लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण में जल्द ही ई-ऑफिस प्रणाली लागू होगी. इसके अंतर्गत प्राधिकरण के सभी अनुभागों की नई-पुरानी पत्रावलियां ई-ऑफिस पोर्टल पर अपलोड की जाएंगी. प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी व सचिव पवन कुमार गंगवार के नेतृत्व में मंगलवार से इसका प्रशिक्षण शुरू हो गया है. जिसमें सभी अनुभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे. उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि ई-ऑफिस प्रणाली लागू होने से विभागीय कार्यों में पारदर्शिता आएगी और फाइलें लंबित होने पर कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो सकेगी.
विशेष कार्याधिकारी देवांश त्रिवेदी ने बताया कि प्राधिकरण में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने के सम्बंध में यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन (यूपीएलसी) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है. मंगलवार को यूपीएलसी के प्रतिनिधि शैलेन्द्र सिंह व लव कुमार द्वारा प्राधिकरण भवन में ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया. जिसमें विशेषज्ञों द्वारा ई-ऑफिस पोर्टल को संचालित करने के सम्बंध में जानकारी देने के साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों के सवालों का जवाब भी दिया गया. इस दौरान उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने निर्देशित किया कि प्रथम चरण में प्राधिकरण के सभी अनुभागों में बनने वाली नई पत्रावलियां ई-ऑफिस पोर्टल के माध्यम से बनाई जाएंगी. वहीं, दूसरे चरण में मौजूदा समय में प्रचलित फाइलों को इस पोर्टल के अंतर्गत लाने का कार्य किया जाएगा. इसके बाद तीसरे चरण के कार्य में पुरानी पत्रावलियों को ई-ऑफिस पोर्टल पर लिया जाएगा.
422 लोगों की यूजर आईडी बनेगी : प्राधिकरण के प्रोग्रामर एनालिस्ट राघवेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने के लिए समस्त अनुभागों के 422 अधिकारी व कर्मचारियों के ई-सिग्नेचर, डीएसटी (डिजिटली साइन्ड टेक्सट) और एनआईसी कॉरपोरेट मेल आईडी बनवाई जा रही है. उन्होंने बताया कि ई-ऑफिस के अंतर्गत कार्य सम्पादित करने में किसी तरह की दिक्कत न आए, इसके लिए प्रत्येक अनुभाग से दो लोगों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके लिए अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने सभी विभागाध्यक्षों को अपने-अपने विभाग से दो लोगों को नामित करने के निर्देश जारी किये हैं.
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पेपरलेस हो जाएगा काम : सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि ई-ऑफिस प्रणाली लागू होने से सारा काम पेपरलेस हो जाएगा और सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज डिजिटल रिकॉर्ड में रहेंगे. इससे फाइलों के गायब होने या नष्ट होने की संभावना नहीं रहेगी. वहीं इस प्रणाली से यह भी पता चल सकेगा कि कौन सी फाइल, किस पटल पर, कितने दिन लंबित रही. इससे कार्यों को लंबित रखने वाले कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी और लोगों को अपना काम कराने के लिए विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
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