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बसों में उपचार मुहैया कराने वाले फर्स्ट एड बॉक्स बीमार, अग्निशमन यंत्र बने शोपीस - बसों में उपचार

रोडवेज बसों में यात्रा करते समय उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने यात्रियों की सुविधा के लिए प्राथमिक उपचार के तौर पर फर्स्ट एड बॉक्स लगाए हैं, लेकिन कई बसों के बॉक्स में दवायें नहीं हैं, जिनमें हैं भी तो एक्सपायर हो चुकी हैं.

फर्स्ट एड बॉक्स
फर्स्ट एड बॉक्स
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Published : Aug 25, 2022, 8:10 PM IST

लखनऊ : रोडवेज बसों में यात्रा करते समय उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने यात्रियों की सुविधा के लिए प्राथमिक उपचार के तौर पर फर्स्ट एड बॉक्स लगाए हैं, लेकिन कई बसों के बॉक्स में दवायें नहीं हैं, जिनमें हैं भी तो एक्सपायर हो चुकी हैं. इतना ही नहीं बस के अंदर अग्निशमन यंत्र भी लगे हुए हैं, लेकिन यह शोपीस बने हुये हैं. इनकी अवधि खत्म हो चुकी है. जिन बसों में सही हैं भी तो चालक परिचालकों को इन उपकरणों का इस्तेमाल करने का आइडिया नहीं है. जिसके चलते तमाम ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं कि उपकरण लगे ही रह गए बस जलकर खाक हो गई.


उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के अजब-गजब कारनामे हैं. जब नई बस बनकर तैयार होती है तो बस के अंदर फर्स्ट एड बॉक्स लगाया जाता है और उसी समय बस में कुछ दवाइयां रख दी जाती हैं. फर्स्ट एड बॉक्स को सालों साल बस संचालन के दौरान खोला ही नहीं जाता है. बस के अंदर यह दवाइयां सड़ जाती हैं. "ईटीवी भारत" ने रोडवेज की साधारण बसों के साथ ही इलेक्ट्रिक बसों में फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर दवाइयों और आग लगने पर काम आने वाले अग्निशमन यंत्र की हालत परखने के लिए रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि बसों में फर्स्ट एड बॉक्स तो लगा है, लेकिन दवाइयां नदारद हैं.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

बॉक्स के अंदर हथौड़ी रखी है ड्राइवर कंडक्टर के पुराने फटे कपड़े रखे हैं. इतना ही नहीं कुछ बसों में तो सिर्फ जहां पर फर्स्ट एड बॉक्स लगा होता है वहां पर निशान ही बचा है, बॉक्स गायब है. इस दौरान ऐसी भी बस देखने को मिली जिसका निर्माण होकर संचालन के लिए बाहर निकाला गया होगा तभी फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर दवाइयां रख दी गई होंगी और उसके बाद कभी इसे खोला नहीं गया. जब बस ड्राइवर ने इस बॉक्स को खोला तो उसमें सभी दवाइयां एक्सपायर हो चुकी थीं. आधी से ज्यादा सड़ चुकी थीं.


यह भी पढ़ें : लुटेरी दुल्हनों से सावधान, मथुरा लखनऊ के बाद कहीं आप न हो जाएं शिकार


लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस का कहना है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की तरफ से फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयां रखी जाती हैं. सभी चालक परिचालकों को भी जरूरी दवाइयां बॉक्स के अंदर रखने की सलाह दी जाती है. अगर फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर दवाइयां नहीं हैं तो जल्द ही दवाइयों की व्यवस्था कराई जाएगी. जहां तक बात फायर एक्सटिंग्विशर की वैधता खत्म होने की है तो इन्हें रीफिल कराया जाएगा. ड्राइवर कंडक्टर को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है कि बस में आग लगने की घटना पर किस तरह अग्निशमन यंत्र का इस्तेमाल किया जाए.

यह भी पढ़ें : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी में महत्वपूर्ण बैठक, छात्रों के हित में लिए गए ये बड़े फैसले

लखनऊ : रोडवेज बसों में यात्रा करते समय उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने यात्रियों की सुविधा के लिए प्राथमिक उपचार के तौर पर फर्स्ट एड बॉक्स लगाए हैं, लेकिन कई बसों के बॉक्स में दवायें नहीं हैं, जिनमें हैं भी तो एक्सपायर हो चुकी हैं. इतना ही नहीं बस के अंदर अग्निशमन यंत्र भी लगे हुए हैं, लेकिन यह शोपीस बने हुये हैं. इनकी अवधि खत्म हो चुकी है. जिन बसों में सही हैं भी तो चालक परिचालकों को इन उपकरणों का इस्तेमाल करने का आइडिया नहीं है. जिसके चलते तमाम ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं कि उपकरण लगे ही रह गए बस जलकर खाक हो गई.


उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के अजब-गजब कारनामे हैं. जब नई बस बनकर तैयार होती है तो बस के अंदर फर्स्ट एड बॉक्स लगाया जाता है और उसी समय बस में कुछ दवाइयां रख दी जाती हैं. फर्स्ट एड बॉक्स को सालों साल बस संचालन के दौरान खोला ही नहीं जाता है. बस के अंदर यह दवाइयां सड़ जाती हैं. "ईटीवी भारत" ने रोडवेज की साधारण बसों के साथ ही इलेक्ट्रिक बसों में फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर दवाइयों और आग लगने पर काम आने वाले अग्निशमन यंत्र की हालत परखने के लिए रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि बसों में फर्स्ट एड बॉक्स तो लगा है, लेकिन दवाइयां नदारद हैं.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

बॉक्स के अंदर हथौड़ी रखी है ड्राइवर कंडक्टर के पुराने फटे कपड़े रखे हैं. इतना ही नहीं कुछ बसों में तो सिर्फ जहां पर फर्स्ट एड बॉक्स लगा होता है वहां पर निशान ही बचा है, बॉक्स गायब है. इस दौरान ऐसी भी बस देखने को मिली जिसका निर्माण होकर संचालन के लिए बाहर निकाला गया होगा तभी फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर दवाइयां रख दी गई होंगी और उसके बाद कभी इसे खोला नहीं गया. जब बस ड्राइवर ने इस बॉक्स को खोला तो उसमें सभी दवाइयां एक्सपायर हो चुकी थीं. आधी से ज्यादा सड़ चुकी थीं.


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लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस का कहना है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की तरफ से फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयां रखी जाती हैं. सभी चालक परिचालकों को भी जरूरी दवाइयां बॉक्स के अंदर रखने की सलाह दी जाती है. अगर फर्स्ट एड बॉक्स के अंदर दवाइयां नहीं हैं तो जल्द ही दवाइयों की व्यवस्था कराई जाएगी. जहां तक बात फायर एक्सटिंग्विशर की वैधता खत्म होने की है तो इन्हें रीफिल कराया जाएगा. ड्राइवर कंडक्टर को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है कि बस में आग लगने की घटना पर किस तरह अग्निशमन यंत्र का इस्तेमाल किया जाए.

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