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वर्ल्ड कैंसर डे विशेष: कैंसर को हरा चुके राज्यपाल राम नाईक ने कहा- इससे डरना नहीं लड़ना है

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि सबसे पहले कैंसर के डर को मन से भगाना चाहिए फिर नियमित रुप से उच्चस्तरीय इलाज की जरुरत होती है, जिसमें पैसों की भी आवश्यकता होती है. आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री राहत कोषों से भी जरुरतमंदों को सहायता दी जाती है. इसके साथ ही कई सामाजिक संस्थाएं हैं जो कैंसर पीड़ित लोगों के इलाज में हर संभव मदत करती है.

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Published : Feb 4, 2019, 3:24 PM IST

राज्यपाल राम नाईक

लखनऊ: 04 फरवरी को पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर डे के रुप में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ईटीवी से खास बातचीत में कैंसर के खिलाफ इंसान को हिम्मत से मुकाबला करने की नसीहत दी. 25 साल पहले कैंसर जैसे गंभीर रोग को मात दे चुके राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि जब उन्होंने कैंसर के खिलाफ जंग छेड़ रखी थी तो उन्हें मजबूत इच्छाशक्ति, परिवार के सहयोग और विज्ञान के दम पर इस रोग पर विजय मिली.

राज्यपाल राम नाईक की ईटीवी से खास बातचीत.
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राज्यपाल कहते हैं कि सबसे पहले कैंसर के डर को मन से भगाना चाहिए फिर नियमित रुप से उच्चस्तरीय इलाज की जरुरत होती है, जिसमें पैसों की भी आवश्यकता होती है. आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री राहत कोषों से भी जरुरतमंदों को सहायता दी जाती है. इसके साथ ही कई सामाजिक संस्थाएं हैं जो कैंसर पीड़ित लोगों के इलाज में हर संभव मदत करती है.

अटल बिहारी ने राज्यपाल को दी प्रेरणा
अपनी बीमारियों के दिनों की याद करते हुए राज्यपाल कहते हैं कि जब कैंसर पर विजय पाकर वह फिर से उठ खड़े हुए तो 25 सिंतबर 1994 को मुंबई कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी खुद आएं और हजारों लोगों की मौजूदगी में उन्होंने स्वर्ग के द्वार से लौटकर आने की बात कही. अटल बिहारी ने राज्यपाल को समाज व देश के लिए कुछ विशेष करने की प्रेरणा दी. अपने इस जीवन को ईश्वर द्वारा दिये गए बोनस के रुप मे देखते हुए राज्यपाल राम नाईक ने सार्वजनिक हित में ही आगे की जिंदगी गुजारने का प्रण किया.

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कैंसर को मात देने वाले शख्स की बेटी कैंसर रिसर्च साइंटिस्ट
दो बेटियों के पिता राज्यपाल राम नाईक कहते हैं कि उनकी बड़ी बेटी डॉ निशीगंधा ने कैंसर के रीसर्च वर्क में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है. उन दिनों राष्ट्रपति द्वारा यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिला था. बीमारी के दिनों में बेटी के फ्रांस में रहने के बावजूद वहीं से उनके इलाज में निगरानी रखने की बात कही. इलाज के दौरान परिवार के सपोर्ट व पॉजिटिव अप्रोच को बेहद अहम बताते हुए राज्यपाल कहते हैं कि इसी का नतीजा है कि वह इर रोग को पटखनी देने में कामयाब रहें.

चरैवेति के बारे में राज्यपाल कहते हैं कि इसका अर्थ है चलते रहो, चलते रहो. 3 से 4 हजार साल पुराने संस्कृत के ग्रंथ का उल्लेख करते हुए राज्यपाल कहते हैं कि 2 श्लोकों के भावार्थ के अनुसार देवराज इंद्र एक राजा को कहते हैं कि जो बैठा है उसका भाग्य बैठ जाता है जो सो रहा है उसका भाग्य सो जाता है जो खड़ा हो जाता है उसका भाग्य भी खड़ा रहता है, पर जो चलता रहता है उसी का भाग्य चलता है इसीलिए हमेशा चलते रहो और चलते रहो.

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हाऊ इस द जोश?
राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि अब तक तो उन्होंने इस फिल्म को देखा नहीं है, पर काफी कुछ सुना है और जैसा पता चला है कि सेना का देश के प्रति जुनून और कर्तव्य निष्ठा की बदौलत विषम परिस्थितियों में लड़ना ही देश प्रेम का परिचायक है. भले ही उन्होंने इस फिल्म को नहीं देखा है, पर उनके अंदर देशप्रेम का जोश भरपूर है. राज्यपाल ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें 'उरी' फिल्म देखने का आमंत्रण भी मिला है और संभवतः वो 04 तारीख को इस फिल्म को देखेंगे.

लखनऊ: 04 फरवरी को पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर डे के रुप में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ईटीवी से खास बातचीत में कैंसर के खिलाफ इंसान को हिम्मत से मुकाबला करने की नसीहत दी. 25 साल पहले कैंसर जैसे गंभीर रोग को मात दे चुके राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि जब उन्होंने कैंसर के खिलाफ जंग छेड़ रखी थी तो उन्हें मजबूत इच्छाशक्ति, परिवार के सहयोग और विज्ञान के दम पर इस रोग पर विजय मिली.

राज्यपाल राम नाईक की ईटीवी से खास बातचीत.
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राज्यपाल कहते हैं कि सबसे पहले कैंसर के डर को मन से भगाना चाहिए फिर नियमित रुप से उच्चस्तरीय इलाज की जरुरत होती है, जिसमें पैसों की भी आवश्यकता होती है. आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री राहत कोषों से भी जरुरतमंदों को सहायता दी जाती है. इसके साथ ही कई सामाजिक संस्थाएं हैं जो कैंसर पीड़ित लोगों के इलाज में हर संभव मदत करती है.

अटल बिहारी ने राज्यपाल को दी प्रेरणा
अपनी बीमारियों के दिनों की याद करते हुए राज्यपाल कहते हैं कि जब कैंसर पर विजय पाकर वह फिर से उठ खड़े हुए तो 25 सिंतबर 1994 को मुंबई कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी खुद आएं और हजारों लोगों की मौजूदगी में उन्होंने स्वर्ग के द्वार से लौटकर आने की बात कही. अटल बिहारी ने राज्यपाल को समाज व देश के लिए कुछ विशेष करने की प्रेरणा दी. अपने इस जीवन को ईश्वर द्वारा दिये गए बोनस के रुप मे देखते हुए राज्यपाल राम नाईक ने सार्वजनिक हित में ही आगे की जिंदगी गुजारने का प्रण किया.

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कैंसर को मात देने वाले शख्स की बेटी कैंसर रिसर्च साइंटिस्ट
दो बेटियों के पिता राज्यपाल राम नाईक कहते हैं कि उनकी बड़ी बेटी डॉ निशीगंधा ने कैंसर के रीसर्च वर्क में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है. उन दिनों राष्ट्रपति द्वारा यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिला था. बीमारी के दिनों में बेटी के फ्रांस में रहने के बावजूद वहीं से उनके इलाज में निगरानी रखने की बात कही. इलाज के दौरान परिवार के सपोर्ट व पॉजिटिव अप्रोच को बेहद अहम बताते हुए राज्यपाल कहते हैं कि इसी का नतीजा है कि वह इर रोग को पटखनी देने में कामयाब रहें.

चरैवेति के बारे में राज्यपाल कहते हैं कि इसका अर्थ है चलते रहो, चलते रहो. 3 से 4 हजार साल पुराने संस्कृत के ग्रंथ का उल्लेख करते हुए राज्यपाल कहते हैं कि 2 श्लोकों के भावार्थ के अनुसार देवराज इंद्र एक राजा को कहते हैं कि जो बैठा है उसका भाग्य बैठ जाता है जो सो रहा है उसका भाग्य सो जाता है जो खड़ा हो जाता है उसका भाग्य भी खड़ा रहता है, पर जो चलता रहता है उसी का भाग्य चलता है इसीलिए हमेशा चलते रहो और चलते रहो.

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हाऊ इस द जोश?
राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि अब तक तो उन्होंने इस फिल्म को देखा नहीं है, पर काफी कुछ सुना है और जैसा पता चला है कि सेना का देश के प्रति जुनून और कर्तव्य निष्ठा की बदौलत विषम परिस्थितियों में लड़ना ही देश प्रेम का परिचायक है. भले ही उन्होंने इस फिल्म को नहीं देखा है, पर उनके अंदर देशप्रेम का जोश भरपूर है. राज्यपाल ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें 'उरी' फिल्म देखने का आमंत्रण भी मिला है और संभवतः वो 04 तारीख को इस फिल्म को देखेंगे.

Intro:वर्ल्ड कैंसर डे विशेष: बोले राज्यपाल राम नाईक,कैंसर से डरने की नहीं लड़ने की आवश्यकता है

03 फरवरी 2019

04 फरवरी को पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर डे के रुप में मनाया जाता है।उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ईटीवी से खास बातचीत में कैंसर के विरुद्ध जंग में इंसान को हिम्मत के साथ मुकाबला करने की नसीहत दी।करीब 25 वर्ष पूर्व कैंसर जैसे गंभीर रोग को मात दे चुके राज्यपाल राम नाईक अपने निजी जीवन में कैंसर से जुड़े संस्मरण बताते हुए उन 09 महीनों का ज़िक्र किया जब कैंसर के खिलाफ़ उन्होंने जंग छेड़ रखी थी,मजबूत इच्छाशक्ति,परिवार का सहयोग व विज्ञान के अविष्कार द्वारा इस रोग को परास्त करने वाली औषधियों से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर विजय प्राप्त की।

कैंसर के बारें में आमतौर पर लोगों के मन मे बसे डर का ज़िक्र करते हुए प्रदेश के राज्यपाल कहते है कि विज्ञान अब काफ़ी प्रगति कर चुका है,और कैंसर पर जीत हासिल की जा सकती है।
उम्र के 85 बसंत देख चुके 5 बार के पूर्व सांसद रहे प्रदेश के राज्यपाल 25 वर्ष पूर्व हुए इस रोग के बाबजूद अपने आप को रोग होने के पहले की भांति ही काम करने में सक्षम पाते है।

कैंसर से लड़ने में महत्त्वपूर्ण बिंदुओं के बारें में बताते हुए कहते है कि सबसे पहले कैंसर के डर को मन से भगाना चाहिए,फिर नियमित रुप से उच्चस्तरीय इलाज़ की जरुरत होती है जिसमे पैसों की भी आवश्यकता होती है,आर्थिक मदत के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री राहत कोषों से भी जरुरतमंदो को सहायता दी जाती है साथ ही कई सामाजिक संस्थाएं है जो कैंसर पीड़ित लोगों के इलाज़ में हर संभव मदत करती है।











Body:अपनी बीमारियों के दिनों की याद करते हुए राज्यपाल कहते है जब कैंसर पर विजय पाकर वो फिर से उठ खड़े हुए तो 25 सिंतबर 1994 को मुंबई कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी खुद आएं और हज़ारों लोगों की भीड़ की मौजूदगी में उन्होंने स्वर्ग के द्वार से लौटकर आने की बात कहते हुए समाज व देश के लिए कुछ विशेष करने की प्रेरणा दी।अपने इस जीवन को ईश्वर द्वारा दिये गए बोनस के रुप मे देखते हुए राज्यपाल राम नाईक ने सार्वजनिक हित मे ही आगे की लाइफ गुज़ारने का प्रण किया।

कैंसर को मात देने वाले शख्स की बेटी कैंसर रिसर्च साइंटिस्ट -

दो बेटियों के पिता राज्यपाल राम नाईक कहते है कि उनकी बड़ी बेटी डॉ निशीगंधा ने कैंसर के रीसर्च वर्क में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है,उन दिनों राष्ट्रपति द्वारा यंग साइंटिस्ट अवार्ड भी मिला था,बीमारी के दिनों में बेटी के फ्रांस में रहने के बावजूद वही से उनके इलाज़ में निगरानी रखने की बात कही।इलाज़ के दौरान परिवार के सपोर्ट व पॉजिटिव अप्प्रोच को बेहद अहम बताते हुए राज्यपाल कहते है कि इसी का नतीजा है कि उन्होनें रोग को पटखनी देने में क़ामयाब रहे।

चरैवेति - चरैवेति

चरैवेति - चरैवेति के बारें में राज्यपाल कहते है कि इसका अर्थ है चलते रहो - चलते रहो।3 से 4 हज़ार पुराने संस्कृत के ग्रंथ का उल्लेख करते हुए राज्यपाल कहते है कि 2 श्लोकों के भावार्थ के अनुसार देवराज इंद्र एक राजा को कहते है कि जो बैठा है उसका भाग्य बैठ जाता है जो सो रहा है उसका भाग्य सो जाता है,जो खड़ा हो जाता है उसका भाग्य भी खड़ा रहता है,पर जो चलता रहता है उसीका भाग्य चलता है इसीलिए हमेशा चलते रहो और चलते रहो।दूसरे श्लोक के बारे में कहते है कि जैसे मधुमक्खी एक फूल से उड़ कर दूसरे फूल पर जाती है और शहद इकठ्ठा करती है ,जैसे पक्षी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाते है और फल खाते है जैसे हर सुबह सूर्य शाम तक चलता रहता है और सभी को प्रकाश देता है जीवन और ऊर्जा देता है और सबका वंदनीय है उसी से प्रेरणा लेते हुए हमेशा चलते रहना चाहिए और वंदनीय बनना चाहिए।अपने जीवन के अनुभवों का उल्लेख भी उनकी इसी चरैवेति - चरैवेति नाम की किताब में है।सकारात्मकता से जीवन को देखने वाले व्यक्ति के सामने भले ही कितनी कठिनाई आएं पर इंसान उनका डटकर मुक़ाबला करके आगे बढ़ सकता है।उनके जीवन अब तक कुछ ऐसी ही सीख उन्हें मिली है।


हाऊ इस द जोश?

राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि अब तक तो उन्होंने इस फ़िल्म को देखा नही है पर काफ़ी कुछ सुना है और जैसा पता चला है कि सेना का देश के प्रति जुनून और कर्तव्य निष्ठा की बदौलत विषम परिस्थितियों में लड़ना ही देश प्रेम का परिचायक है।भले ही उन्होंने इस फ़िल्म को नही देखा है पर उनके अंदर देशप्रेम का जोश भरपूर है।बड़ा ख़ुलासा करते हुए राज्यपाल ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें 'उरी' फ़िल्म देखने का आमंत्रण भी मिला है और संभवतः वो 04 तारीख़ को इस फ़िल्म को देखेंगें ।


















प्रणव कुमार - 7000024034


Conclusion:वन 2 वन : राम नाईक - राज्यपाल - उत्तर प्रदेश

प्रणव कुमार - 7000024034
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