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सुलतानपुर नगर पालिका परिषद चेयरमैन को राहत, हाईकोर्ट ने वित्तीय अधिकार सीज करने के आदेश पर लगाई रोक

सुलतानपुर नगर पालिका परिषद की चेयरमैन बबिता जायसवाल को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए शासन द्वारा वित्तीय अधिकार सीज करने के आदेश पर रोक लगा दी है.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Aug 17, 2022, 9:23 PM IST

Updated : Aug 17, 2022, 9:43 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नगर पालिका परिषद, सुलतानपुर की चेयरमैन बबिता जायसवाल के वित्तीय अधिकार सीज किए जाने के शासन के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया चेयरमैन को पद से हटाने की कोई कार्यवाही बगैर वित्तीय अधिकार सीज करने का आदेश जारी किया गया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने चेयरमैन बबिता जायसवाल की याचिका पर पारित किया है. याची की ओर से शासन द्वारा 3 अगस्त को जारी वित्तीय अधिकार सीज करने सम्बंधी आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी गई थी कि 2 मई 2022 को उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस में उन पर सिर्फ एक आरोप लगाते हुए, उनसे स्पष्टीकरण तलब किया गया था. इसके पूर्व 2 मई 2019 को भी एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. जिसमें उनसे पूछा गया था कि उन्हें उनके पद से क्यों नहीं हटाया जाए.

यह भी पढ़ें:नकली गुटखा बनाने वाली कंपनियों के निदेशकों को हाईकोर्ट से राहत

साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्यों न उन्हें प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों से वंचित कर दिया जाए. यह भी दलील दी गई कि 2 मई 2019 को भेजी गई नोटिस में ऐसे कोई भी आरोप नहीं लगाए गए थे. जो इस बार 2 मई 2022 को भेजी गई नोटिस में लगाए गए है. न्यायालय ने पाया कि 2 मई 2022 की नोटिस में सिर्फ यह स्पष्टीकरण नहीं तलब किया गया कि याची को क्यों न उसके पद से हटा दिया जाए. बल्कि सिर्फ यह पूछा गया कि क्यों न उसे प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारों से वंचित कर दिया जाए. न्यायालय ने कहा कि बिना किसी प्रक्रिया के म्युनिसिपल एक्ट की धारा 48 के परंतुक के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती.

यह भी पढ़ें:पूर्व सैनिक सेवा जोड़ते हुए पुलिस आरक्षी का वेतन निर्धारित करने का हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

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यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने चेयरमैन बबिता जायसवाल की याचिका पर पारित किया है. याची की ओर से शासन द्वारा 3 अगस्त को जारी वित्तीय अधिकार सीज करने सम्बंधी आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी गई थी कि 2 मई 2022 को उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस में उन पर सिर्फ एक आरोप लगाते हुए, उनसे स्पष्टीकरण तलब किया गया था. इसके पूर्व 2 मई 2019 को भी एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. जिसमें उनसे पूछा गया था कि उन्हें उनके पद से क्यों नहीं हटाया जाए.

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साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्यों न उन्हें प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों से वंचित कर दिया जाए. यह भी दलील दी गई कि 2 मई 2019 को भेजी गई नोटिस में ऐसे कोई भी आरोप नहीं लगाए गए थे. जो इस बार 2 मई 2022 को भेजी गई नोटिस में लगाए गए है. न्यायालय ने पाया कि 2 मई 2022 की नोटिस में सिर्फ यह स्पष्टीकरण नहीं तलब किया गया कि याची को क्यों न उसके पद से हटा दिया जाए. बल्कि सिर्फ यह पूछा गया कि क्यों न उसे प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारों से वंचित कर दिया जाए. न्यायालय ने कहा कि बिना किसी प्रक्रिया के म्युनिसिपल एक्ट की धारा 48 के परंतुक के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती.

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Last Updated : Aug 17, 2022, 9:43 PM IST
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