लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को आगामी त्योहारों के मद्देनजर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक अफसरों के साथ करते हुए दिशा निर्देश दिए. वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में सीएम ने कहा कि आगामी 14 जुलाई से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है. 26 जुलाई को श्रावण शिवरात्रि का विशेष अवसर है. श्रावण मास में परंपरागत कांवड़ यात्रा निकलेगी. इसमें सोमवार पूजन का भी विशेष महत्व है. 31 जुलाई से श्रावण पूर्णिमा तक अयोध्या का सावन मेला भी शुरू होगा. नागपंचमी और रक्षाबंधन का भी पर्व है. इससे पूर्व बकरीद का पर्व है. इसी बीच मुहर्रम का महीना भी शुरू होगा. स्पष्ट है कि कानून-व्यवस्था के दृष्टिगत यह समय संवेदनशील है. हमें सतर्क-सावधान रहना होगा. इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी जोनल पुलिस महानिरीक्षकों, मंडलायुक्तों, पुलिस कमिश्नरों से श्रावण मास और बकरीद के दृष्टिगत उनकी कार्ययोजना की जानकारी ली.
सीएम ने दिए ये निर्देश : हर पर्व शांति और सौहार्द के बीच सम्पन्न हो, इसके लिए स्थानीय जरूरतों को देखते हुए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं. शरारतपूर्ण बयान जारी करने वालों के साथ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ कड़ाई से पेश आएं. माहौल खराब करने की कोशिश करने वाले अराजक तत्वों के साथ पूरी कठोरता की जाए.
- पर्व-त्योहार में शासन द्वारा सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. धार्मिक परंपरा व आस्था को सम्मान दें, नई परंपरा न शुरू हो. आयोजकों को अनुमति देने से पहले स्पष्ट शपथ पत्र लिया जाए.
- विगत दिनों रमजान माह में अलविदा की नमाज़ और ईद के अवसर पर धार्मिक कार्यों से यातायात प्रभावित नहीं हुआ. कई जनपदों में स्थान का अभाव होने पर बेहतर समन्वय के साथ शिफ्ट वार नमाज़ अदा हुई. इस प्रयास की पूरे देश में सराहना हुई. इस बार बकरीद के मौके पर हमें यही व्यवस्था लागू रखनी होगी.
- थाना, सर्किल, जिला, रेंज, जोन, मंडल स्तर पर तैनात वरिष्ठ अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के धर्मगुरुओं, समाज के अन्य प्रतिष्ठित जनों के साथ संवाद बनाएं. लोगों के लिए सकारात्मक संदेश जारी कराएं. पीस कमेटी की बैठक कर लें. मीडिया का सहयोग लें, ताकि शांति और सौहार्द का माहौल बना रहे.
-बकरीद पर कुर्बानी के लिए स्थान का चिन्हांकन पहले से ही होना चाहिए. विवादित जगहों पर कुर्बानी नहीं होनी चाहिए. तय स्थान के अतिरिक्त कहीं और कुर्बानी नहीं होनी चाहिए. प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी न हो. कुर्बानी के उपरांत अपशिष्ट के व्यवस्थित निस्तारण की कार्ययोजना होनी चाहिये.
- कावंड़ यात्रा आस्था के उत्साह का आयोजन है. परंपरागत रूप से नृत्य, गीत, संगीत इसका हिस्सा रहे हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं का उत्पीड़न न किया जाए. लेकिन यह सुनिश्चित करें कि डीजे, गीत-संगीत आदि की आवाज निर्धारित मानकों के अनुरूप ही हो और इसमें केवल धार्मिक गीत ही बजाए जाएं.
- धार्मिक यात्राओं व जुलूसों में अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए. ऐसी कोई घटना न हो, जिससे दूसरे धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हों. त्वरित कार्रवाई और संवाद-संपर्क अप्रिय घटनाओं को संभालने में सहायक होती हैं. ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना की सूचना पर बिना विलंब किए, जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान खुद मौके पर पहुंचें. संवेदनशील प्रकरणों में वरिष्ठ अधिकारी लीड करें. सेक्टर स्कीम लागू करें.
- शरारती तत्व दूसरे सम्प्रदाय के लोगों को अनावश्यक उत्तेजित करने की कोशिश कर सकते हैं, ऐसे मामलों पर नजर रखें. संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाए. हर दिन सायंकाल पुलिस बल फुट पेट्रोलिंग जरूर करे. पीआरवी 112 एक्टिव रहे.
- ग्रामीण हो या कि शहरी क्षेत्र, पर्व-त्योहारों के बीच बिजली अपूर्ति सुचारु रखी जाए. कहीं से भी अनावश्यक कटौती की शिकायत न आए. इसकी नियमित समीक्षा की जाए. कांवड़ यात्रा के मार्ग पर जर्जर बिजली के खंभे, झूलते-लटकते बिजली के तार आदि प्रबंधन समय से कर लिया जाए. ताकि श्रद्धालुओं को समस्या न हो, किसी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति न आए.
- श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए कांवड़ यात्रा मार्ग पर कहीं भी खुले में मांस आदि का खरीद-बिक्री न हो. स्ट्रीट लाइट की सुविधा हो. गर्मी तेज है, ऐसे में मार्ग में पीने के पानी की व्यवस्था भी कराई जाए.
- कांवड़ यात्रा मार्ग पर जगह-जगह हेल्थ पोस्ट स्थापित किए जाएं. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी उपयोगी हो सकते हैं. यहां प्राथमिक चिकित्सा के साथ-साथ कोविड टेस्टिंग की सुविधा होनी चाहिए. हाल ही में कोविड संक्रमण से स्वस्थ हुए लोगों को यात्रा से परहेज करने के लिए जागरूक करें.
- कांवड़ यात्रा की दृष्टि गाजियाबाद-हरिद्वार मार्ग पर सर्वाधिक व्यस्त रहता है. यहां दूसरे राज्यों के श्रद्धालु भी आते हैं. अतः सीमावर्ती राज्यों से भी संवाद बनाएं. इसके साथ-साथ अन्य यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए ट्रैफिक रूट डायवर्जन भी किया जाना चाहिए. परिवहन विभाग स्थानीय प्रशासन के संपर्क में रहें. बसों व अन्य सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की पर्याप्त उपलब्धता रहे.
- काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के उपरांत श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वॄद्धि हुई है. श्रावण मास में पूरे देश से श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है. ऐसे में स्थानीय पुलिस कमिश्नरेट, जिला प्रशासन, मंदिर प्रशासन के साथ समन्वय बनाते हुए व्यवस्थित कार्ययोजना बनाएं. प्रबंधन ऐसा हो कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो. विशेष दिवस पर वीआईपी मूवमेंट से परहेज किया जाना चाहिए.
- आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में इस बार स्वाधीनता दिवस के आयोजन को गरिमामय रूप से आयोजित किया जाए. स्कूली बच्चों द्वारा थीम आधारित प्रभात फेरी निकाली जाए. ग्राम सचिवालयों और सभी नगरीय निकायों में भी राष्ट्रध्वज फहराया जाए. स्वाधीनता संग्राम सेनानियों, शहीदों के परिजनों को सम्मानित करें.
- आजादी की लड़ाई में शामिल बहुत से नायकों से आज की पीढ़ी परिचित नहीं है. हमारी लोककथाओं में यह अब भी जीवित हैं. इनकी पहचान कर बच्चों को इनसे परिचित कराया जाए.
ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली पर हो काम : सीएम ने कहा कि जनआस्था का सम्मान करते हुए राज्य सरकार धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित कर रही है. लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 में ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली की शुरुआत का संकल्प है. इसे यथाशीघ्र क्रियान्वित किया जाए. ऑनलाइन पोर्टल में हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन आदि धर्म-सम्प्रदायों से जुड़े धर्मस्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध हो. हर जनपद के धर्मस्थल का विवरण इस पर दिया जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक कल्याण संकल्प पत्र के अनुसार बुजुर्ग संतों, पुजारियों एवं पुरोहितों के कल्याण के लिये राज्य सरकार द्वारा पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण कर लिया जाए. बोर्ड के माध्यम से सभी धर्मों के पुजारियों, संतों, पुरोहितों, मौलवियों, फ़कीरों को लाभान्वित किया जाना चाहिए.
- आपदाकाल में अग्निशमन कार्मिकों का तत्परतापूर्वक दायित्व निर्वहन सराहनीय रहा है, लेकिन विगत कई वर्षों से इस महत्वपूर्ण विभाग में निदेशक, उप निदेशक, संयुक्त निदेशक सहित कई अहम पद रिक्त हैं. इन पदों में योग्य अधिकारियों की तैनाती की जाए.
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-प्रदेश में 662 निजी सुरक्षा एजेंसियां पंजीकृत हैं. ऐसे में यह आवश्यक है कि निजी सुरक्षा एजेंसियों के संचालन-प्रबंधन की नियमावली को और सरल किया जाए. इस विषय में केंद्र सरकार द्वारा निजी सुरक्षा एजेंसी विनियमन अधिनियम (PSARA) के आधार पर प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण (विनियमन) केंद्रीय मॉडल 2020 को लागू किया गया है. इसे राज्य की जरूरत के अनुसार अंगीकार किया जाए.
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