लखनऊ: किसी भी बिल्डिंग या फिर स्थानों में आग लगते ही सबसे पहले फायर डिपार्टमेंट को कॉल की जाती है, ताकि जल्द से जल्द आग में काबू पाया जा सके. लेकिन कई बार जाम के चलते फायर टेंडर को पंहुचते-पहुंचते देर हो जाती है. गाड़ी समय पर पहुंच भी जाए तो ऊंची बिल्डिंग होने के चलते आग बुझाने में दिक्कतें आती हैं. लेकिन आने वाले समय में यूपी में ऐसी समस्या नहीं आएगी क्योंकि आग बुझाने के लिए ड्रोन की सहायता ली जाएगी. हालांकि इससे पहले हेलीकॉप्टर का प्रयोग करने के लिए विभाग कोशिश कर चुका है. लेकिन सफलता नहीं मिल सकी थी.
यूपी में सुरक्षा और जांच एजेंसियों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) कई अहम फैसले कर रहे हैं. सीएम ने फायर डिपार्टमेंट को भी हाईटेक बनाने के लिए फैसले लेते हुए अब ड्रोन के प्रयोग के लिए जोर दिया है. जिससे कम समय में ऊंची इमारतों में ड्रोन की सहायता से आग बुझाने के साथ -साथ आग लगने की स्थिति में रेकी की जा सके. इसको लेकर विभाग ने ड्रोन को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर ली है.
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लखनऊ के चीफ फायर ऑफिसर (CFO) विजय कुमार सिंह के मुताबिक, हम लोग ड्रोन को लेकर एक गाइडलाइन तैयार कर रहे हैं. ऊंची बिल्डिंग में जब आग लगती है, तो ड्रोन की सहायता से अग्निशमन अधिकारी उस बिल्डिंग के ऊपर के हिस्सों में यह देख सकेंगे कि फ्लोर के किस हिस्से में आग लगी है और वहां कितने लोग फंसे हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पास मौजूदा समय ऐसे फायर बॉल और छोटे अग्निशामक (Fire Extinguisher) मौजूद है, जिन्हें ड्रोन में रख कर बिल्डिंग के ऊंचे हिस्सों में आग लगने वाली जगह पर छोड़ देंगे, जिससे आग बुझने में अधिक मदद मिलेगी.
सीएफओ विजय सिंह के मुताबिक, एक टेक्निकल टीम और फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों की एक टीम इस पहलू पर भी कार्य कर रही है कि किस तरह ड्रोन की सहायता से अधिक से अधिक जान-माल की सुरक्षा कर सकें.
हेलीकॉप्टर का प्लान नहीं हो सका सफल साल 2014 में अखिलेश सरकार के दौरान फायर डिपार्टमेंट की तरफ से गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा गया था. जिसमें आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर की मांग की थी. प्रस्ताव के मुताबिक, छोटे आकार के हेलीकॉप्टर को फायर डिपार्टमेंट में जोड़ने के लिए कहा गया था. जिनमे 4 कमांडों की बैठनी की जगह रखी गयी थी. जिसमें कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट में राज्य और केंद्र की भागीदारी होगी. इसका खर्चा 30 करोड़ आंका गया था. हालांकि इस प्रस्ताव को गृह विभाग ने नामकंजूर कर दिया था. गृह विभाग का तर्क था कि केवल आग बुझाने के लिए एक हेलीकॉप्टर रखना घाटे के प्रोजेक्ट है.
कैसे काम करता है ड्रोन ड्रोन विशेषज्ञ तुषार के मुताबिक, किसी बिल्डिंग में आग लगने की स्थिति में फायर टेंडर के अलावा हाइड्रोलिक आग को काबू करने के लिए कहीं हद तक मददगार होते हैं. लेकिन हॉटस्पॉट को चिन्हित करने के लिए ड्रोन सबसे अधिक मददगार होता है. यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ ड्रोन को फायर डिपार्टमेंट में शामिल करने पर जोर दे रहे है. कैसे काम करता है ड्रोन काम जानिए:-ड्रोन की मदद से हॉटस्पॉट की जानकारी ली जा सकती है. आग बुझाने के अभियान से पहले यह जानना आवश्यक होता है कि आग की क्या सीमा है और किन-किन हिस्सों में आग लगी है. -ड्रोन तंग जगहों पर आसानी से चले जाते हैं. क्योंकि वो इंसान से अधिक तेज होते है. यही नहीं अगर फायर मैन आग बुझाने के लिए किसी जगह फंस गया है, तो उसे ड्रोन की सहायता से गाइड किया जा सकता है. -ड्रोन में लगे कैमरे की मदद से आग में फंसे लोगों की पहचान कर एक साथ बड़े क्षेत्रफल पर नजर रख सकता है. -विदेशों में डीजेआई इंस्पायर 2, डीजेआई मेट्रिक्स 300 आरटीके, डीजेआई मैट्रिक्स 210 वी2 और तोता ANAFI थर्मल किस्म के ड्रोन का प्रयोग आग बुझाने की स्थिति में होता है.
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