लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (Minister of State for Environment Forests) डॉ. अरुण सक्सेना ने इंटरनेशनल डे ऑफ क्लीन एयर फॉर ब्लू स्काइज के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डॉ. अरुण सक्सेना ने कार्यशाला में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए विचार रखे. प्रदूषण के लिए कौन-कौन से कारक हैं और कैसे प्रदूषण फैलने से रोका जा सकता है, इसके बारे में भी उपस्थित लोगों को समझाया.
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डॉ अरुण सक्सेना ने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और हमको कोविड काल की तरह नीला आसमान दिखे इसके लिए योजना बनानी है. उन्होंने कहा कि आज जो टेंपरेचर बढ़ रहा है वह एनवायरनमेंट में कमी आने की वजह से बढ़ रहा है. पॉल्यूशन और ज्यादा बढ़ रहा है. आज पापुलेशन बढ़ रही है, इंडस्ट्रीज बढ़ रही है, हमारी ऑटोमोबाइल्स कंपनियां बढ़ रही हैं. पेड़ कट रहे हैं. इन सब से कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल वायुमंडल (Atmosphere) में बढ़ रहा है. कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल बढ़ने से सूर्य की जो अल्ट्रावॉयलेट किरणें आती हैं वह वापस नहीं जा पातीं और पृथ्वी का टेंपरेचर बढ़ता जा रहा है. प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल मंचों पर हमेशा कहा है कि ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) एक बहुत बड़ी समस्या है और ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) को दूर करने के लिए जहां और तरीके हैं वहीं एक तरीका जो अभी हम लोगों ने अपनाया है वह है पेड़ लगाओ और पेड़ों को बचाओ.
उन्होंने कहा कि पेड़ों से ही नमी रहती है. वाटर लेवल मेंटेन रहता है. पेड़ों से ही मिट्टी की कटान रुकती है. एनवायरनमेंट को सही रखने के लिए पेड़ों का बहुत बड़ा योगदान है. जो हम लोगों ने अभी 35 करोड़ पेड़ उत्तर प्रदेश के अंदर लगाए हैं और उसमें सभी का बहुत सहयोग रहा है. अब हमें कार्बन डाइऑक्साइड को कम करना है. कार्बन डाइऑक्साइड कम बने उसके लिए हमें इंडस्ट्रीज को टेक्नोलॉजी से भरपूर करना होगा. उनसे कार्बन डाइऑक्साइड कम से कम निकले. इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ भी हम लोगों को तेजी से जाना पड़ेगा. इन वाहनों में पॉल्यूशन न के बराबर है, जबकि डीजल और पेट्रोल वाहनों में बहुत ज्यादा है. इसके लिये एक नीति तैयार कर रहे हैं.
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इस नीति से उत्तर प्रदेश में पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा और प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी. अगले 10 साल के लिए टारगेट सेट किया गया है कि वायु प्रदूषण का स्तर काफी कम करना है, जिससे लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके.
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