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एक बार में 900 से अधिक मामलों में बाल आयोग ने दर्ज कराई FIR, कहा- जिम्मेदारों को होना होगा संवेदनशील - राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग

अलीगढ़ मासूम की हत्या के मामले में राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेदारों को संवेदनशील व सक्रिय होने की राय दी.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करती प्रीति वर्मा.
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Published : Jun 11, 2019, 9:04 PM IST

Updated : Jun 11, 2019, 11:04 PM IST

लखनऊ: अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. प्रीति वर्मा बताया कि घटना का संज्ञान लेते हुए पुलिस के आला अधिकारियों से कार्रवाई की बात की गई है. इस दौरान बाल आयोग की सदस्य प्रीति ने कहा कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में कई बार पुलिसकर्मियों की लापरवाही व संवेदनहीनता देखने को मिलती है. पिछले एक साल में लगभग 900 मामलों में बाल आयोग ने पीड़ितों की मदद करते हुए एफआईआर दर्ज कराई है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करती प्रीति वर्मा.

ईटीवी भारत से क्या बोलीं प्रीति वर्मा

  • बाल आयोग की सदस्य ने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेदारों को संवेदनशील व सक्रिय होने की राय दी है.
  • प्रीति ने बताया सामान्यतया देखा गया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जो तंत्र बनाया गया है, उसके महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरीके से निर्वहन नहीं करते हैं.
  • जिसके चलते व्यवस्था लचर रहती है, जिसका फायदा अपराधियों को मिलता है.
  • प्रीति ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने की बहुत ही आवश्यकता है.
  • अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया कि नहीं?
  • बच्ची की गुमशुदगी के बाद अगर पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती, तो शव की बरामदगी में 3 दिन का समय नहीं लगता और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो सकती थी.
  • पुलिस वालों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि अभी तक आरोपियों पर पाक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकी है.

लखनऊ: अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. प्रीति वर्मा बताया कि घटना का संज्ञान लेते हुए पुलिस के आला अधिकारियों से कार्रवाई की बात की गई है. इस दौरान बाल आयोग की सदस्य प्रीति ने कहा कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में कई बार पुलिसकर्मियों की लापरवाही व संवेदनहीनता देखने को मिलती है. पिछले एक साल में लगभग 900 मामलों में बाल आयोग ने पीड़ितों की मदद करते हुए एफआईआर दर्ज कराई है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करती प्रीति वर्मा.

ईटीवी भारत से क्या बोलीं प्रीति वर्मा

  • बाल आयोग की सदस्य ने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेदारों को संवेदनशील व सक्रिय होने की राय दी है.
  • प्रीति ने बताया सामान्यतया देखा गया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जो तंत्र बनाया गया है, उसके महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरीके से निर्वहन नहीं करते हैं.
  • जिसके चलते व्यवस्था लचर रहती है, जिसका फायदा अपराधियों को मिलता है.
  • प्रीति ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने की बहुत ही आवश्यकता है.
  • अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया कि नहीं?
  • बच्ची की गुमशुदगी के बाद अगर पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती, तो शव की बरामदगी में 3 दिन का समय नहीं लगता और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो सकती थी.
  • पुलिस वालों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि अभी तक आरोपियों पर पाक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकी है.
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लखनऊ। अलीगढ़ में ढाई वर्षीय बच्ची की हत्या के मामले में अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया कि नहीं? बच्चे की गुमशुदगी के बाद अगर पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती तो शव की बरामदगी में 3 दिन का समय नहीं लगता और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो सक्ती की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया है कि नहीं? पुलिस वालों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि अभी तक आरोपियों पर पास्को एक्ट के तहत कार्यवाही नहीं हो सकी है।





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बच्चों के लिए काम करने वाले राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा ने ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए बताया कि घटना को संज्ञान में लेते हुए पुलिस के आला अधिकारियों से घटना के संदर्भ में कार्यवाही की बात की गई है इस दौरान बाल आयोग की सदस्यता प्रीति ने कहां की बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में कई बार पुलिस कर्मियों की लापरवाही व संवेदनहीनता देखने को मिलती है पिछले 1 वर्ष में लगभग 900 मामलों में बाल आयोग ने पीड़ितों की मदद करते हुए एफ आई आर दर्ज कराई है या एफ आई आर दर्ज कराई गई है जब प्रथम दृष्टया पुलिस की लापरवाही देखने को मिली।


बाल आयोग की सदस्य ने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेदारों को संवेदनशील व सक्रिय होने की राय दी है प्रीति ने बताया सामान्यता देखा गया है बच्चों की सुरक्षा के लिए जो तंत्र बनाया गया है उसके महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी हो को पूरी तरीके से निर्वाह नहीं करते हैं जिसके चलते व्यवस्था लचर रहती है जिसका फायदा अपराधियों को मिलता है। प्रीति ने बताया कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने की बहुत ही आवश्यकता है कई बार अभिभावकों को अंदाजा नहीं लगता है कि उनके आस पड़ोस में रहने वाले या किसीं रिश्तेदार की ही उनके बच्चों पर गलत नजर है ऐसे में अभिभावकों व बच्चों को ऐसे लोगों को पहचानने के लिए ट्रेन करने की जरूरत है जिससे घटनाओं को रोका जा सके।

संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26


Conclusion:
Last Updated : Jun 11, 2019, 11:04 PM IST
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