभी 30 राज्यों को जीएसटी राजस्व की 27.6 फीसद की क्षति हुई थी. उत्तर प्रदेश को होने वाली क्षति की बात करें तो यह 27.8 फीसद रही है. वहीं अगर जीएसटी से संबंधित ताजा अनुमानों की बात करें तो मई 2022 में कुल जीएसटी संग्रह ₹140885 करोड़ था. इसमें मई 2021 के मुकाबले 44 फीसद की वृद्धि हुई है. जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो मई 2021 में जीएसटी राजस्व ₹4710 करोड़ था जो मई 2022 में बढ़कर ₹6670 करोड़ हो गया. इस तरह इस कालावधि में जीएसटी राजस्व में 42 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई. अगर दूसरे राज्यों में जीएसटी वृद्धि की बात करें तो कर्नाटक में सबसे ज्यादा 60 फीसद की वृद्धि हुई.
महाराष्ट्र में 50 फीसद गुजरात में 46 फीसद एवं तमिलनाडु में 41 फीसद की वृद्धि हुई है. अनुमान बताते हैं कि 2017-18 से 2019-20 की अवधि में यूपी की जीएसडीपी के सापेक्ष जीएसटी राजस्व लगभग 2.7 फीसद था. इस दौरान जीएसटी राजस्व में वृद्धि लगभग 1.4 फीसद रही है. महाराष्ट्र गोवा में जीएसटी-जीएसडीपी अनुपात करीब 3.1 फीसद था. इन दोनों राज्यों में जीएसटी की औसत वृद्धि दर क्रमशः 5.7 फीसद व 5.8 फीसद रही है. उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों में जीएसटी की वृद्धि अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही है. हालांकि इसमें वृद्धि की संभावनाएं रहती हैं. बशर्ते रिकवरी जारी रहे और करदाता नियमों का पालन करें. फिर भी 30 जून 2022 को राज्यों में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था समाप्त हो जाने से राजकोषीय दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं.
वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर एपी तिवारी कहते हैं कि वैट की तुलना में जीएसटी अधिक समतामूलक व कुशल है. इससे राज्यों को अपने राजस्व को बढ़ाने का बेहतर मौका मिला है. साथ ही उत्पादन प्रधान राज्यों में भी जीएसटी संग्रह में वृद्धि हुई है. वैट पेचीदा अकुशल व कैस्केडिंग प्रणाली थी, किंतु जीएसटी सरल, कुशल व एकीकृत प्रणाली है. फिर भी जीएसटी की दरों में विवेकसम्मत बदलाव और रियायतों को समाप्त कर इसे अधिक असरदार बनाए जाने की दरकार भी है. वह कहते हैं कि जहां तक जीएसटी का सवाल है तो पूर्व में वैट प्रणाली बहुत पेचीदी थी. उसमें सरलता नहीं थी और कर के ऊपर कर लगने की संभावना अधिक रहती थी. बड़े पैमाने पर पारदर्शिता के अभाव के कारण करदाता, नियमों का पालन नहीं कर पाता था. ऐसे में 1 जुलाई 2017 को वैट प्रणाली को समाप्त कर जीएसटी प्रणाली लाई गई थी. यह एक भारत में बड़ा कर सुधार था.
जीएसटी लागू होने के बाद से ही कर प्रणाली में पारदर्शिता आई है. करदाता कर का अनुपालन कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश का जो जीएसटी कर संग्रह है, वह जीएसडीपी का लगभग 1.7 फीसद है. जहां तक राजस्व वृद्धि की बात है तो 1.4 फीसद है. आंकड़े बताते हैं कि जीएसटी का जो लक्ष्य था वह पूरा हो रहा है. टैक्स देने की आदत बढ़ रही है. कर संग्रह बढ़ रहा है.
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