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चुनाव से पहले इस अस्पताल का हुआ था उद्घाटन, सुविधाओं की कमी के चलते नहीं मिल पा रहा लाभ - 50 beds only

पश्चिम पुलिस लाइन के पास 50 शैय्या एकीकृत आयुष चिकित्सालय का निर्माण किया गया था. अस्पताल तो तैयार हो गया, लेकिन यहां सुविधाओं का टोटा है. मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी की व्यवस्था तो बेहतर है, लेकिन जांच के नाम पर कुछ भी नहीं है.

चिकित्सालय
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Published : May 21, 2022, 5:24 PM IST

Updated : May 21, 2022, 8:08 PM IST

नोट : अपडेट

लखनऊ। रायबरेली रोड स्थित कल्ली पश्चिम गांव में 50 बेड के अस्पताल का निर्माण किया गया. चुनाव से पहले जोर-शोर के साथ उसका उद्घाटन भी हुआ, लेकिन अस्पताल सिर्फ ओपीडी तक ही सीमित रह गया. जांच के नाम पर मरीजों के लिए यहां कुछ भी नहीं है.

रायबरेली रोड स्थित कल्ली पश्चिम पुलिस लाइन के पास 50 शैय्या एकीकृत आयुष चिकित्सालय का निर्माण किया गया था. अस्पताल तो तैयार हो गया, लेकिन यहां सुविधाओं का टोटा है. मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी की व्यवस्था तो बेहतर है, लेकिन जांच के नाम पर कुछ भी नहीं है. अस्पताल में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ पैथालॉजी की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते अस्पताल में इमरजेंसी या गंभीर बीमारी का कोई भी मरीज नहीं आता है. अस्पताल में करीब 32 लोगों का ही स्टाफ है. जिसमें तीन डॉक्टर आयुर्वेद, 2 डॉक्टर होम्योपैथ व एक डॉक्टर यूनानी के हैं. बताया जा रहा है कि रात में कोई भी डॉक्टर अस्पताल में नहीं रहता है.

ये भी पढ़ें : कैंसर संस्थान में होंगे 734 बेड, शासन से मिली हरी झंडी

इस संबंध में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. चारू गाबा ने बताया कि रोज ओपीडी में आने वाले पेशेंट की संख्या करीब 100 से ऊपर होती है. जिनका इलाज डॉक्टर करते हैं.

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नोट : अपडेट

लखनऊ। रायबरेली रोड स्थित कल्ली पश्चिम गांव में 50 बेड के अस्पताल का निर्माण किया गया. चुनाव से पहले जोर-शोर के साथ उसका उद्घाटन भी हुआ, लेकिन अस्पताल सिर्फ ओपीडी तक ही सीमित रह गया. जांच के नाम पर मरीजों के लिए यहां कुछ भी नहीं है.

रायबरेली रोड स्थित कल्ली पश्चिम पुलिस लाइन के पास 50 शैय्या एकीकृत आयुष चिकित्सालय का निर्माण किया गया था. अस्पताल तो तैयार हो गया, लेकिन यहां सुविधाओं का टोटा है. मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी की व्यवस्था तो बेहतर है, लेकिन जांच के नाम पर कुछ भी नहीं है. अस्पताल में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ पैथालॉजी की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते अस्पताल में इमरजेंसी या गंभीर बीमारी का कोई भी मरीज नहीं आता है. अस्पताल में करीब 32 लोगों का ही स्टाफ है. जिसमें तीन डॉक्टर आयुर्वेद, 2 डॉक्टर होम्योपैथ व एक डॉक्टर यूनानी के हैं. बताया जा रहा है कि रात में कोई भी डॉक्टर अस्पताल में नहीं रहता है.

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इस संबंध में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. चारू गाबा ने बताया कि रोज ओपीडी में आने वाले पेशेंट की संख्या करीब 100 से ऊपर होती है. जिनका इलाज डॉक्टर करते हैं.

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Last Updated : May 21, 2022, 8:08 PM IST
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