लखनऊ : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर सोमवार को इंजीनियरों के साथ प्रदेश के बिजली कर्मी काम बन्द कर सड़कों पर उतरे. संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी ने बताया कि बिजली कर्मियों ने ऊर्जा क्षेत्र के सम्पूर्ण निजीकरण की दृष्टि से संसद में रखे गये बिल के प्रति अपना रोष प्रकट किया. बिजली कर्मचारियों की मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 (Electricity Amendment Bill 2022) वर्तमान स्वरूप में वापस लिया जाये और यदि सरकार इसे लाना भी चाहती है तो इसे बिजली मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमेटी को संदर्भित किया जाये. जिससे सभी स्टेक होल्डर्स खासकर आम बिजली उपभोक्ता और बिजली कर्मियों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके.
लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में सैकड़ों की संख्या में बिजली कर्मचारी और इंजीनियर एकत्र हुए. फील्ड हॉस्टल पर भारी पुलिस बन्दोबस्त के बीच बिजली कर्मचारियों ने विरोध सभा की. वहीं पावर काॅरपोरेशन के मुख्यालय शक्तिभवन में प्रबन्धन द्वारा गेट बन्द कर दिये गये जिससे कर्मचारी बाहर न निकल सकें. इसके बावजूद बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने काम छोड़कर प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इस दौरान पल्लव मुखर्जी, प्रभात सिंह, गिरीश पांडे, सदरूद्दीन राना, राजेंद्र प्रसाद घिल्डियाल, सुहेल आबिद, पी के दीक्षित, डी के मिश्रा, महेंद्र राय, शशिकांत श्रीवास्तव, प्रेम नाथ राय, एके श्रीवास्तव, सुनील प्रकाश पाल, एके श्रीवास्तव, आर के सिंह, शंभू रतन दीक्षित, विशंभर सिंह, रफीक अहमद, जीपी सिंह, राम सहारे वर्मा, पीएस बाजपेई समेत तमाम कर्मचारी मौजूद रहे.
कर्मचारियों ने बताया कि प्रदेश के बिजली उत्पादन गृहों में सुबह 08 बजे से ही बिजली कर्मियों ने काम छोड़कर प्रदर्शन शुरू किया. मुख्यालयों पर और अन्य जनपदों में 10 बजे के बाद बिजलीकर्मी काम छोड़कर बड़ी संख्या में एकत्र हुए. उन्होंने बताया कि अनपरा, ओबरा, हरदुआगंज, पारीछा, पनकी, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, कानपुर, झांसी, बांदा, गोंडा में भारी संख्या में बिजली कर्मी काम बन्द कर सड़कों पर निकले.
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वहीं उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के तत्वाधान में सोमवार को सभी ऊर्जा निगमों में दलित व पिछडे़ वर्ग के अभियंताओं ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 लोकसभा में पेश किए जाने के विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया.
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