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डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट महिलाओं को देगा रोजगार के अवसर, जानिये कौन दे रहा है ट्रेनिंग?

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Published : Jun 25, 2022, 11:00 PM IST

एहसास संस्था और एनबीआरआई की ओर से अनेकों महिलाओं को डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट बनाना सिखाया जा रहा है. इससे महिलाएं खुद का बिजनेस शुरू कर सकती हैं.

डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट
डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट

लखनऊ : हस्तकला से निर्मित चीजें आम पब्लिक को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. यही कारण है कि राजधानी में जब भी कोई मेला लगता है तो इनके अनेकों स्टॉल लगते हैं. लोग जमकर खरीदारी भी करते हैं. एहसास संस्था और एनबीआरआई की ओर से अनेकों महिलाओं को डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट बनाना सिखाया जा रहा है. इससे महिलाओं को रोजगार का अच्छा अवसर मिलेगा.


मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि इस प्रशिक्षण के बाद बहुत सारी महिलाएं अगर चाहें तो खुद का बिजनेस शुरू कर सकती हैं. लखनऊ में तमाम मेले लगते हैं. हाथ से निर्मित सामान की अलग ही डिमांड होती है. हर साल एनबीआरआई की ओर से इस तरह की वर्कशाॅप होती है. इस वक्त डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट महिलाओं को सिखाया जा रहा है. यह तीन महीने की ट्रेनिंग है. फ्लोरल क्राफ्ट बनाना बहुत आसान है. बस इसकी कुछ बारीकियां सीखनी होती हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला


हमारी जान पहचान के तीन से चार स्टॉल : सामाजिक कार्यकर्ता एवं एनजीओ एहसास की संस्था की साची सिंह ने कहा कि वह महिलाओं को अधिक कुशल देखने के लिए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को कर रही हैं. इससे हमारी संस्था की महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी. हम अपनी संस्था की महिलाओं को तमाम वर्कशॉप करवाते हैं. जो कम पढ़ी-लिखी महिलाएं हैं वह हाथों से निर्मित चीजों को सीखती हैं. आप देखते होंगे कि लखनऊ में जो मेले लगते हैं, वहां पर बहुत सारी दुकानें हाथों से निर्मित सामानों की होती हैं. हर मेले में तीन से चार स्टॉल हमारी जान पहचान के होते हैं.

एक प्रशिक्षित महिला दस को देती है रोजगार : महिलाएं पहले तो सीखती हैं, फिर वह अपने साथ पांच और महिलाओं को जोड़ती हैं. अगर 30 महिलाएं डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट बनाना सीख रही हैं तो वह आगे चलकर मौका आने पर 300 महिलाओं को अपने साथ जोड़ती हैं और उसके बाद अपना खुद का बिजनेस शुरू करती हैं. सावन का मेला लगेगा वहां ट्रेनिंग ले रही महिलाएं अपना स्टॉल खोलेंगी.



सावधानी के बारे में समझाया : इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अतुल बत्रा और डॉ. श्वेता सिंह ने महिलाओं को ताजे फूल और पत्ते के संग्रह और इससे जुड़ी सभी तकनीकी और बारीकियों को समझाया. उन्होंने महिलाओं को यह भी सिखाया कि सूखे फूलों का उपयोग ग्रीटिंग कार्ड, लैंडस्केप, वॉल हैंगिंग, कांच के कंटेनर, टी कोस्टर और फूलों के आभूषणों की तैयारी में कैसे किया जा सकता है. डॉ. साची गुप्ता ने पौधों की सामग्री को सुखाने और कलाकृतियां बनाने के बाद बरती जाने वाली तमाम सावधानी के बारे में समझाया.


पत्तियों से बनाना होता है : डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट सीख रही महिलाओं ने कहा कि पहली बार हम इसे बनाना सीख रहे हैं. इसे पूरी तरह फूलों और पत्तियों से बनाना होता है. यह बनाना तो काफी आसान है, लेकिन इसमें कुछ बारीकियां हैं जिन्हें हमें सीखना है. ट्रेनिंग के दौरान हमें किट दिया गया है. जिसमें जरूरत का सभी सामान मौजूद है. किट में तीन से चार प्रकार की पिन व फेविकोल है.

ये भी पढ़ें : सोशल मीडिया के जरिये हिंसा फैलाने वालों की अब खैर नहीं, यूपी पुलिस ने बनाई यह फोर्स

शादियों में फूलों से निर्मित ज्वेलरी का चलन : महिलाओं ने बताया कि हम डेकोरेशन के सामान को निर्मित करेंगे और फिर बाजार में सेल करेंगे. इसकी कीमत 50 रुपये से एक हजार तक है. इसके अलावा फूलों से निर्मित ज्वेलरी भी काफी ज्यादा चलन में है. शादियों में आजकल महिलाएं खूब इस्तेमाल कर रही हैं. इसे भी हम आसानी से बना सकते हैं. इसकी कीमत 200 से 500 रुपये के बीच होती है.
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लखनऊ : हस्तकला से निर्मित चीजें आम पब्लिक को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. यही कारण है कि राजधानी में जब भी कोई मेला लगता है तो इनके अनेकों स्टॉल लगते हैं. लोग जमकर खरीदारी भी करते हैं. एहसास संस्था और एनबीआरआई की ओर से अनेकों महिलाओं को डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट बनाना सिखाया जा रहा है. इससे महिलाओं को रोजगार का अच्छा अवसर मिलेगा.


मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि इस प्रशिक्षण के बाद बहुत सारी महिलाएं अगर चाहें तो खुद का बिजनेस शुरू कर सकती हैं. लखनऊ में तमाम मेले लगते हैं. हाथ से निर्मित सामान की अलग ही डिमांड होती है. हर साल एनबीआरआई की ओर से इस तरह की वर्कशाॅप होती है. इस वक्त डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट महिलाओं को सिखाया जा रहा है. यह तीन महीने की ट्रेनिंग है. फ्लोरल क्राफ्ट बनाना बहुत आसान है. बस इसकी कुछ बारीकियां सीखनी होती हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला


हमारी जान पहचान के तीन से चार स्टॉल : सामाजिक कार्यकर्ता एवं एनजीओ एहसास की संस्था की साची सिंह ने कहा कि वह महिलाओं को अधिक कुशल देखने के लिए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को कर रही हैं. इससे हमारी संस्था की महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी. हम अपनी संस्था की महिलाओं को तमाम वर्कशॉप करवाते हैं. जो कम पढ़ी-लिखी महिलाएं हैं वह हाथों से निर्मित चीजों को सीखती हैं. आप देखते होंगे कि लखनऊ में जो मेले लगते हैं, वहां पर बहुत सारी दुकानें हाथों से निर्मित सामानों की होती हैं. हर मेले में तीन से चार स्टॉल हमारी जान पहचान के होते हैं.

एक प्रशिक्षित महिला दस को देती है रोजगार : महिलाएं पहले तो सीखती हैं, फिर वह अपने साथ पांच और महिलाओं को जोड़ती हैं. अगर 30 महिलाएं डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट बनाना सीख रही हैं तो वह आगे चलकर मौका आने पर 300 महिलाओं को अपने साथ जोड़ती हैं और उसके बाद अपना खुद का बिजनेस शुरू करती हैं. सावन का मेला लगेगा वहां ट्रेनिंग ले रही महिलाएं अपना स्टॉल खोलेंगी.



सावधानी के बारे में समझाया : इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अतुल बत्रा और डॉ. श्वेता सिंह ने महिलाओं को ताजे फूल और पत्ते के संग्रह और इससे जुड़ी सभी तकनीकी और बारीकियों को समझाया. उन्होंने महिलाओं को यह भी सिखाया कि सूखे फूलों का उपयोग ग्रीटिंग कार्ड, लैंडस्केप, वॉल हैंगिंग, कांच के कंटेनर, टी कोस्टर और फूलों के आभूषणों की तैयारी में कैसे किया जा सकता है. डॉ. साची गुप्ता ने पौधों की सामग्री को सुखाने और कलाकृतियां बनाने के बाद बरती जाने वाली तमाम सावधानी के बारे में समझाया.


पत्तियों से बनाना होता है : डिहाइड्रेटेड फ्लोरल क्राफ्ट सीख रही महिलाओं ने कहा कि पहली बार हम इसे बनाना सीख रहे हैं. इसे पूरी तरह फूलों और पत्तियों से बनाना होता है. यह बनाना तो काफी आसान है, लेकिन इसमें कुछ बारीकियां हैं जिन्हें हमें सीखना है. ट्रेनिंग के दौरान हमें किट दिया गया है. जिसमें जरूरत का सभी सामान मौजूद है. किट में तीन से चार प्रकार की पिन व फेविकोल है.

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शादियों में फूलों से निर्मित ज्वेलरी का चलन : महिलाओं ने बताया कि हम डेकोरेशन के सामान को निर्मित करेंगे और फिर बाजार में सेल करेंगे. इसकी कीमत 50 रुपये से एक हजार तक है. इसके अलावा फूलों से निर्मित ज्वेलरी भी काफी ज्यादा चलन में है. शादियों में आजकल महिलाएं खूब इस्तेमाल कर रही हैं. इसे भी हम आसानी से बना सकते हैं. इसकी कीमत 200 से 500 रुपये के बीच होती है.
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