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छात्रों ने परीक्षा शुल्क के 305 करोड़ रुपये यूपी बोर्ड में किया जमा, अब उठे ये सवाल?

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Published : Jun 22, 2021, 12:52 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 2:46 PM IST

यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के करीब 56 लाख छात्र छात्राओं ने एग्जाम फीस के नाम पर बोर्ड के पास क्रमश 149 करोड़ और 156 करोड़ रुपये परीक्षा शुल्क जमा किया था. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं ना कराने का फैसला लिया है. ऐसे में अब छात्रों का 305 करोड़ रुपया बोर्ड के पास जमा है.

यूपी बोर्ड के पास है छात्रों के 305 करोड रुपए
यूपी बोर्ड के पास है छात्रों के 305 करोड रुपए

लखनऊ : यूपी बोर्ड के पास छात्रों का 305 करोड़ रुपये बकाया है. यह वह पैसा है जो करीब 56 लाख छात्र छात्राओं ने एग्जाम फीस के नाम पर बोर्ड के पास जमा कराया था. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं ना कराने का फैसला लिया है. ऐसे में लोगों की नजर अब इस 305 करोड़ रुपये पर है. आगरा शिक्षक खंड के 1 शिक्षक विधायक ने तो यह पैसा निजी स्कूलों के शिक्षकों को बांटने का प्रस्ताव तक रख दिया. वहीं दूसरी ओर छात्रों को यह पैसा वापस किए जाने की भी मांग उठने लगी हैं.


यह है 305 करोड़ का गणित

यूपी बोर्ड की हाई स्कूल की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र छात्राओं को 575 रुपये परीक्षा शुल्क देना होता है. इसी तरह इंटर में यह परीक्षा शुल्क 675 रुपये है. इस साल यूपी बोर्ड हाई स्कूल की परीक्षा देने के लिए करीब 29,94, 312 और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए करीब 26,09,501 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा शुल्क जमा किया था. इस लिहाज से हाई स्कूल के छात्रों से करीब 149 करोड़ और इंटरमीडिएट के छात्र छात्राओं से करीब 156 करोड रुपए परीक्षा शुल्क के नाम पर लिया गया. इस तरह से माध्यमिक शिक्षा परिषद के खाते में करीब 305 करोड़ रुपये छात्रों के जमा हैं.


निजी स्कूलों के शिक्षकों को बांट दे सरकार

पैसा भले ही छात्रों का है लेकिन इस पर नजर कई लोगों की टिकी हुई है. सरकार ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह इसके संबंध में आगे क्या कदम उठाने जा रहे हैं. लेकिन आगरा शिक्षक खंड से विधायक डॉ आकाश अग्रवाल ने इस पैसे को आर्थिक सहयोग के रूप में वित्तविहीन विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षकों में बांटे जाने की मांग की है. उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण और उसके बाद स्कूल बंद होने के कारण निजी स्कूलों प्रबंधकों की स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं. कई निजी स्कूल बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. यहां के शिक्षक आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. ऐसे में सरकार इस पैसे को आर्थिक संकट से जूझ रहे वित्तविहीन शिक्षकों की मदद के लिए दे दे.


छात्रों का पैसा छात्रों के लिए हो इस्तेमाल

अभिभावकों की तरफ से इसको लेकर आपत्तियां जताई गई हैं. अभिभावक संघ का कहना है कि यह छात्रों का पैसा है. इसलिए इसका इस्तेमाल भी छात्रों के लिए ही किया जाना चाहिए. सरकार के पास विकल्प है कि वह या तो यह पैसा छात्रों को वापस कर दे या फिर ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना संक्रमण के इस दौर में अपने अभिभावकों को खो दिया है उनके कल्याण में इस पैसे का इस्तेमाल किया जा सकता है. एनएसयूआई के छात्र नेता लालू कनौजिया का कहना है कि पैसा छात्रों का है और छात्रों के ही काम आना चाहिए. उधर, सरकार की तरफ से अभी इस पूरे प्रकरण में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है.

लखनऊ : यूपी बोर्ड के पास छात्रों का 305 करोड़ रुपये बकाया है. यह वह पैसा है जो करीब 56 लाख छात्र छात्राओं ने एग्जाम फीस के नाम पर बोर्ड के पास जमा कराया था. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं ना कराने का फैसला लिया है. ऐसे में लोगों की नजर अब इस 305 करोड़ रुपये पर है. आगरा शिक्षक खंड के 1 शिक्षक विधायक ने तो यह पैसा निजी स्कूलों के शिक्षकों को बांटने का प्रस्ताव तक रख दिया. वहीं दूसरी ओर छात्रों को यह पैसा वापस किए जाने की भी मांग उठने लगी हैं.


यह है 305 करोड़ का गणित

यूपी बोर्ड की हाई स्कूल की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र छात्राओं को 575 रुपये परीक्षा शुल्क देना होता है. इसी तरह इंटर में यह परीक्षा शुल्क 675 रुपये है. इस साल यूपी बोर्ड हाई स्कूल की परीक्षा देने के लिए करीब 29,94, 312 और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए करीब 26,09,501 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा शुल्क जमा किया था. इस लिहाज से हाई स्कूल के छात्रों से करीब 149 करोड़ और इंटरमीडिएट के छात्र छात्राओं से करीब 156 करोड रुपए परीक्षा शुल्क के नाम पर लिया गया. इस तरह से माध्यमिक शिक्षा परिषद के खाते में करीब 305 करोड़ रुपये छात्रों के जमा हैं.


निजी स्कूलों के शिक्षकों को बांट दे सरकार

पैसा भले ही छात्रों का है लेकिन इस पर नजर कई लोगों की टिकी हुई है. सरकार ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह इसके संबंध में आगे क्या कदम उठाने जा रहे हैं. लेकिन आगरा शिक्षक खंड से विधायक डॉ आकाश अग्रवाल ने इस पैसे को आर्थिक सहयोग के रूप में वित्तविहीन विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षकों में बांटे जाने की मांग की है. उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण और उसके बाद स्कूल बंद होने के कारण निजी स्कूलों प्रबंधकों की स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं. कई निजी स्कूल बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. यहां के शिक्षक आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. ऐसे में सरकार इस पैसे को आर्थिक संकट से जूझ रहे वित्तविहीन शिक्षकों की मदद के लिए दे दे.


छात्रों का पैसा छात्रों के लिए हो इस्तेमाल

अभिभावकों की तरफ से इसको लेकर आपत्तियां जताई गई हैं. अभिभावक संघ का कहना है कि यह छात्रों का पैसा है. इसलिए इसका इस्तेमाल भी छात्रों के लिए ही किया जाना चाहिए. सरकार के पास विकल्प है कि वह या तो यह पैसा छात्रों को वापस कर दे या फिर ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना संक्रमण के इस दौर में अपने अभिभावकों को खो दिया है उनके कल्याण में इस पैसे का इस्तेमाल किया जा सकता है. एनएसयूआई के छात्र नेता लालू कनौजिया का कहना है कि पैसा छात्रों का है और छात्रों के ही काम आना चाहिए. उधर, सरकार की तरफ से अभी इस पूरे प्रकरण में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है.

Last Updated : Jun 22, 2021, 2:46 PM IST
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