लखनऊ: बिजली विभाग के इंजीनियर बिना लेनदेन के उपभोक्ता का काम कर दें ऐसे उदाहरण काफी कम ही मिलते हैं. इंजीनियरों की कारस्तानी के किस्से हमेशा ही बिजली विभाग में चर्चा का विषय बनते है. शहर की तमाम योजनाओं में बिजली विभाग का काम करने में इंजीनियर जमकर घोटाला करते हैं और जब गर्दन फंसती हुई नजर आती है तो कर्मचारियों को इसके लिए दोषी ठहरा देते हैं. लखनऊ में इस तरह के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं.
इसमें हाल ही में अपट्राॅन उपकेंद्र के जेई और एसडीओ को सस्पेंड किया जा चुका है. वहीं तालकटोरा और दुबग्गा उपकेंद्र के इंजीनियर कर्मचारियों को फंसाकर अपनी गर्दन बचाने में जुटे हैं. इसे लेकर मुख्य अभियंता स्तर पर जांच भी चल रही है.
अधिशासी अभियंता ने अवर अभियंता को बचाने के लिए दो संविदाकर्मियों को ड्यूटी से ही हटा दिया. जांच रिपोर्ट में लिखा कि संविदाकर्मियों ने बिना मीटर के लाइन खींच दी. अवर अभियंता ने ही संविदाकर्मियों को मीटर दिया था जो आज भी थाने में जमा है. मुख्य अभियंता को पूरे प्रकरण की जानकारी भी दी गई थी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
यहां पर कर्मचारी बच गए अधिकारी नप गए: अपट्रान उपखंड के अंतर्गत इंजीनियरों ने विनय मौर्य को आलमनगर ब्रिज से दुबग्गा जाने वाली रोड के दाहिने ओर उस अवैध कॉलोनी को बिजली सप्लाई दे दी. जिसका एलडीए से मानचित्र तक पास नहीं कराया गया था. बिजली इंजीनियरों के खेल से लेसा को करीब 40 लाख का नुकसान हुआ था.
एसडीओ अभिषेक कुमार तिवारी और जेई सुशील कुमार ने 40 लाख के इस काम को महज 10,28,502 रुपये स्टीमेट के रूप में जमा कराकर निपटा दिया. अधिशासी अभियंता अनूप सक्सेना ने भी इसे स्वीकृत कर दिया था. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक अनिल ढींगरा ने मामले की जांच कराई. विभागीय जांच में अवर अभियन्ता-अपट्राॅन और उपखण्ड अधिकारी-अपट्राॅन ने जान-बू़झ कर विभाग को आर्थिक क्षति पहुंचाने की नीयत से बिना भार स्वीकृत कराए अनुचित ढंग से कम धनराशि का स्टीमेट बनाकर डेवलपर विनय मौर्या को दो किलोवाट आवासीय विद्युत भार स्वीकृत कर कनेक्शन दे दिया था.
प्रबन्ध निदेशक ने अपट्राॅन के उपखण्ड अधिकारी और अवर अभियन्ता को निलम्बित करते हुए मुख्य अभियन्ता (वितरण), देवीपाटन क्षेत्र, गोण्डा से सम्बद्ध किया. प्रकरण की गहन जांच निगम की स्थायी जांच कमेटी से कराने के लिए भी निर्देशित किया था. सूत्र बताते हैं कि डेवलपर विनय मौर्य की इस कॉलोनी में ऐशबाग, आलमबाग, वृंदावन और राजाजीपुरम डिवीजन के 11 जूनियर इंजीनियरों के उपकेंद्र के हिस्से का सामान लगाया गया था.
क्या कहते हैं यूनियन के पदाधिकारी: तालकटोरा में अवर अभियंता ने विवादित परिसर पर बिजली का कनेक्शन निर्गत कर दिया और निर्गत करने के बाद कर्मचारियों से मीटर लगाकर लाइन खींचने की बात कही गई. कर्मचारी की तरफ से लाइन खींचकर मीटर लगाया जा रहा था. विपक्षी पार्टी ने पुलिस को अवगत कराया. पुलिस मौके पर आई और कर्मचारियों सहित मीटर केबल थाने ले जाया गया. इसके बाद सामने आया कि अधिकारियों ने इसकी जांच कराई. जांच अधिकारी ने तथ्यों को छुपाते हुए अपनी जांच आख्या दी. जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि कर्मचारी बिना मीटर लगाए ही लाइन खींच रहे थे, जबकि मीटर और केबल सहित कर्मचारियों को पुलिस थाने पर ले गई थी.
दूसरी घटना दुबग्गा उपखंड अधिकारी की है जो एक कर्मचारी को फोन पर भला बुरा कह रहा है, जो काफी वायरल है. तीसरा मामला खुर्रमपुर उपकेंद्र का है. संविदा कर्मचारी ज्ञानी वर्मा का हाथ कट गया. अवर अभियंता ने निजी लाभ के लिए कर्मचारी को भेजा था. कार्य के दौरान दुर्घटना हुई दुर्घटना होने के बाद डॉक्टरों ने उसका दाहिना हाथ काट दिया. वर्ल्ड क्लास कंपनी वहां पर ठेकेदारी कर रही है. कंपनी की तरफ से पहचान पत्र नहीं दिया गया. इससे गरीब कर्मचारी को इलाज नहीं मिल पा रहा. गहरू उपकेंद्र के अंतर्गत भी ऐसा ही प्रकरण आया. अनन्या प्लाटिंग के ऊपर से एचटी लाइन जा रही थी.
वहां अवर अभियंता ने ठेकेदार से मिलकर एचटी लाइन को शिफ्ट कर दिया. शिफ्ट करने के 16 दिन बाद जब यह मामला सामने आया तो अवर अभियंता ने संविदा कर्मचारी के खिलाफ ही उल्टा एफआईआर दर्ज करा दी, जिससे एफआईआर कराकर बच जाए. इसके बाद तमाम ऐसी विसंगतियां हैं जिसके चलते संविदा कर्मचारी का शोषण अधिकारी कर रहे हैं. ठेकेदारों और अधिकारियों का पक्ष लिया जा रहा है. बिजली कर्मचारियों की सुनवाई ही नहीं हो रही है.
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क्या कहते हैं लेसा चीफ: हाई लेवल कमेटी की मांग मैंने की है. मुख्यालय को लिख दिया है. मुख्यालय से अब नई समिति जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी.
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