ETV Bharat / city

एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में चार अवार्डी को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में चार अवार्डी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया. इसमें एक डीएम कोर्स की टॉपर छात्रा है. एक एमसीएच का टॉपर छात्र है. तीसरी पीएचडी छात्र, चौथे संस्थान के संकाय सदस्य हैं.

four-doctors-honored-in-sgpgi-convocation-by-president-in-lucknow
four-doctors-honored-in-sgpgi-convocation-by-president-in-lucknow
author img

By

Published : Aug 27, 2021, 8:16 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 8:42 PM IST

लखनऊ: एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में चार अवार्डी को राष्ट्रपति सम्मानित कर रहे हैं. इसमें एक डीएम कोर्स की टॉपर छात्रा है. एक एमसीएच का टॉपर छात्र है. तीसरी पीएचडी स्टूडेंट्स, चौथे संस्थान के संकाय सदस्य हैं. एमसीएच का टॉपर अपने जिले का पहला यूरोलॉजिस्ट बना है. वहीं डीएम कोर्स की मेधावी छात्रा परिवार की पहली डॉक्टर बनीं. दोनों ने मेडिकोज को सफलता के टिप्स भी दिए.

जानकारी देते एमसीएच टॉपर डॉ. शीतांगसू काकोटी
यूरोलॉजी विभाग के एमसीएच छात्र डॉ. शीतांगसू काकोटी को डॉ. आरके शर्मा अवार्ड के लिए चुना गया है. डॉ. शीतांगसू ने गुर्दा से इनफेरिवर वेनाकेवा तक फैले कैंसर के ऑपरेशन पर शोध किया है. वह बताते हैं कि वेनाकेवा तक फैले कैंसर को हटाने से पहले दवाएं दी जानी चाहिए. इससे ट्यूमर का आकार छोटा हो जाता है. ऐसे में दूसरे अंगों को बचाकर सफल ऑपरेशन किया जा सकता है. अभी तक बायपास तकनीक से ऑपरेशन किया जाता था.

एमसीएच टॉपर डॉ. शीतांगसू काकोटी ने बताया कि वो असम का रहने वाले हैं. उनके जिले का नाम गोलाघाट है. उनके यहां कोई भी यूरोलॉजिस्ट नहीं है. वर्षों के बाद उनका यूरोलॉजिस्ट बनने का सपना साकार हो रहा है. पीजीआई से एमसीएच की डिग्री लेने के बाद वो जिले में काम करेंगे. उन्होंने कहा कि मरीजों से बढ़कर कोई किताब नहीं हो सकती है. पढ़ाई के दोरान क्लीनिक वर्क पर फोकस थ्योरी के इतना ही जरूरी है.

क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की डॉ. पंक्ति मेहता के नाम बेस्ट अवार्ड रहा. उन्होंने वार्ड में मरीजों के मैनेजमेंट, ओपीडी में सलाह और रिसर्च में अहम भूमिका निभाई. इसके साथ ही सर्वोच्च अंक भी हासिल किए. इन्होंने शोध में पाया कि हर तरह की मायोसाइटिस बीमारी खतरनाक नहीं होती है. इस बीमारी में समय से इलाज और लगातार फॉलोअप से मरीज अच्छी जिंदगी पा सकता है. मायोसाइटिस मांसपेशियों की कमजोरी होती है. यह बीमारी शरीर की मांसपेशियों के खिलाफ खास एंटीबॉडी के बनने के कारण होती है. इससे ऑटो इम्यून डिजीज कहते हैं. इस बीमारी का पता लगाने के लिए इंस्ट्रक्टेबल न्यूक्लियर एंटीजन परीक्षण किया, जिसमें 14 एंटीजन का देखा. मरीज किस एंटीजन के कारण बीमार है, ये जानकर उसके आधार पर बीमारी की गंभीरता का आंकलन किया. टाकायासू आर्थराइटिस बीमारी की गंभीरता देखने के लिए एक खास बायोमार्कर देखा, जिसका नाम हिस्टीडीन है. इसके कम होने पर भी बीमारी अधिक परेशान करती है.

डीएम टॉपर डॉ. पंक्ति मेहता मुम्बई की रहने वाली हैं. वो अपने परिवार की पहली डॉक्टर हैं. वो पढ़ाई कभी घंटे के हिसाब से नहीं करतीं. जो तय किया बस उसको फिनिश करने का लक्ष्य रहता है. मगर, हां थ्योरी के साथ-साथ क्लीनिक वर्क पर बराबर फोकस किया. उनका मानना है कि मरीजों की बीमारी ठीक से डायग्नोस करना व उनका बेहतर इलाज करना ही, आपको अच्छा चिकित्सक बना सकता है.


इंडो सर्जरी विभाग के प्रो. गौरव अग्रवाल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी हैं. उन्हें बेस्ट रिसर्च के लिए प्रो.एस आर नायक अवार्ड मिलेगा. उनका सेनटेनियल लिम्फ नोड बायोप्सी पर रहा. दावा है कि इससे लिम्फनोड से फैले स्तन कैंसर का पता लगा कर उसे निकाल दिया जाता है. जिससे दोबारा स्कन कैंसर की आशंका कम हो जाती है. डॉ. गौरव ऑन्कोप्लास्टिक स्तन सर्जरी को संस्थान में स्थापित किया. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की तकनीकी समिति का हिस्सा रहे. प्रो. अग्रवाल ब्रेस्ट सर्जरी इंटरनेशनल (बीएसआई) के मौजूदा अध्यक्ष हैं.


इंडोक्राइनोलॉजी के शोध छात्र डॉ. संगम रजक को प्रो.एसएस अग्रवाल बेस्ट रिसर्च पेपर अवॉर्ड मिलेगा. डॉ. संगम के मुताबिक हार्ट की बीमारी के लिए कोलेस्ट्रॉल को खतरनाक माना जाता है. रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल के जमा होने पर रक्त प्रवाह कम हो जाता है. इससे दिल को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिलता है. इससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है. मरीजों पर किए शोध में पाया कि यूएलके-1 जीन के अधिक क्रियाशील होने पर कोलेस्ट्रॉल रक्त वाहिकाओं में जमा होने की आशंका बढ़ जाती है.

ऐसे में इस जीन की क्रियाशीलता को कम करने के लिए यूएलके-1 इनहैबिटर का इस्तेमाल किया, तो देखा इससे रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमा होना कम हो गया. यह परीक्षण कोशिकाओं पर करने के साथ ही रैट मॉडल पर किया. इस शोध को लास आप यूएलके-1 एडीन्यूटेस कोलेस्ट्रोजेनिक जीन एक्सप्रेशन इन मैमिलियन हिपेटिक सेल के नाम फ्रंटियर इन सेल एंड डेवलपमेंट बायोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल ने स्वीकार किया है. इस शोध से दिल की बीमारी की आशंका कम करने के लिए नई दवा आने की संभावना बढ़ जाएगी.

बरेली के मूल निवासी डॉ. अनिल गंगवार ने जीएसवीएम से एमबीबीएस व केजीएमयू से एमडी किया है. दीक्षांत समारोह में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी में डीएम की डिग्री मिली है. डॉ. अनिल के मुताबिक सरकार चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करें और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी सेवाएं शुरू की जाएं. इससे ग्रामीण इलाके के गरीबों को भी बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके. डीएम की डिग्री लेने के बाद भी वह ग्रामीण इलाके में सेवा देने को तैयार हैं, बशर्ते संबंधित चिकित्सा संस्थान में मरीजों के उपचार के संसाधन मिले. वह परिवार के पहले डॉक्टर हैं.

गैस्ट्रोइंट्रोरोलॉजी विभाग से डीएम की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. आकाश माथुर कहते हैं कि शास्त्र में लिखा है कि सभी बीमारियों की जड़ पेट में होती है. मॉडर्न साइंस भी यह मानती है. ऐसे में उन्होंने एमबीबीएस करने के दौरान ही तय कर लिया था कि गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट बन कर समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत देने का प्रयास करेंगे. साथ ही वह अपनी उर्जा ऐसी जगह लगाना चाहते हैं, जहां उनकी पढ़ाई का ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा मिल सके.


ये भी पढ़ें- योगी सरकार का ऑपरेशन ठोको: 8472 मुठभेड़ में 3302 अपराधी हुए घायल, 146 ढेर

कार्डियोलॉजी से डीएम की डिग्री लेने वाले डॉ. स्मारक राउत उड़ीसा के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है. वहीं अस्पतालों में संसाधन कम हैं. ऐसे में तमाम लोगों की मौत हो जाती है. इस मृत्यु दर को कम करने के लिए वह छोटे शहरों और कस्बों में कोरडियोलॉजी सेवा का विस्तार करेंगे. कार्डियोलॉजी में इंटरवेंशन और मेडिसिन दोनों के जरिए मरीजों का उपचार किया जा सकता है. डॉ. राउत भी परिवार के पहले डॉक्टर हैं.

लखनऊ: एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में चार अवार्डी को राष्ट्रपति सम्मानित कर रहे हैं. इसमें एक डीएम कोर्स की टॉपर छात्रा है. एक एमसीएच का टॉपर छात्र है. तीसरी पीएचडी स्टूडेंट्स, चौथे संस्थान के संकाय सदस्य हैं. एमसीएच का टॉपर अपने जिले का पहला यूरोलॉजिस्ट बना है. वहीं डीएम कोर्स की मेधावी छात्रा परिवार की पहली डॉक्टर बनीं. दोनों ने मेडिकोज को सफलता के टिप्स भी दिए.

जानकारी देते एमसीएच टॉपर डॉ. शीतांगसू काकोटी
यूरोलॉजी विभाग के एमसीएच छात्र डॉ. शीतांगसू काकोटी को डॉ. आरके शर्मा अवार्ड के लिए चुना गया है. डॉ. शीतांगसू ने गुर्दा से इनफेरिवर वेनाकेवा तक फैले कैंसर के ऑपरेशन पर शोध किया है. वह बताते हैं कि वेनाकेवा तक फैले कैंसर को हटाने से पहले दवाएं दी जानी चाहिए. इससे ट्यूमर का आकार छोटा हो जाता है. ऐसे में दूसरे अंगों को बचाकर सफल ऑपरेशन किया जा सकता है. अभी तक बायपास तकनीक से ऑपरेशन किया जाता था.

एमसीएच टॉपर डॉ. शीतांगसू काकोटी ने बताया कि वो असम का रहने वाले हैं. उनके जिले का नाम गोलाघाट है. उनके यहां कोई भी यूरोलॉजिस्ट नहीं है. वर्षों के बाद उनका यूरोलॉजिस्ट बनने का सपना साकार हो रहा है. पीजीआई से एमसीएच की डिग्री लेने के बाद वो जिले में काम करेंगे. उन्होंने कहा कि मरीजों से बढ़कर कोई किताब नहीं हो सकती है. पढ़ाई के दोरान क्लीनिक वर्क पर फोकस थ्योरी के इतना ही जरूरी है.

क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की डॉ. पंक्ति मेहता के नाम बेस्ट अवार्ड रहा. उन्होंने वार्ड में मरीजों के मैनेजमेंट, ओपीडी में सलाह और रिसर्च में अहम भूमिका निभाई. इसके साथ ही सर्वोच्च अंक भी हासिल किए. इन्होंने शोध में पाया कि हर तरह की मायोसाइटिस बीमारी खतरनाक नहीं होती है. इस बीमारी में समय से इलाज और लगातार फॉलोअप से मरीज अच्छी जिंदगी पा सकता है. मायोसाइटिस मांसपेशियों की कमजोरी होती है. यह बीमारी शरीर की मांसपेशियों के खिलाफ खास एंटीबॉडी के बनने के कारण होती है. इससे ऑटो इम्यून डिजीज कहते हैं. इस बीमारी का पता लगाने के लिए इंस्ट्रक्टेबल न्यूक्लियर एंटीजन परीक्षण किया, जिसमें 14 एंटीजन का देखा. मरीज किस एंटीजन के कारण बीमार है, ये जानकर उसके आधार पर बीमारी की गंभीरता का आंकलन किया. टाकायासू आर्थराइटिस बीमारी की गंभीरता देखने के लिए एक खास बायोमार्कर देखा, जिसका नाम हिस्टीडीन है. इसके कम होने पर भी बीमारी अधिक परेशान करती है.

डीएम टॉपर डॉ. पंक्ति मेहता मुम्बई की रहने वाली हैं. वो अपने परिवार की पहली डॉक्टर हैं. वो पढ़ाई कभी घंटे के हिसाब से नहीं करतीं. जो तय किया बस उसको फिनिश करने का लक्ष्य रहता है. मगर, हां थ्योरी के साथ-साथ क्लीनिक वर्क पर बराबर फोकस किया. उनका मानना है कि मरीजों की बीमारी ठीक से डायग्नोस करना व उनका बेहतर इलाज करना ही, आपको अच्छा चिकित्सक बना सकता है.


इंडो सर्जरी विभाग के प्रो. गौरव अग्रवाल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी हैं. उन्हें बेस्ट रिसर्च के लिए प्रो.एस आर नायक अवार्ड मिलेगा. उनका सेनटेनियल लिम्फ नोड बायोप्सी पर रहा. दावा है कि इससे लिम्फनोड से फैले स्तन कैंसर का पता लगा कर उसे निकाल दिया जाता है. जिससे दोबारा स्कन कैंसर की आशंका कम हो जाती है. डॉ. गौरव ऑन्कोप्लास्टिक स्तन सर्जरी को संस्थान में स्थापित किया. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की तकनीकी समिति का हिस्सा रहे. प्रो. अग्रवाल ब्रेस्ट सर्जरी इंटरनेशनल (बीएसआई) के मौजूदा अध्यक्ष हैं.


इंडोक्राइनोलॉजी के शोध छात्र डॉ. संगम रजक को प्रो.एसएस अग्रवाल बेस्ट रिसर्च पेपर अवॉर्ड मिलेगा. डॉ. संगम के मुताबिक हार्ट की बीमारी के लिए कोलेस्ट्रॉल को खतरनाक माना जाता है. रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल के जमा होने पर रक्त प्रवाह कम हो जाता है. इससे दिल को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिलता है. इससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है. मरीजों पर किए शोध में पाया कि यूएलके-1 जीन के अधिक क्रियाशील होने पर कोलेस्ट्रॉल रक्त वाहिकाओं में जमा होने की आशंका बढ़ जाती है.

ऐसे में इस जीन की क्रियाशीलता को कम करने के लिए यूएलके-1 इनहैबिटर का इस्तेमाल किया, तो देखा इससे रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमा होना कम हो गया. यह परीक्षण कोशिकाओं पर करने के साथ ही रैट मॉडल पर किया. इस शोध को लास आप यूएलके-1 एडीन्यूटेस कोलेस्ट्रोजेनिक जीन एक्सप्रेशन इन मैमिलियन हिपेटिक सेल के नाम फ्रंटियर इन सेल एंड डेवलपमेंट बायोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल ने स्वीकार किया है. इस शोध से दिल की बीमारी की आशंका कम करने के लिए नई दवा आने की संभावना बढ़ जाएगी.

बरेली के मूल निवासी डॉ. अनिल गंगवार ने जीएसवीएम से एमबीबीएस व केजीएमयू से एमडी किया है. दीक्षांत समारोह में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी में डीएम की डिग्री मिली है. डॉ. अनिल के मुताबिक सरकार चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करें और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी सेवाएं शुरू की जाएं. इससे ग्रामीण इलाके के गरीबों को भी बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके. डीएम की डिग्री लेने के बाद भी वह ग्रामीण इलाके में सेवा देने को तैयार हैं, बशर्ते संबंधित चिकित्सा संस्थान में मरीजों के उपचार के संसाधन मिले. वह परिवार के पहले डॉक्टर हैं.

गैस्ट्रोइंट्रोरोलॉजी विभाग से डीएम की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. आकाश माथुर कहते हैं कि शास्त्र में लिखा है कि सभी बीमारियों की जड़ पेट में होती है. मॉडर्न साइंस भी यह मानती है. ऐसे में उन्होंने एमबीबीएस करने के दौरान ही तय कर लिया था कि गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट बन कर समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत देने का प्रयास करेंगे. साथ ही वह अपनी उर्जा ऐसी जगह लगाना चाहते हैं, जहां उनकी पढ़ाई का ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा मिल सके.


ये भी पढ़ें- योगी सरकार का ऑपरेशन ठोको: 8472 मुठभेड़ में 3302 अपराधी हुए घायल, 146 ढेर

कार्डियोलॉजी से डीएम की डिग्री लेने वाले डॉ. स्मारक राउत उड़ीसा के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है. वहीं अस्पतालों में संसाधन कम हैं. ऐसे में तमाम लोगों की मौत हो जाती है. इस मृत्यु दर को कम करने के लिए वह छोटे शहरों और कस्बों में कोरडियोलॉजी सेवा का विस्तार करेंगे. कार्डियोलॉजी में इंटरवेंशन और मेडिसिन दोनों के जरिए मरीजों का उपचार किया जा सकता है. डॉ. राउत भी परिवार के पहले डॉक्टर हैं.

Last Updated : Aug 27, 2021, 8:42 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.