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मरीज की समस्या को ध्यान पूर्वक सुन लिया जाए तो कुछ हद तक कम हो जाती है पीड़ा : ब्रजेश पाठक - Medical

बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने एसजीपीजीआई में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट व न्यूरो फिजियोलॉजी लैब का लोकार्पण किया. उन्होंने कहा कि यहां प्रत्येक मरीज को समान संवेदना और सेवाभाव से देखा जाता है.

स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक
स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक
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Published : Jul 6, 2022, 11:10 PM IST

लखनऊ : यहां प्रत्येक मरीज को समान संवेदना और सेवाभाव से देखा जाता है. कभी-कभी भर्ती के लिए बिस्तर की अनुपलब्धता एक समस्या हो सकती है, लेकिन अगर मरीज की समस्या को ध्यान पूर्वक सुन लिया जाए तो उसकी पीड़ा कुछ हद तक कम हो जाती है. यह बातें बुधवार को डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने एसजीपीजीआई में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट व न्यूरो फिजियोलॉजी लैब का लोकार्पण करते हुये कहीं.

क्लीनिक न्यूरो फिजियोलॉजिकल लैब में मस्तिस्क, मेरुदंड, नसों और मासपेशियों की बीमारियों से ग्रसित मरीजों की जांच करने के लिए कई प्रकार की मशीनों का प्रयोग किया जाता है. इसमें मिर्गी की बीमारी से ग्रसित मरीजों का मूल्यांकन और इलाज के लिए ईईजी द्वारा दिमाग से उत्पन्न बिजली कि तरंगों का विश्लेषण कर के मिर्गी के प्रकार का पता किया जाता है. 15 से 20 प्रतिशत मिर्गी के मरीज जो कि दवा से ठीक नहीं हो पाते उनके लिए शल्य चिकित्सा के लिए भी ईईजी की अहम भूमिका रहती है. इसके अलावा नसों से संबंधित मरीजों के लिए मशीन द्वारा रोगी के नसों में विद्युत प्रवाह के माध्यम से बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

इसी प्रकार मांसपेसियों से उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म विद्युत तरंगों की जांच के लिए भी विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है. जिससे मांसपेसियों की बीमारियां जैसे मांसपेशीय दुर्विकास (muscular dystrophy) और विभिन्न प्रकार की मायोपैथी का विश्लेषण किया जाता है. मैग्नेटिक स्टिमुलेशन द्वारा सिर दर्द के मरीजों को बिना दवा के ठीक किया जाता है. मस्तिस्क की धमनियों में खून के प्रवाह में रूकावट के लिये भी चिकित्सकीय परीक्षण का उपयोग भी क्लीनिक न्यूरो फिजियोलॉजिकल लैब में किया जाता है. संस्थान में 1000 एलपीएम (लीटर पर मिनट) क्षमता का ऑक्सीजन पीएसए प्लान्ट डॉक्टर्स फॉर यू संस्था के ओर से स्थापित किया गया है. इस प्लान्ट की सप्लाई एवं स्थापना पर होने वाला सारा व्यय संस्था द्वारा ही वहन किया गया है.

ये भी पढ़ें : 500 करोड़ रुपये की लागत से खोला जायेगा पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर, जानिये क्या मिलेगी सुविधा

प्लांट पीएसए टेक्नोलॉजी (प्रेशर स्विंग अड्सॉबशन) पर कार्य करता है. जिसमें हवा से ऑक्सीजन को अलग कर 93 से 94 प्रतिशत की शुद्धता के साथ ऑक्सीजन प्राप्त होती है. जिसको सेंट्रल पाइप लाइन सिस्टम द्वारा अस्पताल में मरीजों तक पहुंचाया जाता है.

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लखनऊ : यहां प्रत्येक मरीज को समान संवेदना और सेवाभाव से देखा जाता है. कभी-कभी भर्ती के लिए बिस्तर की अनुपलब्धता एक समस्या हो सकती है, लेकिन अगर मरीज की समस्या को ध्यान पूर्वक सुन लिया जाए तो उसकी पीड़ा कुछ हद तक कम हो जाती है. यह बातें बुधवार को डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने एसजीपीजीआई में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट व न्यूरो फिजियोलॉजी लैब का लोकार्पण करते हुये कहीं.

क्लीनिक न्यूरो फिजियोलॉजिकल लैब में मस्तिस्क, मेरुदंड, नसों और मासपेशियों की बीमारियों से ग्रसित मरीजों की जांच करने के लिए कई प्रकार की मशीनों का प्रयोग किया जाता है. इसमें मिर्गी की बीमारी से ग्रसित मरीजों का मूल्यांकन और इलाज के लिए ईईजी द्वारा दिमाग से उत्पन्न बिजली कि तरंगों का विश्लेषण कर के मिर्गी के प्रकार का पता किया जाता है. 15 से 20 प्रतिशत मिर्गी के मरीज जो कि दवा से ठीक नहीं हो पाते उनके लिए शल्य चिकित्सा के लिए भी ईईजी की अहम भूमिका रहती है. इसके अलावा नसों से संबंधित मरीजों के लिए मशीन द्वारा रोगी के नसों में विद्युत प्रवाह के माध्यम से बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

इसी प्रकार मांसपेसियों से उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म विद्युत तरंगों की जांच के लिए भी विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है. जिससे मांसपेसियों की बीमारियां जैसे मांसपेशीय दुर्विकास (muscular dystrophy) और विभिन्न प्रकार की मायोपैथी का विश्लेषण किया जाता है. मैग्नेटिक स्टिमुलेशन द्वारा सिर दर्द के मरीजों को बिना दवा के ठीक किया जाता है. मस्तिस्क की धमनियों में खून के प्रवाह में रूकावट के लिये भी चिकित्सकीय परीक्षण का उपयोग भी क्लीनिक न्यूरो फिजियोलॉजिकल लैब में किया जाता है. संस्थान में 1000 एलपीएम (लीटर पर मिनट) क्षमता का ऑक्सीजन पीएसए प्लान्ट डॉक्टर्स फॉर यू संस्था के ओर से स्थापित किया गया है. इस प्लान्ट की सप्लाई एवं स्थापना पर होने वाला सारा व्यय संस्था द्वारा ही वहन किया गया है.

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प्लांट पीएसए टेक्नोलॉजी (प्रेशर स्विंग अड्सॉबशन) पर कार्य करता है. जिसमें हवा से ऑक्सीजन को अलग कर 93 से 94 प्रतिशत की शुद्धता के साथ ऑक्सीजन प्राप्त होती है. जिसको सेंट्रल पाइप लाइन सिस्टम द्वारा अस्पताल में मरीजों तक पहुंचाया जाता है.

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