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राजधानी को मिले 8 कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट, जानिए होनहारों ने कैसे पाई सफलता

राजधानी लखनऊ के होनहार छात्रों ने एक और कीर्तिमान रचा है. शहर के 8 मेधावी छात्र कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (CMA) बनने में सफल हुए हैं. सीएमए रजनीश भटनागर ने बताया कि यह परीक्षाएं बीते दिसंबर माह में आयोजित की गई थी.

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8 मेधावी छात्र कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट बनने में सफल रहे हैं
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Published : Mar 7, 2022, 5:25 PM IST

लखनऊ : राजधानी के होनहार छात्रों ने एक और कीर्तिमान रचा है. शहर के 8 मेधावी छात्र कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (CMA) बनने में सफल हुए हैं. द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया लखनऊ चैप्टर की ओर से सोमवार को सीएमए परीक्षा के नतीजे जारी किए गए. सफल होने वाले छात्रों की सूची में दीक्षा रेठानी, साक्षी सिंह, शिवांगी कश्यप, सिंह निखिल कुमार नरेंद्र कुमार, सुरेश कुमार सिंह, अंकित चौहान, कमलजीत सिंह और रितेश पांडेय शामिल हैं.

सीएमए रजनीश भटनागर.
इंस्टीट्यूट के लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष सीएमए रजनीश भटनागर के साथ उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष सीएमए विनय कुमार श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी. सीएमए रजनीश भटनागर ने बताया कि यह परीक्षाएं बीते दिसंबर माह में आयोजित की गई थी. सीएमए फाइनल की परीक्षा में 234 छात्र शामिल हुए थे, जिसमें 15 ने परीक्षा पास की है. वहीं, अंतिम रूप से सभी परीक्षाओं को पास कर कुल 8 छात्रों को सीएमए बनने का मौका मिला है.

इसे भी पढ़ेंः सीएमए ज्ञान कुंभ 2019 में बताया गया कॉस्ट अकाउंटिंग का महत्व, मंत्री सुरेश खन्ना ने किया उद्घाटन

यह हैं होनहारों की सफलता के मंत्र

शिवांगी कश्यपः शिवांगी कहती हैं कि उसने बीकॉम की पढ़ाई के साथ सीएमए की तैयारी शुरू की. परीक्षा की तैयारी आसान नहीं थी. कई बार मन किया कि पढ़ाई छोड़ दें, लेकिन इन नकारात्मक सोच को किनारे कर वह तैयारी करती रही है. शिवांगी ने बताया कि सीएमए की परीक्षाओं में कई बार सफलता देर से मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि निरंतर प्रयास को जारी रखा जाए. शिवांगी ने कहा कि कम से कम 6 घंटे की सेल्फ स्टडी जरूरी है.

साक्षी सिंह : साक्षी ने 2015 में एमकॉम की पढ़ाई पूरी की. वर्तमान में वह यूपीपीसीएल में कार्यरत हैं. साक्षी का कहना है कि सेल्फ स्टडी बेहद जरूरी है. वह नौकरी करने के साथ ही 4 से 5 घंटे की पढ़ाई करती थी. साक्षी ने कहा कि इन परीक्षाओं की तैयारी के दौरान समय का प्रबंधन ठीक से करें.

अंकित चौहान : अंकित वर्तमान में सीएमओ कानपुर नगर में कार्यरत हैं. अंकित ने बताया कि उन्होंने 2008 में सीएमए की तैयारी शुरू की थी. उन्होंने बताया कि थ्योरिटिकल पढ़ाई के साथ ही उसने प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया. सफलता पाने की सकारात्मक सोच के साथ निरंतर प्रयास करते रहे. इसी का नतीजा है कि उसे मंजिल मिल गई.

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लखनऊ : राजधानी के होनहार छात्रों ने एक और कीर्तिमान रचा है. शहर के 8 मेधावी छात्र कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (CMA) बनने में सफल हुए हैं. द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया लखनऊ चैप्टर की ओर से सोमवार को सीएमए परीक्षा के नतीजे जारी किए गए. सफल होने वाले छात्रों की सूची में दीक्षा रेठानी, साक्षी सिंह, शिवांगी कश्यप, सिंह निखिल कुमार नरेंद्र कुमार, सुरेश कुमार सिंह, अंकित चौहान, कमलजीत सिंह और रितेश पांडेय शामिल हैं.

सीएमए रजनीश भटनागर.
इंस्टीट्यूट के लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष सीएमए रजनीश भटनागर के साथ उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष सीएमए विनय कुमार श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी. सीएमए रजनीश भटनागर ने बताया कि यह परीक्षाएं बीते दिसंबर माह में आयोजित की गई थी. सीएमए फाइनल की परीक्षा में 234 छात्र शामिल हुए थे, जिसमें 15 ने परीक्षा पास की है. वहीं, अंतिम रूप से सभी परीक्षाओं को पास कर कुल 8 छात्रों को सीएमए बनने का मौका मिला है.

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यह हैं होनहारों की सफलता के मंत्र

शिवांगी कश्यपः शिवांगी कहती हैं कि उसने बीकॉम की पढ़ाई के साथ सीएमए की तैयारी शुरू की. परीक्षा की तैयारी आसान नहीं थी. कई बार मन किया कि पढ़ाई छोड़ दें, लेकिन इन नकारात्मक सोच को किनारे कर वह तैयारी करती रही है. शिवांगी ने बताया कि सीएमए की परीक्षाओं में कई बार सफलता देर से मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि निरंतर प्रयास को जारी रखा जाए. शिवांगी ने कहा कि कम से कम 6 घंटे की सेल्फ स्टडी जरूरी है.

साक्षी सिंह : साक्षी ने 2015 में एमकॉम की पढ़ाई पूरी की. वर्तमान में वह यूपीपीसीएल में कार्यरत हैं. साक्षी का कहना है कि सेल्फ स्टडी बेहद जरूरी है. वह नौकरी करने के साथ ही 4 से 5 घंटे की पढ़ाई करती थी. साक्षी ने कहा कि इन परीक्षाओं की तैयारी के दौरान समय का प्रबंधन ठीक से करें.

अंकित चौहान : अंकित वर्तमान में सीएमओ कानपुर नगर में कार्यरत हैं. अंकित ने बताया कि उन्होंने 2008 में सीएमए की तैयारी शुरू की थी. उन्होंने बताया कि थ्योरिटिकल पढ़ाई के साथ ही उसने प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया. सफलता पाने की सकारात्मक सोच के साथ निरंतर प्रयास करते रहे. इसी का नतीजा है कि उसे मंजिल मिल गई.

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