लखनऊ: राजधानी में एक युवती को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की शिकायत थाने में दर्ज न होने पर उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. कोर्ट के आदेश पर गोमती नगर थाने में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. पीड़िता ने पुलिस पर आरोपियों को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया है.
मूलरूप से रेवतीपुर जिला गाजीपुर की रहने वाली पीड़िता अर्चना राय ने बताया कि वो नौकरी की तलाश कर रही थी. इसी बीच किसी के माध्यम से 3 साल पहले उसकी मुलाकात वाराणसी निवासी दीपक गुप्ता व सीतापुर के दुर्गाशरण मिश्रा से हुई थी. उन्होंने उसे बताया कि वो नगर निगम, पशुधन, रेलवे समेत कई सरकारी विभागों में नौकरी लगवा सकते हैं. पीड़िता के मुताबिक, उसने उन दोनों के झांसे में आकर जालसाजों को अलग अलग तारीखों में 5 लाख रुपये दे दिए. इस पर उन दोनों ने पीड़िता को एक नियुक्ति पत्र दिया और कहा कि कंपनी का अभी नवीनीकरण हुआ है. कुछ दिन बाद ज्वाइनिंग मिल जाएगी.
रेलवे के बदले नगर निगम में नौकरी का दिया भरोसा : कई महीने बीत जाने के बाद जब नौकरी नहीं मिली तो पीड़िता ने दोनों जालसाजों पर दबाव डालना शुरू किया. इस पर उसे कहा गया कि अब उसकी नौकरी नगर निगम में संविदा पर बाबू के पद पर लगा दी जाएगी. उससे 8 लाख रुपये की और मांग की गई. पीड़िता ने पैसे देने से इनकार कर दिया. इसी बीच पीड़िता ने जालसाजों द्वारा दिए गए रेलवे का नियुक्ति पत्र की जानकारी की तो पता चला कि वह फर्जी है.
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जालसाजों का ठगने का है पुराना काम : पीड़िता ने बताया कि जब उसे एहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हो गयी है तो उसने उन दोनों के विषय में जानकारी इकट्ठा करनी शुरू की. पता चला कि वो नौकरी के नाम पर पैसे ठगने का खेल कई सालों से कर रहे हैं. यही नहीं, लखनऊ के गाजीपुर थाना में 3 व चंदौली जिले के सकलडीहा थाने में एक एफआईआर दर्ज है.
पुलिस ने नहीं की मदद : पीड़िता अर्चना ने आरोप लगाया कि नौकरी के नाम पर उसके साथ 5 लाख की ठगी होने पर जब उसने गोमतीनगर थाने पर शिकायत दर्ज करानी चाही तो वहां उसकी सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद उसने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में शिकायती पत्र दिया. इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी.
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