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हेपेटाइटिस-ई वायरस खतरनाक, गर्भपात के साथ जा सकती है जान - Hepatitis-E virus found in 207 patients

हेपेटाइटिस-ई वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इसकी पुष्टि केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हुए शोध में हुई है.

केजीएमयू
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Published : May 6, 2022, 4:43 PM IST

लखनऊ : दूषित खाने-पीने की चीजों विशेषकर गंदे पानी में पनपने वाला हेपेटाइटिस-ई वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है. वायरस की चपेट में आने से गर्भपात के साथ ही मौत भी हो सकती है. इसकी पुष्टि केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हुए शोध में हुई है. यह शोधपत्र इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. शोधपत्र निधि भटनागर, शांतनु प्रकाश, वंगला रामकृष्णन, दानिश, शक्ति सोमनाथ श्रीवास्तव, विमला वेंकटेश, डी हिमांशु रेड्डी, अमिता जैन के नाम से प्रकाशित हुआ है.

केजीएमयू की महिला विभाग की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान बताती हैं कि हेपेटाइटिस-ई गर्भवती महिलाओं के लिए काफी ज्यादा खतरनाक है. गर्भधारण के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. हार्मोंस में बदलाव होता है. ऐसे में छोटी से छोटी बीमारी भी बड़ा असर छोड़ती है. हेपेटाइटिस-ई बरसात के मौसम में ज्यादा इफेक्टिव होता है. मानसून आने के समय अस्पताल की ओपीडी में हेपेटाइटिस-ई से पीड़ित महिला मरीजों का आना शुरू हो जाता है. वह बताती हैं कि कई बार तो महिलाएं ऐसे समय आती हैं जब गर्भपात हो जाता है. इसलिए गर्भधारण के दौरान तमाम सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि गर्भ में पल रहे शिशु पर कोई असर न पड़े.

इस शोध में पता चला कि मेडिसिन विभाग में 536 लोगों ने हेपेटाइटिस-ई वायरस की जांच के लिए पंजीकरण कराया था. एलाइजा टेस्ट के आधार पर इन मरीजों में से 38 फीसदी यानी कि 207 में यह वायरस पाया गया. पॉजीटिव मिले लोगों में 115 पुरुष और 92 महिलाएं शामिल थीं. शोध में गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया. जिन गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस-ई संक्रमण हुआ था, उनमें से 51 फीसदी का गर्भपात हुआ. इसके अलावा वायरस की वजह से हुई मौतों में से गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत 23.5 फीसदी था. इसकी तुलना में सामान्य महिलाओं के मामले में मौत का प्रतिशत सिर्फ 2.4 फीसदी ही था. इस आधार पर हेपेटाइटिस-ई वायरस से गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहने को कहा गया है.

वायरस संक्रमण के कारण

साफ-सफाई का अभाव, संक्रमित जानवरों का अधपका मांस खाने से, संक्रमित खून चढ़ाने, संक्रमित गर्भवती मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को.

हेपेटाइटिस-ई वायरस के लक्षण

त्वचा का पीला पड़ना, पेशाब का रंग गहरा होना, जोड़ों में दर्द, भूख न लगना, पेट में दर्द, लिवर का बढ़ जाना, एक्यूट लिवर फेल्योर, उल्टी, थकान, बुखार.

संक्रमण होने पर ऐसा करें

चार से छह सप्ताह में संक्रमण ठीक हो जाता है. ज्यादा से ज्यादा आराम करें. पौष्टिक भोजन का सेवन. खूब पानी पिएं.

जून से सितंबर तक सबसे ज्यादा मामले

शोधपत्र में हेपेटाइटिस-ई संक्रमण के समय के बारे में भी बताया गया है. यह वायरस बरसात के समय सबसे ज्यादा फैलता है. इसलिए जून से सितंबर में इसकी आशंका सबसे ज्यादा होती है. इसे देखते हुए बरसात के महीने में खान-पान में विशेष सावधानी रखने की सलाह दी गई है.

ये भी पढ़ें : प्रदेश में बुधवार को मिले 199 नये कोरोना संक्रमित मरीज

लखनऊ : दूषित खाने-पीने की चीजों विशेषकर गंदे पानी में पनपने वाला हेपेटाइटिस-ई वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है. वायरस की चपेट में आने से गर्भपात के साथ ही मौत भी हो सकती है. इसकी पुष्टि केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हुए शोध में हुई है. यह शोधपत्र इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. शोधपत्र निधि भटनागर, शांतनु प्रकाश, वंगला रामकृष्णन, दानिश, शक्ति सोमनाथ श्रीवास्तव, विमला वेंकटेश, डी हिमांशु रेड्डी, अमिता जैन के नाम से प्रकाशित हुआ है.

केजीएमयू की महिला विभाग की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान बताती हैं कि हेपेटाइटिस-ई गर्भवती महिलाओं के लिए काफी ज्यादा खतरनाक है. गर्भधारण के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. हार्मोंस में बदलाव होता है. ऐसे में छोटी से छोटी बीमारी भी बड़ा असर छोड़ती है. हेपेटाइटिस-ई बरसात के मौसम में ज्यादा इफेक्टिव होता है. मानसून आने के समय अस्पताल की ओपीडी में हेपेटाइटिस-ई से पीड़ित महिला मरीजों का आना शुरू हो जाता है. वह बताती हैं कि कई बार तो महिलाएं ऐसे समय आती हैं जब गर्भपात हो जाता है. इसलिए गर्भधारण के दौरान तमाम सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि गर्भ में पल रहे शिशु पर कोई असर न पड़े.

इस शोध में पता चला कि मेडिसिन विभाग में 536 लोगों ने हेपेटाइटिस-ई वायरस की जांच के लिए पंजीकरण कराया था. एलाइजा टेस्ट के आधार पर इन मरीजों में से 38 फीसदी यानी कि 207 में यह वायरस पाया गया. पॉजीटिव मिले लोगों में 115 पुरुष और 92 महिलाएं शामिल थीं. शोध में गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया. जिन गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस-ई संक्रमण हुआ था, उनमें से 51 फीसदी का गर्भपात हुआ. इसके अलावा वायरस की वजह से हुई मौतों में से गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत 23.5 फीसदी था. इसकी तुलना में सामान्य महिलाओं के मामले में मौत का प्रतिशत सिर्फ 2.4 फीसदी ही था. इस आधार पर हेपेटाइटिस-ई वायरस से गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहने को कहा गया है.

वायरस संक्रमण के कारण

साफ-सफाई का अभाव, संक्रमित जानवरों का अधपका मांस खाने से, संक्रमित खून चढ़ाने, संक्रमित गर्भवती मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को.

हेपेटाइटिस-ई वायरस के लक्षण

त्वचा का पीला पड़ना, पेशाब का रंग गहरा होना, जोड़ों में दर्द, भूख न लगना, पेट में दर्द, लिवर का बढ़ जाना, एक्यूट लिवर फेल्योर, उल्टी, थकान, बुखार.

संक्रमण होने पर ऐसा करें

चार से छह सप्ताह में संक्रमण ठीक हो जाता है. ज्यादा से ज्यादा आराम करें. पौष्टिक भोजन का सेवन. खूब पानी पिएं.

जून से सितंबर तक सबसे ज्यादा मामले

शोधपत्र में हेपेटाइटिस-ई संक्रमण के समय के बारे में भी बताया गया है. यह वायरस बरसात के समय सबसे ज्यादा फैलता है. इसलिए जून से सितंबर में इसकी आशंका सबसे ज्यादा होती है. इसे देखते हुए बरसात के महीने में खान-पान में विशेष सावधानी रखने की सलाह दी गई है.

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