लखनऊ: अपर सत्र न्यायाधीश पीएम त्रिपाठी ने सामूहिक दुराचार के मामले में निरुद्ध अभियुक्त मोहम्मद अरमान की जमानत अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को बेहद गम्भीर करार दिया.
इस मामले की एफआईआर 15 जून, 2018 को पीड़ित लड़की के पिता ने थाना ठाकुरगंज में दर्ज कराई थी. कहा गया कि 11 मई 2018 की सुबह 6 बजे वादी की पुत्री घर में किसी को बताए बगैर कहीं चली गई, काफी खोजबीन के बाद भी उसका कुछ पता नहीं चला. विवेचना के दौरान पुलिस टीम ने 7 नवंबर 2018 को पीड़ित लड़की को बरामद किया था. विवेचना के पश्चात अभियुक्तों के खिलाफ अपहरण व गैंगरेप आदि के तहत आरोप पत्र भी दाखिल किया गया था. 7 जुलाई, 2019 को अभियुक्त अरमान को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.
जमानत अर्जी पर बहस के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अभियुक्त की जमानत अर्जी का विरोध किया. सरकारी वकील दुष्यंत मिश्र और अरुण पांडेय का कहना था कि अभियुक्त पर पीड़ित लड़की को नशीला पदार्थ देकर बेहोश करने और उसे इस मामले की एक अभियुक्त पूजा के पास पहुंचाने का आरोप है.
ये भी पढ़ें- पुलिस ने 45 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले बैंक मैनेजर को किया गिरफ्तार...
कहा गया कि सहअभियुक्त पूजा देह व्यापार में लिप्त है. उसके पास अभियुक्त मोहम्मद अरमान ही पीड़ित लड़की को लेकर गया. जहां पीड़ित लड़की के साथ सामूहिक दुराचार किया गया. बचाव पक्ष की ओर से अभियुक्त के बेगुनाह होने की दलील दी गई थी. कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को अस्वीकार कर दिया.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप