लखनऊ: अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. प्रीति वर्मा बताया कि घटना का संज्ञान लेते हुए पुलिस के आला अधिकारियों से कार्रवाई की बात की गई है. इस दौरान बाल आयोग की सदस्य प्रीति ने कहा कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में कई बार पुलिसकर्मियों की लापरवाही व संवेदनहीनता देखने को मिलती है. पिछले एक साल में लगभग 900 मामलों में बाल आयोग ने पीड़ितों की मदद करते हुए एफआईआर दर्ज कराई है.
ईटीवी भारत से क्या बोलीं प्रीति वर्मा
- बाल आयोग की सदस्य ने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेदारों को संवेदनशील व सक्रिय होने की राय दी है.
- प्रीति ने बताया सामान्यतया देखा गया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जो तंत्र बनाया गया है, उसके महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरीके से निर्वहन नहीं करते हैं.
- जिसके चलते व्यवस्था लचर रहती है, जिसका फायदा अपराधियों को मिलता है.
- प्रीति ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने की बहुत ही आवश्यकता है.
- अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया कि नहीं?
- बच्ची की गुमशुदगी के बाद अगर पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती, तो शव की बरामदगी में 3 दिन का समय नहीं लगता और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो सकती थी.
- पुलिस वालों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि अभी तक आरोपियों पर पाक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकी है.